कांग्रेस नेता शिवकुमार ने जमानत के लिए हाई कोर्ट से लगाई गुहार, निचली अदालत ने किया था इनकार

By भाषा | Updated: September 26, 2019 23:13 IST2019-09-26T23:13:07+5:302019-09-26T23:13:07+5:30

प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले साल सितंबर में शिवकुमार के खिलाफ धनशोधन का मामला दर्ज दिया था। इसके अलावा नयी दिल्ली में कर्नाटक भवन में काम करने वाले हनुमनथैया और अन्य के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया था।

Congress leader Shiv Kumar appeal high court for bail, lower court denied | कांग्रेस नेता शिवकुमार ने जमानत के लिए हाई कोर्ट से लगाई गुहार, निचली अदालत ने किया था इनकार

कांग्रेस नेता शिवकुमार ने जमानत के लिए हाई कोर्ट से लगाई गुहार, निचली अदालत ने किया था इनकार

Highlightsनिचली अदालत ने जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि शिवकुमार एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं उच्च न्यायालय से जमानत पाने के लिए शिवकुमार ने चिकित्सीय कारणों को भी आधार बनाया।

धनशोधन के मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तार कर्नाटक कांग्रेस नेता डी के शिवकुमार ने जमानत के लिए गुरुवार को दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने निचली अदालत के बुधवार के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है जिसने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। निचली अदालत ने जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि शिवकुमार एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं और अगर उन्हें जांच के इस महत्त्वपूर्ण चरण में रिहा किया जाता है तो वह जांच को बाधित करने के लिए गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं या संबंधित दस्तावेज के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं।

उच्च न्यायालय से जमानत पाने के लिए शिवकुमार ने चिकित्सीय कारणों को भी आधार बनाया। अधिवक्ता मयंक जैन की तरफ से दायर याचिका में उन्होंने कहा कि वह सात बार विधायक रहे हैं और उनके भागने का कोई खतरा नहीं है। साथ ही कहा कि यह मामला दस्तावेजी साक्ष्य पर आधारित है और उन्हें हिरासत में रखने का कोई आधार नहीं है क्योंकि उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं रहा है। इस बीच, उनकी एक अन्य याचिका भी सुनवाई के लिए उच्च न्यायालय के समक्ष आई जिसमें धनशोधन मामले में ईडी द्वारा रिकॉर्ड किए गए उनके बयानों की प्रति मांगी ग‍ई है।

शिवकुमार और ईडी के वकीलों की दलीलों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति बृजेश सेठी ने याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया। कांग्रेस नेता ने दावा किया कि धनशोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) की धारा 50 के तहत बयान केवल ईडी के निदेशक द्वारा दर्ज किया जा सकता है और शिवकुमार के मामले में किसी भी अन्य अधिकारी द्वारा दर्ज बयान रिकॉर्ड से हटाया जाना चाहिए। शिवकुमार की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दायन कृष्णन ने कहा कि शपथ को जांचने की शक्ति केवल ईडी के निदेशक के पास है और किसी और के पास नहीं। ईडी का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल संजय जैन ने तर्क दिया कि याचिका पर गौर नहीं किया जाना चाहिए और इनमें से कोई भी अनुरोध अधिकारियों को नोटिस भेजे जाने के लायक भी नहीं है।

उन्होंने दलील दी कि शिवकुमार की याचिका के संबंध में कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सभी मुद्दों पर पहले से फैसला कर लिया है और उन्हें “विभिन्न मंचों” पर जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। शिवकुमार को राहत देने से इनकार करते हुए निचली अदालत ने कहा था कि उसने शिवकुमार की मेडिकल रिपोर्ट को ध्यान से पढ़ा है और पाया है कि भले ही उनकी एंजियोग्राफी हुई हो, लेकिन उनकी हालत स्थिर है और उन्हें दवा लेने की सलाह दी गई है।

प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले साल सितंबर में शिवकुमार के खिलाफ धनशोधन का मामला दर्ज दिया था। इसके अलावा नयी दिल्ली में कर्नाटक भवन में काम करने वाले हनुमनथैया और अन्य के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया था। यह मामला आयकर विभाग की ओर से बेंगलुरू की एक विशेष अदालत में इन लोगों के खिलाफ पिछले साल दायर किए गए आरोप पत्र पर आधारित है। इन लोगों पर कथित कर चोरी और ‘हवाला’ के जरिये करोड़ों रुपये के लेन-देन का आरोप है। आयकर विभाग ने आरोपी शिवकुमार और उनके कथित सहयोगी एस के शर्मा पर आरोप लगाया है कि ये नियमित तौर पर तीन अन्य आरोपियों की मदद से ‘हवाला’ के जरिए बड़ी मात्रा में बिना हिसाब वाली नकदी भेजने में लिप्त थे।

Web Title: Congress leader Shiv Kumar appeal high court for bail, lower court denied

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