'नेतृत्व करना हर किसी के बस की बात नहीं', मध्य प्रदेश में चल रहे सियासी घमासान के बीच कांग्रेस प्रवक्ता संजय झा का तंज
By स्वाति सिंह | Updated: March 10, 2020 13:08 IST2020-03-10T13:08:19+5:302020-03-10T13:08:19+5:30
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को इस्तीफा दिया है। सिंधिया ने खुद ट्वीट कर अपने इस्तीफे की जानकारी दी है। सिंधिया ने इस्तीफे का फैसला दिल्ली में आज सुबह गृहमंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने के बाद लिया।

ज्योतिरादित्य सिंधिया भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का दामन थाम सकते हैं।
मध्यप्रदेश में जारी सियासी घटनाक्रम के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के साथ मंगलवार (10 मार्च) को दिल्ली में मुलाकात की। इसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को इस्तीफा दिया है। सिंधिया ने खुद ट्वीट कर अपने इस्तीफे की जानकारी दी है। सिंधिया ने इस्तीफे का फैसला दिल्ली में आज सुबह गृहमंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने के बाद लिया। अटकलें हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का दामन थाम सकते हैं।
इसी बीच कांग्रेस के प्रवक्ता संजय झा ने ट्विटर पर एक तल्ख टिप्पणी की है। उन्होंने लिखा 'Leadership is not everyone’s cup of tea. Or coffee.(नेतृत्व करना हर किसी के बस की बात नहीं है)। संजय झा के इस ट्वीट के बाद अंदाजा लगाया जा रहा है कि वे यह टिपण्णी राहुल गांधी पर कर रहे हैं। दरअसल, राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव में भारी मतों से हार के बाद पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया।
बता दें कि मध्यप्रदेश में कमलनाथ-सरकार को भारी संकट का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि श्री सिंधिया के वफादार 17 विधायकों ने सोमवार को भाजपा शासित कर्नाटक के लिए एक चार्टर्ड में उड़ान भरी थीं। कर्नाटक जाने वाले विधायकों में से करीब आधा दर्जन कमलनाथ सरकार के मंत्री भी हैं।
अभी की बात करें तो 230 सदस्यीय विधानसभा में 116 के बहुमत के निशान से सिर्फ चार विधायक ज्यादा कमलनाथ सरकार के पास हैं। अभी 114 विधायक कांग्रेस से, दो बसपा से, एक समाजवादी पार्टी से और चार निर्दलीय सरकार के पक्ष में हैं। लेकिन, अब जो स्थिति बनी है उसमें सरकार पर ज्यादा खतरा मंडराते दिख रहा है। वहीं, भाजपा के पास 107 विधायक हैं और वर्तमान में दो सीटें खाली हैं। यदि 17 विधायकों, जो कर्नाटक में हैं वो इस्तीफा देकर बाहर निकल गए, तो कांग्रेस कर्नाटक के बाद से अपना दूसरा राज्य खो देगी।