विदेश में फंसे भारतीयः सात मई से 13 मई तक 64 विमानों का परिचालन, नागर विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी बोले- खुद देना होगा किराया

By भाषा | Updated: May 5, 2020 17:07 IST2020-05-05T16:58:31+5:302020-05-05T17:07:40+5:30

सोशल डिस्टेंसिंग को बनाए रखने के लिए शादी के कार्यों में 50 से अधिक व्यक्तियों के इकट्ठा होने की अनुमति नहीं है, इसके साथ-साथ मृतक के अंतिम संस्कार में 20 से अधिक व्यक्तियों के इकट्ठा होने की अनुमति नहीं है: पुण्य सलिला श्रीवास्तव संयुक्त सचिव, गृह मंत्रालय

Corona virus India lockdown 64 flights operated 1st week operation bring stranded Indians different countries May 7 to May 13 Civil Aviation Minister Hardeep Singh Puri | विदेश में फंसे भारतीयः सात मई से 13 मई तक 64 विमानों का परिचालन, नागर विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी बोले- खुद देना होगा किराया

लंदन-दिल्ली उड़ान के लिए प्रति यात्री किराया 50 हजार रुपये है जबकि ढाका-दिल्ली उड़ान के लिए किराया 12 हजार रुपये है। (photo-ani)

Highlights विदेशों में फंसे भारतीयों को वापस लाने वाले 64 विमानों में से नौ देशों से आने वाले 11 विमान तमिलनाडु में उतरेंगे। विमानन मंत्री ने कहा कि दूसरे देशों से लौटने वाले लोगों की जांच की जाएगी, 14 दिनों तक पृथक-वास में रखा जाएगा।

नई दिल्लीः केंद्र ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि कोविड-19 महामारी की वजह से लागू लॉकडाउन और यात्रा प्रतिबंधों के चलते, विदेशों में फंस गए भारतीयों को सात मई से वापस लाया जाएगा।

नागर विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि विदेशों में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए सात मई से 13 मई तक 64 विमानों का परिचालन होगा। विदेशों में फंसे भारतीयों को वापस लाने वाले 64 विमानों में से नौ देशों से आने वाले 11 विमान तमिलनाडु में उतरेंगे। 

हरदीप सिंह पुरी ने मंगलवार को कहा कि एयरइंडिया कोविड-19 के कारण लगे लॉकडाउन के चलते विदेश में फंसे करीब 15000 भारतीय नागरिकों को देश वापस लाने के लिए सात से 13 मई तक 64 उड़ानों का परिचालन करेगी। मंत्री ने ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में कहा कि निजी भारतीय एयरलाइन्स भी 13 मई के बाद इस अभियान में शामिल हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि इन उड़ानों का लाभ उठाने वाले लोगों को शुल्क वहन करना होगा। उन्होंने कहा कि लंदन-दिल्ली उड़ान पर यात्री से 50,000 रुपये शुल्क लिया जाएगा जबकि ढाका-दिल्ली उड़ान पर उसे 12,000 रुपये देना होगा।

पुरी के अनुसार विदेश से लौटने के बाद कोविड-19 एहतियात के तहत सभी यात्रियों की स्क्रीनिंग की जाएगी और उन्हें 14 दिन तक पृथक-वास में रखा जाएगा। एयर इंडिया और उसकी सहायक कंपनी एयर इंडिया एक्सप्रेस संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन, अमेरिका, कतर, सऊदी अरब, सिंगापुर, मलेशिया, फिलीपीन, बांग्लादेश, बहरीन, कुवैत और ओमान समेत 12 देशों से भारतीयों को वापस लाने के लिए 64 उड़ानों को संचालित करेगी।

मंत्री ने बताया कि भारत विदेश से भारतीयों को वापस लाने के लिए सात मई से 13 मई तक संयुक्त अरब अमीरात के लिए 10, अमेरिका और ब्रिटेन के लिए सात-सात, सऊदी अरब के लिए पांच, सिंगापुर के लिए पांच और कतर के लिए दो उड़ानें भेजेगा। उन्होंने बताया कि इसी तरह मलेशिया और बांग्लादेश के लिए सात-सात, कुवैत और फिलीपीन के लिए पांच-पांच तथा ओमान एवं बहरीन के लिए दो-दो उड़ानें भेजी जाएंगी। देश में कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए 25 मार्च से लॉकडाउन है तथा इस दौरान सभी वाणिज्यिक यात्री उड़ानें निलंबित रही हैं। 

देश के शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने कहा कि सशस्त्र बल खाड़ी के देशों और अन्य क्षेत्रों में फंसे हजारों भारतीयों को स्वदेश वापस लाने में अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार है। सेना ने मिशन के लिए विमान और नौसैनिक जहाजों को तैयार रखा है। सरकार कोरोना वायरस को रोकने के लिए लगे लॉकडाउन के कारण दुनिया के विभिन्न हिस्सों में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए एक बड़ी योजना पर काम कर रही है।

प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने तीनों सेना प्रमुखों के साथ एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘जो भी सहायता की आवश्यकता है, हम उसे पूरा करेंगे।’’ वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने कहा कि मालवाहक विमान का एक बेड़ा बिल्कुल तैयार है और सरकार जो भी कार्य सौंपेगी, वायु सेना उसे करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने कहा कि नौसेना भी विदेशों में फंसे भारतीयों को निकालने में अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार है।

विदेशों में फंसे भारतीयों को सात मई से वापस लाया जाएगा: केंद्र ने उच्चतम न्यायालय को बताया

केंद्र ने विदेशों में फंसे भारतीयों से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ को दी। पीठ उस याचिका पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई कर रही थी जिसमें केंद्र को यह निर्देश देने का आग्रह किया गया था कि वह उत्तराखंड में फंसे नेपाल के प्रवासी मजदूरों की वापसी का सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित करे। शीर्ष अदालत से केंद्र को नेपाल में फंसे भारतीयों को वापस लाने का निर्देश दिए जाने का भी आग्रह किया गया था।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति बी आर गवई की भी सदस्यता वाली पीठ को बताया कि मामले में उन्हें जानकारी दी गई है कि नेपाल सहित विभिन्न देशों में फंसे भारतीयों को सात मई से वापस लाने की शुरुआत की जाएगी। याचिकाकर्ता गंगा गिरि गोस्वामी की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्वेस ने पीठ को बताया कि उत्तराखंड में भारत-नेपाल सीमा पर फंसे अनेक प्रवासी मजदूरों को नेपाल वापस जाने की अनुमति मिल गई, लेकिन इनमें से 200 से अधिक लोग ऐसे हैं जो अब भी चंपावत जैसे स्थानों पर फंसे हैं और उन्हें अब तक वापस नहीं भेजा गया है। उन्होंने कहा कि लगभग एक हजार भारतीय भी नेपाल में फंसे हैं और वे वहां खराब स्थिति में हैं।

मेहता ने पीठ को बताया कि नेपाल में फंसे भारतीयों को भोजन और दवा जैसी चीजें उपलब्ध कराई गई हैं तथा सरकार वहां स्थित दूतावास के संपर्क में है। न्यायालय ने दोनों पक्षों के बयानों का अध्ययन कर याचिका का निपटारा कर दिया। याचिकाककर्ता ने इससे पहले 30 अप्रैल को न्यायालय से कहा था कि नेपाल के करीब 1,700 प्रवासी मजदूर लॉकडाउन के चलते उत्तराखंड में भारत-नेपाल सीमा पर फंसे हैं और केंद्र को उन्हें उनके देश वापस जाने की अनुमति देनी चाहिए।

शीर्ष अदालत 20 अप्रैल के उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर रही थी। उच्च न्यायालय ने मामले में यह कहकर निर्देश देने से इनकार कर दिया था कि यह केंद्र सरकार के अधिकारक्षेत्र में अतिक्रमण करने जैसा होगा। शीर्ष अदालत में जिरह के दौरान 30 अप्रैल को गोंजाल्वेस ने कहा था कि नेपाल के उच्चतम न्यायालय ने नेपाल सरकार को सात अप्रैल को निर्देश दिया था कि वह भारत में फंसे अपने नागरिकों को सीमा पार कर स्वदेश वापस आने दे। उत्तराखंड उच्च न्यायालय में जिरह के दौरान राज्य के वकील ने कहा था कि उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश में फंसे नेपाली नागरिकों के लिए पिथौरागढ़ और चंपावत जिलों में अस्थायी आश्रयगृह बनाए हैं और उन्हें वहां उचित भोजन-पानी और रोजमर्रा की अन्य चीजें उपलब्ध कराई जा रही हैं। 

यूएई से सात मई को दो विशेष उड़ानों से भारतीयों को वापस लाया जाएगा, केरलवासियों को प्राथमिकता

कोविड-19 वैश्विक महामारी के चलते संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए बृहस्पतिवार (सात मई) को दो विशेष उड़ानों का परिचालन किया जाएगा। इन उड़ानों में सबसे पहले केरल के आवेदकों को भेजा जाएगा क्योंकि स्वदेश वापसी के लिए पंजीकरण करवाने वालों में सबसे अधिक संख्या में इस राज्य के प्रवासी शामिल हैं। यूएई में भारत के राजदूत पवन कुमार ने यह बात कही। सोमवार को भारत सरकार ने सात मई से विदेश में फंसे अपने नागरिकों को वापस लाने के लिए योजना की घोषणा की थी।

गल्फ न्यूज ने कपूर के हवाले से कहा, '' मिशन ने प्राथमिकता वाले यात्रियों की सूची एअर इंडिया को सौंप दी है। हम प्रत्येक यात्री को टिकट प्राप्त करने के लिए कॉल और ई-मेल के जरिए एअर इंडिया से संपर्क करने के बाबत सूचित करेंगे। राज्य से आवेदकों की सबसे अधिक संख्या होने के चलते बृहस्पतिवार की पहली दो उड़ानें केरल के लिए होंगी।'' राजदूत ने कहा कि आवेदकों की ओर से बताए गए गंतव्यों के मुताबिक लगभग दैनिक स्तर पर उड़ानों का संचालन किया जाएगा। वहीं, कोच्चि में मंगलवार को एक रक्षा प्रवक्ता ने कहा कि नौसेना के एक जहाज को दुबई भेजा गया है। वतन वापसी के इच्छुक भारतीयों को लाने के लिए आईएनएस शरदुल को दुबई की तरफ भेजा गया है जोकि कोच्चि वापस लौटेगा।

सोमवार को जारी एक बयान में बताया गया कि अबु धाबी से कोच्चि और दुबई से कोझिकोड तक की इन दो उड़ानों के लिए यात्रियों की सूची पर अंतिम निर्णय दुबई में भारतीय दूतावास और भारतीय महावाणिज्य दूतावास लेंगे। बयान में कहा गया कि यह सूची दूतावास या महावाणिज्य दूतवास के डेटाबेस में मौजूद पंजीकरणों के आधार पर बनाई जाएगी। इस आशय के लिए पंजीकरण की प्रक्रिया कुछ दिनों पहले शुरू की गई थी। बयान के मुताबिक, प्राथमिकता संकट में फंसे श्रमिकों, बुजुर्गों, आवश्यक चिकित्सा मामलों, गर्भवती महिलाओं के साथ ही कठिन परिस्थिति में फंसे अन्य लोगों को दी जाएगी।

बयान में कहा गया कि हवाई टिकट केवल उन्हीं लोगों के लिए जारी किए जाएंगे जिनके नाम दूतावास या महावाणिज्य दूतावास द्वारा बनाई गई यात्री सूची में होंगे। इसमें कहा गया कि दूतावास आने वाले दिनों में भारत जाने वाली अन्य उड़ानों के ब्योरे भी उपलब्ध कराएगा और उन विमानों में भी यात्री सूची के नामों पर अंतिम निर्णय लेने की प्रक्रिया यही रहेगी। बयान में कहा गया कि वापस जाने के लिए करीब 2,00,000 पंजीकरण कराए गए हैं इसलिए सभी लोगों को विमानों में जगह दे पाने में समय लगेगा।

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