Lockdown के चलते शादियां रद्द, नहीं रही फूलों की मांग, किसान अपने ही हाथों ऐसा करने को मजबूर...
By भाषा | Updated: March 30, 2020 15:00 IST2020-03-30T15:00:10+5:302020-03-30T15:00:10+5:30
किसान फूलों को तोड़ कर फेंकने को मजबूर हैं। उनका कहना है कि सरकार उनकी तरफ भी देखे और उन्हें भी आर्थिक सहायता दी जानी चाहिये।

Lockdown के चलते शादियां रद्द, नहीं रही फूलों की मांग, किसान अपने ही हाथों ऐसा करने को मजबूर...
शादी- विवाह के मौसम में अच्छी- खासी कमाई का सपना संजोये फूलों की खेती करने वाले किसानों के अरमानों पर कोरोना वायरस महामारी ने पानी फेर दिया। सरकार ने इस महामारी पर काबू पाने के लिये 25 मार्च से 14 अप्रैल तक के लिये पूरे देश में लॉकडाउन (बंद) लागू किया है।
अप्रैल में विवाह-शादियों का समय शुरू होता है। किसानों को उम्मीद थी कि उनके फूलों की अच्छी कीमत मिलेगी और मुनाफा भी होगा, लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से देशभर में लागू लॉकडाउन ने इन किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया। किसान फूलों को तोड़ कर फेंकने को मजबूर हैं। उनका कहना है कि सरकार उनकी तरफ भी देखे और उन्हें भी आर्थिक सहायता दी जानी चाहिये।
जींद जिले के अहिरका गांव के किसान बताते हैं कि फूलों की खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान हुआ है। गेंदे के फूल 40 से 50 रुपये किलो, गुलाब के फूल 70 से 80 रुपये, व्हाइट का फूल 80 से 100 रुपये प्रति किलो तक बिक जाता था, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते सभी गतिविधियों पर रोक लगी है, जिससे फूलों की मांग नहीं रह गई। अब हालात यह हैं कि कोई पांच रुपये किलो भी फूल लेने को तैयार नहीं है।
गांव के ही एक अन्य किसान ने बताया कि देशभर में लोक डाउन के कारण मंदिर बंद हैं, विवाह व अन्य सामाजिक समारोहों पर रोक लगी हुई है। जिन किसानों ने अपनी फूलों की खेती की थी वह बर्बादी की कगार पर हैं। ऐसे में सरकार को उनकी सुध लेनी चाहिये और उन्हें आर्थिक सहायता दी जानी चाहिये।