2019 के लोकसभा चुनाव से पहले राजनीतिक गलियारों की हलचल भी तेज हो गई है। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस एक दूसरे को पस्त करने के लिए पूरी कोशिश में जुटे हैं। एक और जहां कांग्रेस तमाम दलों के साथ गठबंधन करके मैदान में उतरने की तैयारी में हैं। तो वहीं, दूसरी तरफ बीजेपी अपने काम के दम पर एक बार फिर से सरकार बनाने की कोशिश कर रही है।
ऐसे में खबरों की मानें तो बीजेपी को रोकने के लिए कांग्रेस मायावती या फिर ममता बनर्जी को प्रधानमंत्री के रूप में स्वीकार कर समर्थन दे सकती हैं, लेकिन ऐसी स्थिति तब आएगी जब कांग्रेस को उम्मीद से कम सीटें मिलेंगी। अर्थात अगर कांग्रेस को राहुल गांधी की अध्यक्षता में अगर पार्टी कम सीटे लाती है तो राहुल पीएम नहीं होंगे। कहा जा रहा है बीजेपी को हराने के लिए महाठबंधन की हर शर्त को कांग्रेस पूरा करने को तैयार है और वह किसी भी कीमत पर महागठबंधन में बिखराव नहीं चाहती है।
वैसे तो कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में पार्टी के तमाम नेताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को महागठबंधन का नेतृत्व सौंपने की बात कही थी और जेडीएस का बयान आ चुका है कि उसे राहुल गांधी के नेतृत्व से कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन मंगलवार को बिहार के गलियारों से आरजेडी नेता और लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव ने कहा कि विपक्ष की तरफ से राहुल गांधी अकेले पीएम पद की दौड़ में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि सभी विपक्षी दल एक साथ बैठेंगे और प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के नाम पर फैसला करेंगे।
इस बयान के बाद राहुल के नाम को लेकर जो एकता थी वह कहीं गुम सी होती नजर आई है। ऐसे में अब मायावती ने कांग्रेस को कहा है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में गठबंधन तभी संभव है, जब उनकी पार्टी को सम्मानजनक सीटें मिलेंगी। अगर इस समझौते में सम्मानजनक सीटें नहीं मिलती हैं तो भी उनकी पार्टी अकेले लड़ने को पूरी तरह तैयार है। बस इसके बार से कांग्रेस का सपने को टूटने का रूप मिलने वाला था। लेकिन इसी बीच कांग्रेस सूत्र की मानें तो पार्टी नेतृत्व को लगता है कि अगर बिहार और उत्तर प्रदेश में विपक्ष के महागठबंधन ने अच्छा प्रदर्शन किया तो मोदी की फिर से सरकार आने बेहर मुश्किल होगा।
इन राज्यों में लोकसभी की 120 सीजे हैं जो विजय के लिए बेहद अहम हैं। जैसा की सभी को पता है शिवसेना, तेलगु देशम पार्टी जैसे बीजेपी के सहयोगी उससे नाराज हैं ऐसे में पर्याप्त सीटें नहीं मिली को पार्टी रे मुश्किल होगा। ऐसे में अब खबरों की मानें चूंकि मायावती का इन राज्यों में पकड़ तेज है तो कांग्रेस उनको प्रधानमंत्री के लिए मैदान में उतार सकती है। वहीं, ममता बनर्जी ने इस पर बोलने से इनकार कर दिया है, जबकि कहा जा रहा है कि बसपा नेताओं ने पहले ही मायावती को गठबंधन का पीएम चेहरा बनाने का फैसला किया है। राहुल के नाम पर बसपा नेता कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं, वो कहते हैं कि इस पर मायावती फैसला करेंगी।
खबरों की मानें तो यूपीए में कांग्रेस के सहयोगी दल राहुल के नेतृत्व को लेकर हिचक रहे हैं। राहुल की पीएम पद की दावेदारी पर जेडीएस को छोड़कर कोई दल राजी नहीं दिख रहा हैं। वहीं, यूपीए में कांग्रेस के सहयोगी दल राहुल के नेतृत्व को लेकर हिचक रहे हैं। राहुल की पीएम पद की दावेदारी पर जेडीएस को छोड़कर कोई दल राजी नहीं दिख रहा है। ऐसे में देखना होगा कि बीजेपी मुक्त का कांग्रेस का सपना किस तरह से पूरा होगा।