कांग्रेस और गांधी परिवार समर्थित न्यूज़पेपर नेशनल हेराल्ड के द्वारा राफेल डील पर एक और दुष्प्रचार का मामला सामने आया है. नेशनल हेराल्ड ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि दसॉल्ट एविएशन ने भारत सरकार को 36 राफेल विमान 7.8 बिलियन यूरो(59000 करोड़) की कीमत पर बेचा, लेकिन अपने देश की वायु सेना को 28 विमान भारत की आधी कीमत 2.3 बिलियन यूरो में बेचा. अखबार के इस दावे को भारत में फ्रांस के राजदूत ने ट्वीट कर खारिज किया. तो क्या कांग्रेस राफेल डील को जबरदस्ती बोफोर्स स्कैम में बदलने का प्रयास कर रही है.
फ्रांस के राजदूत ने कहा कि जो 2.3 बिलियन यूरो का आंकड़ा दिया गया है दरअसल वो राफेल के अपग्रेडेड वर्जन(F4)के लिए खर्च किया जा रहा है. और 28 एयरक्राफ्ट की डिलीवरी फ्रांस एयरफोर्स को अभी होना बाकी है जिसका सौदा पहले ही हो चुका है. भारत को राफेल का F3R वर्जन फ्रांस से मिल रहा है, जिसकी डिलीवरी 2019 से लेकर 2022 तक होनी है.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पिछले कुछ महीनो से राफेल को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर हमलावर रहे हैं. इस मुद्दे पर कई प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया जा चुका है. शुरुआत में उन्होंने ऐसे कई आरोप लगाये जिसका संज्ञान लेना जरूरी हो गया था. कई बार इस मुद्दे पर मीडिया से मुखातिब होने के बाद उनके आरोपों की पुनरावृति ने उनके कई दावों को खोखला कर दिया. बिना किसी तथ्य के अरविन्द केजरीवाल स्टाइल में राजनीतिक विद्वेष का भाव झलकने लगा, जिससे लोगों में उनके आरोप में घोर विश्वसनीयता का संकट दिखने लगा.
जानते हैं क्या है कांग्रेस के आरोप और क्या है हकीकत
आरोप- भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने इस डील के लिए ज्यादा पैसे खर्च किये
तथ्य - हकीकत ये है कि यूपीए सरकार ने राफेल डील साइन ही नहीं किया था। मोदी सरकार की राफेल डील यूपीए प्रस्तावित डील से बिलकुल अलग था।
भारत के रक्षा मानकों पर खरी है डील
राफेल के साथ ही भारत ऐसे हथियारों से लैस हो जायेगा जिसका एशिया महाद्वीप में कोई सानी नहीं। राफेल METEOR , SCALP और MICA मिसाइल से भी लैस है।
टेकनोलॉजी ट्रांसफर पर भी हुआ करार
रिलायंस के साथ जॉइंट वेंचर के माध्यम से डेसॉल्ट कंपनी भारत में टेक्नोलॉजी ट्रांसफर कर रहा है। ये संयुक्त उद्यम पहले स्पेयर पार्ट्स बनाएगा, फिर एयरक्राफ्ट बनाएगा।
इन्फ्लेशन का लाभ भारत को मिलेगा
यूपीए ने 3.9 प्रतिशत इन्फ्लेशन रखा था, लेकिन मोदी सरकार ने इसे 3.5 करवा दिया। अब डेसॉल्ट की जिम्मेदारी है कि फ्लीट का 75 प्रतिशत हर हाल में ऑपरेशनल रहे।
आरोप : हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड के जगह रिलायंस डिफेन्स को तरजीह दी गई
तथ्य : रिलायंस डिफेन्स इस डील में शामिल एक मात्र कंपनी नहीं है। डसॉल्ट एविएशन ने 72 ऑफसेट पार्टनर के साथ ये करार किया है जिनमें गोदरेज, एल&टी, टाटा एडवांस सिस्टम भी शामिल हैं। ये डील भारतीय एविएशन इंडस्ट्री के लिए वरदान साबित होगी।
आरोप: कांग्रेस का आरोप है कि इस डील को फाइनल करने से पहले नरेंद्र मोदी ने ने कैबिनेट सुरक्षा समिति की सहमति नहीं ली थी। तथ्य: प्रधानमंत्री मोदी ने राफेल डील की घोषणा अप्रैल 2015 में फ्रांस में किया था। कैबिनेट सुरक्षा समिति ने डील के ऊपर अगस्त 2016 में अपनी मुहर लगा दी और सितम्बर 2016 में दसॉल्ट के साथ डील साइन की गई।
आरोप: राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि इस डील में कोई भी गोपनीय शर्त मौजूद नहीं है।
तथ्य : इस डील के दो पहलू हैं, व्यावसायिक और तकनीकी। तकनीकी क्षेत्र में मिसाइल सम्बन्धी जानकारियां हैं और व्यावसायिक पहलुओं का संसद की स्थायी समिति के समक्ष खुलासा किया जा सकता है।