नई दिल्लीः असंतुष्ट कांग्रेस नेताओं के ग्रुप 23 और कांग्रेस नेतृत्व के बीच उठा विवाद शांत होने की जगह और तेज होता नजर आ रहा है।
इस बात के संकेत उस समय मिले, जब पार्टी के असंतुष्ट नेता कपिल सिब्बल ने अनौपचारिक बातचीत में इसकी पुष्टि करते हुए टिप्पणी की कि कांग्रेस आलाकमान असंतुष्ट नेताओं से सुलह के मूड में नहीं है। आलाकमान में बैठे नेता ग्रुप -23 को तोड़ कर कमजोर करने की रणनीति को कामयाब करने की कोशिश कर रहे हैं।
लेकिन ऐसा होगा नहीं क्योंकि जो बातें इस समूह ने उजागर की हैं वह पार्टी को मज़बूत बनाने के लिए कही गईं हैं। पिछले सप्ताह सिब्बल द्वारा आयोजित पार्टी में जुटे असंतुष्ट नेता भी इस बात पर अड़े नज़र आये कि पार्टी में लोकतांत्रिक ढंग से नीचे से ऊपर तक चुनाव कराये जायें। पूर्णकालिक अध्यक्ष हो तथा संसदीय बोर्ड का गठन किया जाये।
सूत्रों के अनुसार ग्रुप 23 के नेता राहुल गांधी की कार्यशैली और उनके नेतृत्व से न केवल नाराज हैं बल्कि उनका यह भी आरोप है कि कोई पद न होने के बाबजूद राहुल पार्टी के महत्वपूर्ण फैसले ले रहे हैं। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने तो यहां तक कह डाला कि राहुल गांधी को तालिबान से बात करने से कोई परहेज नहीं, लेकिन अपनी पार्टी के नेताओं से बातचीत करने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है।
सिब्बल दो टूक कहा कि अब तक जो कुछ हमको नज़र आ रहा है उसके आधार पर सुलह की कोई गुंजाइश नज़र नहीं आती। उल्लेखनीय है कि ग्रुप 23 के नेता पूर्व में शरद पवार के साथ कई दौर की बातचीत कर चुके हैं तथा पिछले दिनों सिब्बल ने जन्म दिन पार्टी के नाम पर विपक्षी दलों के नेताओं को बुलाकर भोज दिया लेकिन इस भोज में राहुल सहित गांधी परिवार के किसी सदस्य को नहीं बुलाया था।