Coronavirus: गैस कंपनियों ने गोदामों को बना दिया कोरोना से खतरनाक बम
By बृजेश परमार | Updated: April 27, 2020 06:47 IST2020-04-27T06:47:38+5:302020-04-27T06:47:38+5:30
मध्य प्रदेश के उज्जैन में उज्जवला योजना के तहत उपभोक्ता की डिमांड के विपरित गैस कंपनियों ने अपने डिस्ट्रीब्यूटर्स के गोदामों में करीब दोगुना टंकियां डंप कर रखी हैं। एक तरह से गैस कंपनियों ने डिस्ट्रीब्यूटर्स के गोदामों को कोरोना से खतरनाक बम बनाकर रख दिया है।

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (फाइल फोटो)
मध्य प्रदेश के उज्जैन में उज्जवला योजना के तहत उपभोक्ता की डिमांड के विपरित गैस कंपनियों ने अपने डिस्ट्रीब्यूटर्स के गोदामों में करीब दोगुना टंकियां डंप कर रखी हैं। एक तरह से गैस कंपनियों ने डिस्ट्रीब्यूटर्स के गोदामों को कोरोना से खतरनाक बम बनाकर रख दिया है। ऐसे में संभावित हादसे को लेकर डिस्ट्रीब्यूटर्स डरे हुए हैं। दूसरी और उन्हें जिला प्रशासन बराबर हिदायत दे रहा है।
उज्जवला योजना में गरीबों को सरकार ने तीन माह तीन टंकियां देने के निर्देश देते हुए उपभोक्ता के खाते में पैसा डाल दिया है। कंपनियों को निर्देश हैं कि लॉकडाउन में अगर डिस्ट्रीब्यूटर डिमांड ड्राफ्ट नहीं भी भेज पा रहा है तों उसे क्रेडिट पर टंकी सप्लाई कर दी जाए।
डिस्ट्रीब्यूटर्स की डिमांड के विपरित कंपनियां उन्हें धड़ल्ले से टंकियां भेज रही है। हालत यह है कि डिस्ट्रीब्यूटर्स के पास एक्सप्लुसिव संग्रहण के लायसेंस के विपरित करीब दोगुना टंकिया गोदामों में रखी हुई हैं।
डिस्ट्रीब्यूटर्स नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं कि कंपनी के ऑफिसर अपने सेल्स टारगेट पूरे करने के कारण डिवीजन में सारे डिस्ट्रीब्यूटर के यहां एक्स्ट्रा सिलेंडर डंप कर रहे हैं। यह सारा माल बिना डिस्ट्रीब्यूटर के कंसर्न या डिमांड के उधारी में भी डंप किया जा रहा है। वर्तमान में स्थिति यह है कि हर डिस्ट्रीब्यूटर के यहां उसकी गोदाम की क्षमता से अधिक सिलेंडर भरे हुए हैं। विस्फोटक अधिनियम के हिसाब से जितनी गोदाम की क्षमता है उससे अधिक माल रखना अपराध की श्रेणी में आता है।
अगर कोई दुर्घटना घटती है, उसकी जिम्मेदारी कंपनी की या डिस्ट्रीब्यूटर की किसकी रहेगी?
गोदाम के आकार के हिसाब से सिलेंडर की क्षमता का लाइसेंस डिस्ट्रीब्यूटर्स को मिलता है। अगर खाद्य विभाग या एक्सप्लोसिव डिपार्टमेंट जांच करता है और एक्सेस माल मिलता है तो इसकी लायबिलिटी कंपनी के किस अधिकारी की होगी?
क्या कंपनी के अधिकारियों को डिस्ट्रीब्यूटर के स्टॉक की जानकारी नहीं रहती है और अगर रहती है तो एक्सेस माल क्यों दिया जा रहा है?
कैपेसिटी से ज्यादा गोडाउन में कंपनी द्वारा किस नियम के तहत माल भेजा जा रहे हैं? ये बताने वाला कोई नहीं है। डरे सहमें डिस्ट्रीब्यूटर्स न कुछ बोल पा रहे हैं, न ही अपनी पीड़ा किसी को बताने के उनके हाल ही हैं।
प्रशासन की हिदायत से उनकी रात की नींद भी उड़ी हुई है और दिन का चैन भी। गर्मी के दिनों में वैसे ही अग्निकांड के मामले ज्यादा होते हैं ऐसे में डिस्ट्रीब्यूटर्स बैचेन और डरे हुए हैं।
उज्जैन में प्रशासन ने दी हिदायत
इस तरह के मामले की उज्जैन जिला खाघ एवं आपूर्ति अधिकारी मोहन मारू को जानकारी मिलने पर उन्होंने व्हॉट्सऐप के पीएमयूवाय उज्जैन ग्रुप पर साफ शब्दों में हिदायत दी। मारू ने स्पष्ट रूप से लिखा कि सभी डीलर्स, सेल्स ऑफिसर्स ध्यान दीजीए कि कहीं भी एक्सप्लुसिव लिमिट से ज्यादा भंडारण न किया जाए,अन्यथा डीलर्स और ऑयल कंपनी के विरुद्ध कार्रवाई की जा सकेगी। सतर्क रहे और एक्सप्लुसिव नियमों का पालन करें।