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कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष को हटाने के लिए दिया नोटिस

By भाषा | Updated: August 13, 2021 16:12 IST

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शिमला, 13 अगस्त विपक्षी कांग्रेस के विधायकों ने शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष पद से विपिन सिंह परमार को हटाने का नोटिस देते हुए कहा कि सदन की कार्यवाही में उनकी निष्पक्षता ‘‘संदेह के घेरे’’ में है।

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि विधानसभा में कांग्रेस द्वारा दिया गया नोटिस नियमों पर खरा नहीं उतरता क्योंकि यह सदन के एक तिहाई सदस्यों द्वारा नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि इससे भी बड़ी बात यह है कि विधानसभा अध्यक्ष को हटाने के लिए 14 दिन पहले नोटिस देना होता है, जो इस मामले में नहीं हुआ, इसलिए कांग्रेस का नोटिस तकनीकी आधार पर स्वीकार करने योग्य नहीं है। ठाकुर सदन के नेता भी हैं।

इससे पहले संसदीय कार्यमंत्री सुरेश भारद्वाज ने सदन में कांग्रेस के नोटिस को खारिज करने के लिए प्रस्ताव पेश किया। इस पर अध्यक्ष ने प्रस्ताव सदन के समक्ष रखा।

प्रस्ताव पर माकपा के एकमात्र विधायक राकेश सिंह ने कहा कि गत दो-तीन दिनों में जो कुछ भी सदन में हुआ, वह ठीक नहीं हुआ।

उन्होंने कहा, ‘‘ आप निर्वाचित अध्यक्ष हैं, कोई बीच का रास्ता निकालें। अध्यक्ष जी मेरे मन में आपके लिए सम्मान है। मैं उन घटनाओं का उल्लेख नहीं करना चाहता जिनकी वजह से मामला यहां तक पहुंचा।’’

इससे पहले कांग्रेस के सभी 19 विधायकों ने हिमाचल प्रदेश विधायिका में प्रक्रिया एवं कार्य संचालन के नियम 274(1) के तहत विधानसभा अध्यक्ष को पद से हटाने के लिए विधानसभा सचिव को नोटिस दिया। कांग्रेस विधायकों ने शुक्रवार को मानसून सत्र के अंतिम दिन सदन की कार्यवाही का विरोध स्वरूप बहिष्कार भी किया।

कांग्रेस विधायकों ने नोटिस में कहा, ‘‘माननीय अध्यक्ष श्री विपिन सिंह परमार इस सदन और अपने कार्यालय की उच्च मर्यादा को सदन की कार्यवाही के दौरान कायम रखने में असफल रहे। अध्यक्ष जानबूझकर सदन के विपक्षी सदस्यों के अधिकारों और विशेषाधिकारों को कायम रखने में असफल हो रहे हैं।

नोटिस में कहा गया, ‘‘सदन के कामकाज कराने में माननीय अध्यक्ष विपिन सिंह परमार की निष्पक्षता संदेह के घेरे में है और उम्मीद के अनुरूप नहीं है।’’ कांग्रेस विधायकों ने कहा कि अध्यक्ष से उम्मीद की जाती है कि वह निष्पक्ष रहें और किसी भी एक विचारधारा का पक्ष न लें।

नोटिस में कहा गया, ‘‘यह बार-बार देखा जा रहा है कि अध्यक्ष सदन की अध्यक्षता करते हुए एक खास विचारधारा से जुड़े होने का दावा कर रहे हैं जो संविधान की भावना के विपरीत है।’’

इसमें कहा गया, ‘‘विपक्षी सदस्यों के नोटिसों को लेकर अध्यक्ष निष्पक्ष नहीं हैं। विपक्षी सदस्यों के विभिन्न नियमों के तहत मुद्दे उठाने के लिए दिये जाने वाले नोटिस को सदन के कामकाज में शायद ही कभी जगह मिल पाती है। वे नियमों का उल्लंघन करते हुए सदन की कार्यसूची में सत्तारूढ़ दल के सदस्यों को अनुचित लाभ देते हैं।’’

इसके साथ ही कांग्रेस विधायकों ने सिंह को अध्यक्ष पद से तत्काल हटाने की मांग की।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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