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कांग्रेस विधायक सतीशन होंगे केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता

By भाषा | Updated: May 22, 2021 15:35 IST

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तिरुवनंतपुरम, 22 मई केरल में पिनरायी विजयन नीत एलडीएफ से विधानसभा चुनावों में हार के बाद कांग्रेस ने शनिवार को पांच बार के विधायक वी डी सतीशन को राज्य विधानसभा में विपक्ष का नया नेता नियुक्त किया।

केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अध्यक्ष मुल्लापल्ली रामचंद्रन ने यहां 56 वर्षीय सतीशन को विपक्ष का नया नेता बनाने के पार्टी की आलाकमान के फैसले की घोषणा की।

वह वरिष्ठ नेता रमेश चेन्नीथला का स्थान लेंगे। चेन्नीथला भी अलप्पुझा जिले में हरीपद सीट से विधायक के तौर पर पुनर्निवाचित हुए हैं।

एर्नाकुलम जिले में परावुर विधानसभा सीट से निर्वाचित सतीशन माकपा नीत एलडीएफ के खिलाफ राज्य विधानसभा में 41 सदस्यीय कांग्रेस नीत यूडीएफ की अगुवाई करेंगे। एलडीएफ 99 सीटों पर जीत दर्ज करते हुए हाल ही में फिर से सत्ता में आयी और इसी के साथ उसने दोनों गठबंधनों के बीच बारी-बारी से सत्ता में आने के प्रचलन को तोड़ दिया।

रामचंद्रन ने पत्रकारों से कहा, ‘‘एआईसीसी ने केरल विधानसभा में पार्टी के विधायक दल के नेता के तौर पर सतीशन को नामित किया है। केपीसीसी उन्हें सफलता की शुभकामनाएं देती है।’’

कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी, चेन्नीथला और रामचंद्रन समेत पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की अगुवाई में विधानसभा चुनावों में हार पर विचार करते हुए विधायक दल के नेता में बदलाव करने का फैसला लिया गया।

पार्टी के युवा नेताओं खाासतौर से युवा कांग्रेस के एक वर्ग ने पार्टी के राज्य नेतृत्व से पुराने नेताओं को हटाने का एक अभियान चलाया था।

पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और वी वैद्यलिंगम विधायकों और सांसदों की राय लेने के लिए केरल आए थे कि अगले पांच वर्षों के लिए विपक्ष के नेता का पद किसे दिया जाए।

चांडी समेत राज्य में पार्टी के पुराने नेताओं ने चेन्नीथला को इस पद पर बरकरार रखने की पैरवी की थी।

सूत्रों ने बताया कि पुराने नेताओं के दबाव के कारण विपक्ष का नया नेता चुनने के फैसले में देरी हुई।

आखिरकार आलाकमान ने कड़ा फैसला लेते हुए सतीशन को इस अहम पद के लिए नामित कर दिया।

राज्य में कांग्रेस के गढ़ एर्नाकुलम जिले से प्रभावशाली नेता सतीशन ने कहा कि विधानसभा के भीतर और बाहर दोनों जगह विपक्ष के कामकाज के पारंपरिक तौर-तरीकों में बदलाव होंगे।

उन्होंने कोच्चि में मीडिया से कहा, ‘‘यूडीएफ और कांग्रेस के संकट के समय मुझे विपक्ष के नेता की जिम्मेदारी देने के लिए मैं पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व और केरल के वरिष्ठ नेताओं का आभार जताता हूं।’’

उन्होंने कहा कि उनका स्पष्ट मानना है कि यह पद फूलों का ताज नहीं है।

नेहरूवादी समाजवाद के कट्टर समर्थक सतीशन ने कहा कि सांप्रदायिकता के किसी भी रूप से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। बहुसंख्यक सांप्रदायिकता और अल्पसंख्यक सांप्रदायिकता दोनों का विरोध किया जाएगा।

करीब चार दशक के अपने राजनीतिक करियर में सतीशन कांग्रेस के साथ मजबूती से खड़े रहे।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस नीत यूडीएफ सांप्रदायिकता के सभी रूपों को खत्म करने के लिए काम करेगी।

सतीशन ने कोविड-19 महामारी से लड़ने में सरकार को विपक्ष का समर्थन देने की भी पेशकश की।

राष्ट्रीय पार्टी का यह फैसला 65 साल के चेन्नीथला के लिए उनके पांच दशक लंबे राजनीतिक करियर के लिए झटका माना जा रहा है।

विधानसभा चुनावों में करारी हार के बावजूद चेन्नीथला ने कभी यह नहीं सोचा था कि उन्हें दोबारा विपक्ष के नेता पद की जिम्मेदारी नहीं मिलेगी।

पार्टी सूत्रों ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री चांडी समेत पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने विपक्ष के नेता पद पर चेन्नीथला को बनाए रखने की पुरजोर वकालत की लेकिन भाग्य उनके साथ नहीं था।

कभी पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत राजीव गांधी के चहेते रहे चेन्नीथला 1982 में नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष बने थे।

बाद में वह युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बने।

युवा कांग्रेस में उनके पूर्व सहकर्मियों में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चह्वाण और एआईसीसी महासचिव मुकुल वासनिक भी शामिल हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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