जंतर मंतर पर सांप्रदायिक नारेबाजी: अदालत ने आरोपियों को जमानत देने से इनकार किया

By भाषा | Updated: August 13, 2021 21:46 IST2021-08-13T21:46:35+5:302021-08-13T21:46:35+5:30

Communal sloganeering at Jantar Mantar: Court denies bail to accused | जंतर मंतर पर सांप्रदायिक नारेबाजी: अदालत ने आरोपियों को जमानत देने से इनकार किया

जंतर मंतर पर सांप्रदायिक नारेबाजी: अदालत ने आरोपियों को जमानत देने से इनकार किया

नयी दिल्ली, 13 अगस्त दिल्ली की एक अदालत ने यहां जंतर मंतर पर एक प्रदर्शन के दौरान सांप्रदायिक नारे लगाने के आरोप में गिरफ्तार तीन लोगों को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि उनमें से एक को ‘नुकसान पहुंचाने वाली’ और ‘अलोकतांत्रिक’ टिप्पणी करते हुए देखा जा सकता है।

न्यायाधीश ने रेखांकित किया कि आरोपी दीपक सिंह को टिप्पणी करते हुए देखा जा सकता है जो इस देश के नागरिक से अपेक्षित नहीं है, जहां धर्मनिरपेक्षता जैसे सिद्धांत संविधान में निहित मूल विशेषता का मूल्य रखते हैं। वहीं, आरोपी प्रीत सिंह को उसके साथ रैली में देखा जा सकता है और आरोपी विनोद शर्मा भी कथित अपराध के समय मौके पर मौजूद था।

एक वीडियो में कथित रूप से दिख रहा है कि यहां 11 अगस्त को जंतर-मंतर पर एक प्रदर्शन के दौरान मुस्लिम विरोधी नारे लगाए जा रहे हैं। यह वीडियो सोशल मीडिया पर काफी साझा किया गया है, जिसके बाद सोमवार को दिल्ली पुलिस को मामला दर्ज करना पड़ा।

मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट उद्भव कुमार जैन ने आरोपियों को इस समानता के आधार पर जमानत देने से इनकार कर दिया कि मामले में सह-आरोपी और भाजपा के पूर्व प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय को बुधवार को जमानत दे दी गई थी।

न्यायाधीश ने बृहस्पतिवार को पारित आदेश में कहा, “वीडियो क्लिप में आईओ (जांच अधिकारी) द्वारा पहचाने गए आरोपी को नुकसान पहुंचाने वाली टिप्पणी करते हुए देखा जा सकता है, जो अलोकतांत्रिक और जिसकी इस देश के नागरिक से अपेक्षा नहीं की जाती है, जहां धर्मनिरपेक्षता जैसे सिद्धांत संविधान में निहित मूल विशेषता का मूल्य रखते हैं।”

न्यायाधीश ने कथित वीडियो देखी और उसका कुछ हिस्सा खुली अदालत में चलाया भी। उन्होंने कहा कि हर नागरिक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है लेकिन हर अधिकार के साथ कुछ कर्तव्य जुड़े होते हैं।

उन्होंने कहा, “ भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए के पीछे का सिद्धांत धार्मिक/सांप्रदायिक सद्भावना को बचाना है और यह हर नागरिक का फर्ज है कि वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए धार्मिक सद्भावना बनाए रखे। यह वास्तव में धर्मनिरपेक्षता का सकारात्मक पहलू है।”

अदालत ने कहा कि वह वर्तमान में उन वीडियो की सत्यता की जांच नहीं कर सकती है, जो बाद के चरण में किए जाने वाले सबूतों के मूल्यांकन का विषय है।

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Web Title: Communal sloganeering at Jantar Mantar: Court denies bail to accused

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