MP Ki Taja Khabar: इंदौर के सामने लॉकडाउन के बाद होगी बड़ी चुनौती, बिना लक्षण वाले मरीज बन सकते हैं बड़ा खतरा

By भाषा | Updated: April 22, 2020 13:34 IST2020-04-22T13:34:47+5:302020-04-22T13:34:47+5:30

इंदौर में कोरोना महामारी के सबसे व्यस्त अस्पताल में डॉक्टरों को पिछले एक महीने में 50 फीसदी मरीज ऐसे मिले हैं जिनमें शुरुआत में कोविड-19 के आम लक्षण नहीं पाये गये थे।

Corona Crisis: Unintended Patients Can Become Big Danger After Lockdown in Indore | MP Ki Taja Khabar: इंदौर के सामने लॉकडाउन के बाद होगी बड़ी चुनौती, बिना लक्षण वाले मरीज बन सकते हैं बड़ा खतरा

इंदौर में बिना लक्षण वाले अनचीन्हे मरीज बन सकते हैं बड़ा खतरा (photo-social media)

Highlightsइंदौर में पिछले एक महीने में 50 फीसद मरीज ऐसे मिले जिनमें शुरुआत में बीमारी के आम लक्षण नहीं शहर के एक अन्य कोविड-19 अस्पताल में बिना लक्षण वाले मरीज मिलने की दर करीब 73 प्रतिशत है

मध्यप्रदेश: देश में कोविड-19 के 'हॉटस्पॉट' बने इंदौर में इस महामारी के सबसे व्यस्त अस्पताल में डॉक्टरों को पिछले एक महीने में 50 फीसद मरीज ऐसे मिले हैं जिनमें शुरुआत में इसके आम लक्षण नहीं पाये गये थे। इस बात से चिंतित सामाजिक कार्यकर्ताओं ने 30 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहर में लॉकडाउन खुलने के बाद ऐसे अनचीन्हे मरीजों से संभावित बड़े खतरे के प्रति सरकार को आगाह किया है।

श्री अरबिंदो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (सैम्स) में छाती रोग विभाग के प्रमुख डॉ. रवि डोसी ने बुधवार को  बताया, 'मैं पिछले एक महीने के दौरान कोविड-19 के लगभग 550 मरीज देख चुका हूं। शुरूआत में इनमें से 275 मरीजों में इस महामारी के आम लक्षण नहीं दिखायी दिये थे।' 

उन्होंने बताया, 'कोविड-19 के सामान्य लक्षणों में शारीरिक कमजोरी, गले में खराश, सर्दी, सूखी खांसी और बुखार शामिल हैं।'

शहर के एक अन्य कोविड-19 अस्पताल में बिना लक्षण वाले मरीज मिलने की दर करीब 73 प्रतिशत है। शासकीय मनोरमा राजे टीबी (एमआरटीबी) चिकित्सालय में कोविड-19 मरीजों का इलाज कर रहे एक डॉक्टर ने बताया कि इस अस्पताल में पिछले एक महीने में इस महामारी के 90 मरीज देखे गये हैं। लेकिन इनमें से 66 मरीजों में इस महामारी के आम लक्षण नजर नहीं आये।

स्वास्थ्य क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता अमूल्य निधि ने कहा, 'सरकार को चाहिये कि वह इंदौर में आम लोगों की स्क्रीनिंग और उनके नमूनों की जांच की रफ्तार बढ़ाये ताकि लॉकडाउन खुलने से पहले कोविड-19 के बिना लक्षण वाले ज्यादा से ज्यादा मरीजों की पहचान कर उन्हें अस्पतालों में भर्ती कराया जा सके। वरना ये अनचीन्हे मरीज इस घनी आबादी वाले शहर में लॉकडाउन खुलने के बाद कई लोगों को संक्रमित कर सकते हैं।' 

उन्होंने कहा, 'लॉकडाउन खुलने के बाद इंदौर में सामान्य आर्थिक, सामाजिक, वाणिज्यिक और औद्योगिक गतिविधियां बहाल होंगी और अधिकांश इलाकों में पहले की तरह भीड़ दिखायी देगी। ऐसे में सरकार को विस्तृत कार्ययोजना बनाकर खासकर बिना लक्षण वाले मरीजों की लगातार खोज करनी चाहिये और इसे वॉर्ड स्तर पर अमली जामा पहनाना चाहिये।' 

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) प्रवीण जड़िया ने बताया कि पिछले एक महीने में इंदौर जिले के 4,000 से ज्यादा लोगों के नमूने अलग-अलग प्रयोगशालाओं में जांचे गये हैं। अब तक इनमें से 923 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाये गये हैं। इनमें से 52 लोगों की इलाज के दौरान मौत हो चुकी है, जबकि 72 लोगों को स्वस्थ होने पर अस्पतालों से छुट्टी दी जा चुकी है। आंकड़ों की गणना के मुताबिक जिले में कोविड-19 के मरीजों की मृत्यु दर बुधवार सुबह तक की स्थिति में 5.63 प्रतिशत थी।

जिले में इस महामारी के मरीजों की मृत्यु दर पिछले कई दिन से राष्ट्रीय औसत से कहीं ज्यादा बनी हुई है। इस बीच, अधिकारियों ने बताया कि स्थानीय नागरिकों के बीच कोविड-19 के सर्वेक्षण और स्क्रीनिंग के जारी अभियान को तेज करने के लिये इंदौर नगर निगम की 1,800 टीमों को मैदान में उतार दिया गया है।

स्वास्थ्य विभाग के दल पहले ही इस काम में जुटे हैं। केंद्र सरकार कह चुकी है कि इंदौर, देश के उन स्थानों में शामिल है जहां कोविड-19 को लेकर हालात ‘‘विशेष रूप से गंभीर’’ हैं और लॉकडाउन के नियमों के उल्लंघन से कोरोना वायरस के और फैलने का खतरा है।

इंदौर में कोरोना वायरस के पहला मरीज मिलने के बाद से प्रशासन ने 25 मार्च से शहरी सीमा में कर्फ्यू लगा रखा है, जबकि अन्य स्थानों में लॉकडाउन लागू है। 

Web Title: Corona Crisis: Unintended Patients Can Become Big Danger After Lockdown in Indore

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