नई दिल्लीः कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। केंद्र व राज्य सरकारों की लाख कोशिशों के बावजूद भी प्रकोप थमता नजर नहीं आ रहा है। देश में कोरोना के मरीज 52 लाख से पार हो गए हैं। इस बीच देश में पिछले 24 घंटों के दौरान कोरोना के 96,424 नए मामले सामने आए। यह जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से दी गई है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से बुधवार सुबह जारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले 24 घंटों में 1174 मरीजों की मौत हुई है। अबतक 5214,678 मामले सामने आ चुके हैं, जिसमे से 10,17,754 सक्रिय मामले हैं और 41,12,552 लाख ठीक हो गए हैं, जिन्हें अस्पतालों से छुट्टी दे दी गई है। वहीं, 84,372 मरीजों की मौत हो चुकी है।
स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्द्धन नेकहा कि देश में कोविड-19 से होने वाली मौत की दर फिलहाल, दुनिया के अन्य देशों की तुलना में सबसे कम (1.64) फीसदी है और सरकार का लक्ष्य इस मृत्यु दर को घटा कर एक फीसदी से भी कम करने का है।
कोरोना वायरस महामारी पर राज्यसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्द्धन ने कहा कि भारत में कोविड मरीजों के स्वस्थ होने की दर 78 से 79 फीसदी है। भारत कोविड-19 से स्वस्थ होने की उच्च दर वाले गिने-चुने देशों में शामिल है। हर्षवर्द्धन ने कहा कि कोरोना वायरस के कुल मामलों की संख्या भले अधिक हो लेकिन अस्पतालों में इलाज करा रहे कोविड मरीजों की संख्या 20 फीसदी से कम है।
उन्होंने कहा कि भारत में कोविड महामारी की वजह से जान गंवाने वाले लोगों की संख्या यूरोप के कई देशों की तुलना में कम है। मंत्री ने कहा कि सरकार भारत में अमेरिका की तुलना में अधिक कोविड जांच करने पर विचार कर रही है। अगले साल के शुरू में कोरोना वायरस का टीका देश में तैयार हो जाने की उम्मीद है लेकिन तब तक लोगों के लिए मास्क पहनने और सुरक्षित दूरी जैसी सावधानियों का पालन करना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि कोविड के मामलों में वृद्धि के बावजूद देश में मृत्यु दर का दुनिया के देशों की तुलना में कम होने का श्रेय जांच, संक्रमित लोगों को पृथक-वास में रखने, सुरक्षित दूरी जैसे उपायों को दिया जा सकता है। उन्होने स्पेन और ब्राजील का उदाहरण देते हुए कहा कि इन देशों में भारत की तुलना में मृत्यु दर 11 फीसदी अधिक है।
भारत उन कुछ देशों में है जहां रोजाना बड़ी संख्या में जांच की जा रही है। देश में प्रयोगशालाओं के बेहतर नेटवर्क और इस तरह की अन्य सुविधाओं से इसमें पर्याप्त सहायता मिली है। इस उपलब्धि के आधार पर प्रति दस लाख पर जांच में तेजी से बढ़ोतरी हुई है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने जोर देकर कहा कि वह बढ़ते क्रम की निरंतरता की इस प्रवृत्ति को बनाए रखेगा। जनवरी में सिर्फ पुणे में देश की एकमात्र प्रयोगशाला थी और अब देश में इसकी संख्या बढ़ कर 1678 हो गई है। इसमें 1,040 प्रयोगशालाएं सार्वजनिक क्षेत्र की जबकि 638 प्रयोगशालाएं निजी क्षेत्र की हैं।