अब सरकार के मुनाफे वाले कंटेनर कॉरपोरेशन पर भी होगा गौतम अडाणी का कब्जा
By शीलेष शर्मा | Updated: September 13, 2021 19:54 IST2021-09-13T19:53:51+5:302021-09-13T19:54:59+5:30
कंपनी ने सरकार को वर्ष 2018 में 416. 76 करोड़ ,2019 में 520. 95 करोड़ तथा 2020 में 219. 35 करोड़ का डिविडेंट दिया है।

मुनाफे वाली कंपनी से सरकार का वर्चस्व समाप्त हो जाएगा।
नई दिल्लीः मोदी सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की मुनाफे वाली कंपनियों को निजी हाथों में सौंपने की कड़ी में अब नियमों को बदल कर रेलवे की इकाई कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया को गौतम अडाणी के हवाले करने की तैयारी कर रही है।
हैरानी की बात तो यह है कि 304. 65 करोड़ का सरकार को डिविडेंट देने वाली कंपनी को मोदी सरकार निजी हाथों में देने जा रही है। आंकड़े बताते हैं कि पिछले लगातार तीन वर्षों में इस कंपनी ने सरकार को वर्ष 2018 में 416. 76 करोड़ ,2019 में 520. 95 करोड़ तथा 2020 में 219. 35 करोड़ का डिविडेंट दिया है।
सूत्रों के अनुसार मोदी सरकार ने सरकार की 54. 8 फीसदी हिस्सेदारी से 30. 8 फीसदी हिस्सेदारी निजी हाथों में देने का सैद्धांतिक फैसला कर लिया है, जिसका सीधा अर्थ होगा कि इस मुनाफे वाली कंपनी से सरकार का वर्चस्व समाप्त हो जाएगा।
कांग्रेस ने मोदी सरकार के इस फैसले का कड़ा विरोध करते हुए पूछा कि भूमि की लाइसेंसिंग फ्री क्यों और किसके लिये बदलने का फैसला लिया गया है। हजारों एकड़ की जमीन इस कंपनी के पास कहाँ पर है। रेलवे साइट के आस-पास। देश के 60 कंटेनर डिपो में से 24 डिपो किसके हैं, सरकार इसका खुलासा करे।
पार्टी के प्रवक्ता गौरव बल्लभ ने सवाल उठाया कि जो लीज लैंड फीस को रिडक्शन करने का जो प्रस्ताव है, क्या ये भारत के सरकार की जमीन को प्राइवेट पार्टी के कमर्शियल उपयोग के लिए देने का एक बैकडोर चैनल तो नहीं है, क्योंकि आप 6 प्रतिशत जो लीज रेंट हर साल लेते हो, जो 20-21 में भी इस कंपनी ने दी है।
उसको आप 2 से 3 प्रतिशत करने की सोच रहे हो? ऐसा करने के पीछे प्रधानमंत्री मोदी किसे लाभ पहुँचाना चाहते हैं। गौरव बल्लभ ने आंकड़े और दस्तावेज़ दिखाते हुए साबित किया कि मोदी अपने मित्रों के लिये 70 वर्षों की संपत्ति को या तो बेच रहे हैं अथवा गिरवी रख रहे हैं।