लाइव न्यूज़ :

राजनीतिक दलों की आयकर विवरणी मांगने पर आयकर विभाग का विरोधाभासी बयान

By भाषा | Updated: June 29, 2021 17:08 IST

Open in App

नयी दिल्ली, 29 जून सूचना का अधिकार (आरटीआई)कानून के तहत राजनीतिक दलों की आयकर विवरणी (रिटर्न) के बारे में जानकारी मांगे जाने पर आयकर (आईटी) विभाग ने पहले तो यह कहा कि उसके पास इस संबंध में जानकारी उपलब्ध नहीं है और फिर बाद में उसने विरोधाभासी जवाब में छूट संबंधी उपनियम का हवाला देते हुए सूचना देने से इनकार कर दिया। यह दावा एक आरटीआई कार्यकर्ता ने मंगलवार को किया।

आरटीआई मामलों की सर्वोच्च निर्णायक संस्था केंद्रीय सूचना आयोग ने 2008 में आदेश दिया था कि पारदर्शिता कानून के तहत राजनीतिक दलों की कर विवरणी का खुलासा किया जाना चाहिए और इसके बाद के कई आदेशों में भी उसने अपना यह रुख बार-बार दोहराया।

आरटीआई कार्यकर्ता वेंकटेश नायक ने पिछले 10 साल में राजनीतिक दलों द्वारा दाखिल कर विवरणी प्राप्त करने के लिए आयकर विभाग से संपर्क किया। आरटीआई ने जवाब दिया, ‘‘आवेदक को सूचित किया जाता है कि जो जानकारी मुहैया कराने का अनुरोध किया गया है, उसे केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) द्वारा पंजीकृत जानकारी के रूप में नहीं रखा गया है और न ही मौजूदा नियमों के तहत सीपीआईओ के लिए इस जानकारी को रखना आवश्यक है।’’

आईटी विभाग के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी ने उच्चतम न्यायालय के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा कि यदि मांगी गई जानकारी लोक प्राधिकरण के रिकॉर्ड में नहीं है और यदि किसी कानून या नियम के तहत इसे रिकॉर्ड में रखने की अनिवार्यता नहीं है, तो ऐसे मामले में यह अधिनियम लोक प्राधिकारी पर दायित्व नहीं डालता कि वह ऐसी गैर-उपलब्ध जानकारी को एकत्र करे या उसका मिलान करे और उसे आवेदक को मुहैया कराए।

सीपीआईओ ने आरटीआई अधिनियम से छूट देने वाले 10 उपनियमों में से पांच का हवाला देते हुए रेखांकित किया कि मांगी गई जानकारी उनके पास नहीं है और यह छूट के दायरे में आती है। उन्होंने शीर्ष अदालत के एक अन्य आदेश का भी हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि कर देने वालों से संबंधित जानकारी व्यक्तिगत जानकारी है जो आरटीआई अधिनियम के तहत छूट प्राप्त है।

नायक ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘सीपीआईओ ने इस आरटीआई आवेदन का बिल्कुल विरोधाभासी जवाब दिया। पहले उन्होंने दावा किया कि उसके पास जानकारी नहीं है। उन्होंने यह भी दावा किया कि सूचना आरटीआई आवेदन में बताए गए वांछित प्रारूप में उपलब्ध नहीं है। उन्होंने जानकारी देने से इनकार करने को सही ठहराते हुए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले से उस पैरा का इस्तेमाल किया, जिसका पहले भी बहुत बार इस्तेमाल किया गया है। फिर उन्होंने यह भी दावा किया कि छूट संबंधी 10 में से पांच उपनियम मांगी गई जानकारी पर लागू होते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘उनके अनुसार, जो जानकारी उनके पास है ही नहीं, उस पर छूट कैसे लागू हो सकती है। सीपीआईओ यह भी नहीं जानता कि यह किसके पास हो सकती है। यह एक बड़ा सवाल है जिसे उन्होंने यह विरोधाभासी जवाब जारी करते समय नहीं देखा।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

भारतभवानीपुर विधानसभा क्षेत्रः 45,000 मतदाताओं के नाम काटे?, सीएम ममता बनर्जी लड़ती हैं चुनाव, घर-घर जाएगी TMC

भारत3 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों की मसौदा मतदाता सूची में 12.32 करोड़ मतदाताओं के नाम, 27 अक्टूबर को 13.36 करोड़ लोग थे शामिल, 1 करोड़ से अधिक बाहर

भारतदिल्ली में 17 दिसंबर को ‘लोकमत पार्लियामेंटरी अवॉर्ड’ का भव्य समारोह

कारोबारShare Market Today: हरे रंग के साथ शुरू हुआ कारोबार, TCS, बजाज फाइनेंस समेत इन कंपनियों के शेयर को मुनाफा

बॉलीवुड चुस्कीYear Ender 2025: बॉलीवुड में ये बड़ी कॉन्ट्रोवर्सी, जिसने सबसे ज्यादा बटोरी सुर्खियां; जानें यहां

भारत अधिक खबरें

भारतDelhi: 18 दिसंबर से दिल्ली में इन गाड़ियों को नहीं मिलेगा पेट्रोल और डीजल, जानिए वजह

भारतYear Ender 2025: चक्रवात, भूकंप से लेकर भूस्खलन तक..., विश्व भर में आपदाओं ने इस साल मचाया कहर

भारतAadhaar card update: आधार कार्ड से ऑनलाइन फ्रॉड से खुद को रखना है सेफ, तो अभी करें ये काम

भारतछत्तीसगढ़ को शांति, विश्वास और उज्ज्वल भविष्य का प्रदेश बनाना राज्य सरकार का अटल संकल्प: 34 माओवादी कैडरों के आत्मसमर्पण पर बोले सीएम साय

भारतकौन हैं ऋतुराज सिन्हा?, नितिन नबीन की जगह दी जाएगी बड़ी जिम्मेदारी