लाइव न्यूज़ :

दोषसिद्धि पर रोक नहीं होने की स्थिति में दोषी व्यक्ति चुनाव लड़ने के अयोग्य: न्यायालय

By भाषा | Updated: December 9, 2020 20:31 IST

Open in App

नयी दिल्ली, नौ दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि अगर आपराधिक मामले में दोषी ठहराये गये व्यक्ति को दो साल या इससे ज्यादा की सजा होती है और अगर उसकी दोषसिद्धि पर रोक नहीं लगाई जाती है तो ऐसा व्यक्ति जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत चुनाव लड़ने के अयोग्य है।

शीर्ष अदालत ने 2019 के लोकसभा चुनाव में केरल के एर्नाकुलम संसदीय सीट पर सरिता एस नायर का नामांकन पत्र निरस्त करने के निर्वाचन अधिकारी के फैसले के खिलाफ दायर अपील पर सुनाये गये फैसले में यह टिप्पणी की। न्यायालय ने सरिता नायर की अपील खारिज कर दी।

निर्वाचन अधिकारी ने केरल में सौर घोटाले से संबंधित आपराधिक मामले में नायर को दोषी ठहराये जाने और उसे सजा होने के तथ्य के मद्देनजर उसका नामांकन पत्र निरस्त कर दिया था। इस सीट पर कांग्रेस के हिबी एडेन विजयी हुये थे।

नायर ने वायनाड संसदीय सीट पर कांग्रेस के राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिये दाखिल नामांकन पत्र इसी आधार पर निरस्त किये जाने को चुनौती देते हुये अपील दायर की थी। यह अपील दो नवंबर को न्यायालय ने खारिज कर दी थी।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने नायर की इस दलील को अस्वीकार कर दिया कि उसका नामांकन पत्र निरस्त करना गलत था, क्योंकि उसकी तीन साल की सजा को अपीली अदालत ने निलंबित कर दिया था।

पीठ ने कहा कि सजा के अमल का निलंबन दोषसिद्धि की स्थिति नहीं बदलता है और इसलिए ऐसा व्यक्ति चुनाव लड़ने के अयोग्य ही रहेगा।

शीर्ष अदालत ने केरल उच्च न्यायालय की इस व्यवस्था के लिये आलोचना की कि नायर की याचिका में तीन त्रुटियों-उचित सत्यापन, अधूरी प्रार्थना और पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ आरोप-का सुधार नहीं किया जा सकता था।

शीर्ष अदालत ने कहा कि ये त्रुटियां सुधार योग्य थीं और याचिकाकर्ता को इन्हें दूर करने का अवसर दिया जाना चाहिए था।

न्यायालय ने कहा कि जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8(3) के प्रावधान से स्पष्ट है कि सजा के अमल पर रोक लगाना अयोग्यता के दायरे से बाहर निकलने के लिये पर्याप्त नहीं है। न्यायालय ने कहा कि सजा के अमल का निलंबन दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 389 के संदर्भ में पढ़ना होगा। इस प्रावधान के अंतर्गत सजा नहीं बल्कि सजा पर अमल निलंबित किया गया है।

शीर्ष अदालत ने नायर का नामांकन निरस्त करने के निर्वाचन अधिकारी के निर्णय को सही ठहराते हुये कहा कि जब तक दोषसिद्धि पर रोक नहीं होगी, धारा 8 (3) के अंतर्गत अयोग्यता प्रभावी रहेगी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

भारतAadhaar Biometric Lock: स्कैमर्स कभी नहीं कर पाएंगे आधार कार्ड का मिस यूज, मिनटों में लॉक करें अपना आधार

पूजा पाठगोवा अग्निकांड: कौन हैं सौरभ लूथरा? अरपोरा के बर्च नाइट क्लब के संस्थापक आग में 25 लोगों की मौत के बाद अब पुलिस जांच के दायरे में

भारतAdventure Tourism Summit 2025: एडवेंचर टूरिज्म कार्यक्रम के लिए है कश्मीर, जानें क्या कुछ होगा खास

क्रिकेटSMAT 2025: यशस्वी जायसवाल मुंबई टीम से जुड़े, सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में दिखाएंगे अपनी बैटिंग का जलवा

भारतबारिश की कमी से कश्मीर में गंभीर जलसंकट, सारा दारोमदार बर्फ पर टिका

भारत अधिक खबरें

भारतIndiGo Crisis: DGCA ने इंडिगो को भेजा नोटिस, प्लाइट्स कैंसिल का मांगा जवाब

भारतGoa Club fire: नाइट क्लब के ऑनर और मैनेजर के खिलाफ FIR दर्ज, अग्निकांड हादसे की जांच में जुटी पुलिस

भारतजब आग लगी तो ‘डांस फ्लोर’ पर मौजूद थे 100 लोग?, प्रत्यक्षदर्शी बोले- हर कोई एक-दूसरे को बचा रहा था और यहां-वहां कूद रहे थे, वीडियो

भारतडांस फ्लोर पर लगी आग..., कुछ ही पलों में पूरा क्लब आग की लपटों में घिरा, गोवा हादसे के चश्मदीद ने बताया

भारतगोवा के नाइट क्लब में भीषण आग, 25 लोगों की गई जान; जानें कैसे हुआ हादसा