कोरोना वायरस: 80 फीसदी आईसीयू बेड आरक्षित रखने के मामले में अदालत 12 नवंबर को करे विचार: न्यायालय

By भाषा | Updated: November 10, 2020 21:25 IST2020-11-10T21:25:40+5:302020-11-10T21:25:40+5:30

Corona virus: Court to consider in case of reserve 80 percent ICU beds on November 12: Court | कोरोना वायरस: 80 फीसदी आईसीयू बेड आरक्षित रखने के मामले में अदालत 12 नवंबर को करे विचार: न्यायालय

कोरोना वायरस: 80 फीसदी आईसीयू बेड आरक्षित रखने के मामले में अदालत 12 नवंबर को करे विचार: न्यायालय

नयी दिल्ली, 10 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने राजधानी के 33 निजी अस्पतालों में कोविड-19 मरीजों के लिए 80 प्रतिशत आईसीयू बेड (बिस्तर) आरक्षित करने के फैसले पर दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दिल्ली सरकार को किसी प्रकार की अंतरिम राहत देने से मंगलवार को इंकार कर दिया, लेकिन उच्च न्यायालय से कहा कि इस मामले में 12 नवंबर को सुनवाई की जाये।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की पीठ ने दिल्ली सरकार से कहा कि वह उच्च न्यायालय जाये और साथ ही अदालत से अनुरोध किया कि 27 नवंबर को सूचीबद्ध इस मामले पर 12 नवंबर को सुनवाई की जायें।

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘उपरोक्त के मद्देनजर, हमारा विचार है कि इस मामले के तथ्यों और संबंधित पक्षों के आग्रह को देखते हुये हम संबंधित पीठ से एलपीए पर 12 नवंबर को विचार करने का अनुरोध करें।’’

दिल्ली सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने पीठ से कहा कि इस मामले में जल्द सुनवाई की जरूरत है क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 के मरीजों की रोजाना बढ़ती संख्या के मद्देनजर आईसीयू बिस्तर उपलब्ध कराने की आवश्यकता है।

पीठ ने कहा, ‘‘पक्षकार संबंधित खंडपीठ के समक्ष जैसी सलाह दी जाये, उसके अनुसार ऐसी प्लीडिंग्स और कथन पेश करने के लिये स्वतंत्र होंगे। याचिकाकर्ता के वकील इस मामले को 12 नवंबर को सूचीबद्ध करने के लिये यह आदेश मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखेंगे। इन टिप्पणियों के साथ इन विशेष अनुमति याचिकाओं का निस्तारण किया जाता है।’’

इससे पहले, सुनवाई शुरू होते ही संजय जैन ने कहा कि यह किसी के खिलाफ वाद नहीं है ओर दिल्ली सरकार ने स्थिति की समीक्षा के बाद कोविड-19 के मरीजों के लिये आईसीयू में 80 फीसदी बेड आरक्षित रखने का निर्णय लिया है। हालांकि इससे पहले स्थिति सामान्य होने पर कुछ समय बाद ही यह व्यवस्था खत्म कर दी गयी थी।

शीर्ष अदालत ने जैन से कहा कि खंडपीठ के आदेश पर नजर डालें जो कहता है कि अपीलकर्ता (दिल्ली सरकार) के अनुसार इस पर सुनवाई 27 नवंबर के लिये स्थगित की गयी।

जैन ने जवाब दिया कि इस मामले में बहस के लिये दिल्ली सरकार ने जिस अधिवक्ता की सेवायें ली थीं वह मधुमेह से पीड़ित हैं और मामले में बहस के लिये पूरी तरह ठीक नहीं थे। इसी वजह से सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध किया गया था लेकिन यह 27 नवंबर नहीं हो सकती क्योंकि राजधानी में कोविड-19 के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।

पीठ ने जैन से सवाल किया कि दिल्ली सरकार मामले की सुनवाई पहले करने का उच्च न्यायालय से अनुरोध क्यों नही कर सकती। आप तात्कालिक समस्या से अवगत करायें और जल्दी सुनवाई करने का अनुरोध करें।

जैन ने कहा कि इस समय कोविड-19 के मरीजो की संख्या रोजाना 7,000 से ज्यादा हो रही है।

पीठ ने कहा कि यह घटती बढ़ती स्थिति है क्योंकि एक समय 1,000 मरीज प्रतिदिन हो गयी थी, लेकिन दिल्ली सरकार ने न्यायालय के समक्ष ऐसी कोई सामग्री पेश नहीं की जिससे पता चले कि कोविड-19 के मरीजों के लिये बिस्तर उपलब्ध नहीं हैं।

जैन ने कहा कि बड़ी संख्या में लोग दिल्ली से बाहर से आते हैं और निजी अस्पतालों के आईसीयू बेड का इस्तेमाल करके अपना इलाज कराते हैं।

उन्होंने कहा कि विशेषज्ञ समिति ने 3,500 बेड की उपलब्धता के स्थान पर 6,000 आईसीयू बेड रखने का सुझाव दिया था और अगर अधिसूचना बरकरार रखी गयी तो दिल्ली में 300 से 500 अतिरिक्त बेड उपलब्ध रहेंगे।

उन्होंने कहा कि राजधानी के 133 अस्पतालों में से सिर्फ 33 अस्पताल ही आरक्षित किये गये हैं। इस पर पीठ ने कहा कि इन तथ्यों से उच्च न्यायालय को अवगत करायें।

दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने वाले ‘एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स’ की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनिन्दर सिंह ने कहा कि खंडपीठ से अनुरोध किया जा सकता है कि अपनी सुविधानुसार इस पर विचार करे।

जैन ने पीठ से आग्रह किया कि उच्च न्यायालय की खंडपीठ से मामले की सुनवाई बुधवार को करने को कहा जाए, क्योंकि अधिक नुकसान हो गया तो सुनवाई के कोई मायने नहीं रह जाएंगे।

उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने 22 सितम्बर को दिल्ली सरकार के 12 सितम्बर के आदेश पर रोक लगा दी थी। दिल्ली सरकार ने राजधानी के 33 बड़े निजी अस्पतालों में आईसीयू के 80 प्रतिशत बेड कोविड-19 के मरीजों के लिये आरक्षित रखने का आदेश दिया था।

एकल पीठ ने कहा था कि निजी अस्पतालों को आईसीयू के 80 प्रतिशत बेड कोविड-19 के मरीजों के लिये आरक्षित रखने का आदेश अन्य बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा।

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Web Title: Corona virus: Court to consider in case of reserve 80 percent ICU beds on November 12: Court

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