नई दिल्लीः सीआरपीएफ ने कोविड-19 से लड़ने के लिए अपने जवानों के एक दिन के वेतन से एकत्र की गई 33.81 करोड़ रुपये की राशि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में दी है।
अर्द्धसैनिक बल के एक प्रवक्ता ने कहा कि यह आम सहमति से लिया गया फैसला था और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ‘‘देश के समक्ष कोरोना वायरस के चुनौतीपूर्ण समय में पूरी प्रतिबद्धता के साथ खड़ा है।’’ प्रवक्ता ने कहा, ‘‘यह तय किया गया कि सीआरपीएफ के कर्मचारी प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में एक दिन के वेतन का योगदान करेंगे। प्रयास किया गया कि तुरंत योगदान किया जाए और इसका खुलासा नहीं किया जाए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सेवा और निष्ठा के अपने उद्देश्य के साथ सीआरपीएफ हमेशा तत्पर है।’’ गृह मंत्रालय के तहत आने वाला सीआरपीएफ देश में आंतरिक सुरक्षा और नक्सल विरोधी अभियानों में संलग्न है जिसमें करीब सवा तीन लाख कर्मी हैं।
महाराष्ट्र में अदालतों के अंतरिम आदेश 31 अप्रैल तक लागू रहेंगे
बंबई उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि महाराष्ट्र की अदालतों द्वारा पारित सभी अंतरिम आदेश 31 अप्रैल तक लागू रहेंगे। कोरोना वायरस के चलते जारी 21 दिन के राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के मद्देनजर यह फैसला लिया गया है।
मुख्य न्यायाधीश बीपी धर्माधिकारी की अध्यक्षता में चार न्यायधीशों की पीठ ने यह भी कहा कि राज्य में किसी भी अदालत या प्राधिकरण द्वारा पारित संपत्ति खाली कराने और विध्वंस के आदेश पर 30 अप्रैल तक रोक रहेगी। पीठ ने यह फैसला वरिष्ठ वकीलों के एक समूह द्वारा लिखित एक पत्र पर संज्ञान लेने के बाद लिया, जिसमें कोरोना वायरस से बचाव के मद्देनजर अदालती सुनवाइयां वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कराने का अनुरोध किया गया था।
लॉकडाउन: कोई काम व साधन न होने से दिल्ली में फंसे कई लोग
कोरोना वायरस का मुकाबला करने के लिए लागू किए गए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण सड़क और रेल यातायात बंद होने से प्रवासी श्रमिकों सहित कई लोग परिवहन का कोई साधन न होने के चलते राष्ट्रीय राजधानी में फंसे हुए हैं। आजीविका के लिए कोई काम न होने के कारण दिल्ली में फंसे हुये लोगों में शामिल सुरेश चौधरी ने कहा ‘‘हमने खुद को एक कमरे में बंद कर लिया है क्योंकि कोई काम नहीं है.... हमारी थोड़ी-बहुत जो बचत है, वह भी खत्म हो रही है। हमें नहीं पता कि हम अपना गुजारा कब तक चला सकते हैं।’’
पांच अन्य मजदूरों के साथ एक कमरे में रहने वाले चौधरी कहते हैं, ‘‘मैं एक ऐसी जगह फंस गया हूं जो जेल से भी बदतर है। यहां तक कि जेल में बंद कैदियों को भी हमसे बेहतर भोजन, सुविधाएं मिल रही हैं। मैंने पिछले हफ्ते जो भी थोड़े पैसे कमाए थे, उससे किसी तरह गुजारा कर रहा हूं।’’ सिर्फ चौधरी ही नहीं, बल्कि हजारों प्रवासी कामगार बिना किसी काम या साधन के दिल्ली में फंसे हुए हैं। बुधवार को लागू हुए लॉकडाउन ने उन लोगों को भी प्रभावित किया है, जिन्हें अपने परिवार के लिए घर लौटना बेहद जरूरी है।
उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के निवासी देव पाल ने कहा कि वह अपने बीमार चाचा को देखने के लिए कुछ दिन पहले दिल्ली आए थे। पाल ने कहा, ‘‘मेरे चाचा अस्वस्थ थे और मैं उन्हें देखने के लिए रविवार को पूर्वी दिल्ली के सीमापुरी इलाके में आया था। अब, मुझे बदायूं से फोन आया कि मेरी माँ बीमार है। मैं अपने चाचा के घर से चला आया और अप्सरा बॉर्डर पर पिछले एक घंटे से आनंद विहार तक जाने वाली बस का इंतजार कर रहा हूं। कई बसें गुजरीं, लेकिन कोई भी रोकने के लिए तैयार नहीं है। मुझे किसी तरह बदायूं जाना है।’’
मंगलवार को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए अभूतपूर्व फैसला लेते हुये देशभर में संपूर्ण लॉकडाउन (बंद) की घोषणा की थी। गुरुवार तक भारत में कोरोना वायरस के कुल मामलों की संख्या 649 पहुंच गई है और इससे अब तक 13 लोगों की मौत हो चुकी है।