लॉकडाउन में भी भ्रष्टाचार! बिहार में जीविका समूह बना अवैध वसूली का केंद्र, नीतीश कुमार के सुशासन पर फिर उठ रहे हैं सवाल
By एस पी सिन्हा | Updated: April 24, 2020 15:04 IST2020-04-24T15:04:12+5:302020-04-24T15:04:45+5:30
बिहार में कोरोना लॉकडाउन के बीच गैर सरकारी संस्था जीविका समूह पर एक बार फिर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं। आरोप है कि राशन कार्ड बनाने के काम में लगे जीविक से जुड़े लोग अवैध तरीके से पैसे मांग रहे हैं।

नीतीश कुमार के सुशासन पर सवाल, जीविका समूह पर 'अवैध वसूली' का आरोप (फाइल फोटो)
बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लाख प्रयास के बाद भ्रष्टाचार थमने का नाम नही ले रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिसपर विश्वास कर काम में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से जिम्मेवारी सौंपते हैं, वही अपने धंधे में जुट जाता है. राज्य में महिलाओं के उत्थान हेतू शुरू कराये गये गैर सरकारी संस्था जीविका समूह पर भी अब भ्रष्टाचार के आरोप लगने लगे हैं.
यहां यह भी कहा जा सकता है कि सरकारी कार्य में मिली जिम्मेदारी को जीविका समूह के लोगों के द्वारा आजिविका का साधन बना लिया गया है. इसकी शिकायत बड़े पैमाने पर सामने आने लगी है.
लॉकडाउन तो देखते हुए बिहार सरकार ने राशनकार्ड धारको को तीन महीने के लिए फ्री राशन देने और एक हजार रुपए देने के लिए ऐलान किया है. ऐसे में जिनके पास राशन कार्ड नही है, उन्हें जीविका समूह से जुडी दीदी (महिलाओं) के रिपोर्ट पर राशन और एक हजार रूपये दिये जाने का निर्णय लिया गया है.
वहीं, इस महमारी को देखते हुए जिनके पास राशन कार्ड नही है, उन्हें जल्द से जल्द राशन कार्ड बनवाने को कहा गया है. लेकिन इन सभी कार्यों में लगाइ गई जीविका समूह की दीदियां अपने धंधे में शामिल हो गई हैं. उनके द्वारा राशन कार्ड बनवाने के क्रम में इस काम के लिए वसूली किये जाने की बातें सामने आने लगी हैं. ऐसी खबरें बिहार के कटिहार जिला सहित कई जिलों से सामने आई है.
पूर्वी चंपारण का वीडियो वायरल
पूर्वी चंपारण जिले में तो सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. वीडियो में जीविका दीदी के पति द्वारा राशन कार्ड बनवाने और स्वास्थ्य विभाग से 5 हजार रुपया दिलाने के नाम पर पांच पांच सौ की वसूली की जा रही है. इस तरह कोरोना महामारी को रोकने के लिए लॉकडाउन की वजह से गरीबो, असहायों के लिए जीविका के माध्यम से राशन कार्ड बनवाने की योजना अवैध वसूली की भेंट चढ़ रहा है. वायरल वीडियो में जीविका दीदी के पति द्वारा फॉर्म के साथ हाथ में लिए गए 500 के नोट का गड्डी आसानी से देखा जा सकता है.
वायरल वीडियो पूर्वी चंपारण जिला के पहाडपुर प्रखंड के मंझरिया पंचायत के वार्ड एक व दो की बताई जा रही है. वीडियो में जीविका मित्र पुष्पा कुमारी के पति गुलिष्टा कुमार स्पष्ट रूप से पैसा लेते नजर आ रहे है. कोरोना काल में लोगों तक आसानी से राशन पहुंचाने के लिए जीविका समूह के माध्यम से घर घर जाकर लोगों का नाम इकट्ठा करने की जिम्मेवारी जीविका दीदियों को दी गई है. लेकिन कटिहार में जीविका दीदियां लोगों से राशन कार्ड बनवाने के नाम पर पैसे वसूलने का मामला सामने आया है.
बताया जा रहा है कि चीलमारा गांव के वार्ड नंबर 14 में लोगों ने आरोप लगाया कि जीविका दीदी कार्ड बनाने के नाम पर सभी से 50-50 रुपया की वसूली कर रही हैं. तर्क ये दिया जा रहा है कि वो कागज से जुड़े खर्च के लिए रूपये ले रही हैं. हालांकि ऐसा कोई नियम नहीं है. डहेरिया पंचायत के मुखिया भी ग्रामीणों के बयान के आधार पर ऐसी शिकायत मिलने की बात कह रहे हैं.
इस तरह से राशन कार्ड बनाने के नाम पर जीविका दीदी अब वसूली दीदी की नई भूमिका निभाती दिख रही हैं. कार्ड बनाने के लिए कागज दुरुस्त करने के नाम पर भ्रष्टाचार का ये सारा खेल खेला जा रहा है. यही नहीं इसमें वरीरीय अधिकारियों के नाम का हवाला भी दिया जाता है.
दरअसल जीविका दीदियों को सिर्फ फॉर्म भरवा कर आरटीपीएस काउंटर में जमा करने की जिम्मेदारी दी गई है. यह प्रक्रिया पूरी तरह निशुल्क है. लेकिन ऐसी खबरें बिहार के तमाम ग्रामीण इलाकों से सामने आ रही हैं कि जीविका दीदियां बिना पैसे लिये काम नही करने की बात कह अवैध वसूली में जुटी हुई हैं.
पहले भी आए है जीविका से जुड़े मामले
यह केवल पहला मामला नही है. स्वच्छता अभियान के तहत भी शौचालय के निर्माण संबंधी रिपोर्ट देने की जिम्मेदारी जीविका दीदियों को दी गई है. उसमें भी उनके द्वारा पैसे का भुगतान दिलवाये जाने के एवज में चार सौ रूपये प्रति घर वसूले जाने की बातें सामने आई हैं.
भोजपुर जिले के सहार प्रखंड अंतर्गत कोरनडिहरी पंचायत के अधिन पतरिहां गांव में जिन लोगों ने दीदियों को चढ़ावा चढ़ाया तो उन्हें शौचालय निर्माण का भुगतान आसानी से हो गया. वहीं, जिन लोगों ने उन्हें चढावे के तौर पर चार सौ रूपये नही दुये उन्हें भुगतान प्राप्त करने के लिए नाको चने चबाने पड़ रहे हैं. ऐसी कहानी किसी एक गांव की नही है, बल्कि सभी जगहों की ऐसी ही कहानियां हैं.