गलवान घाटी झड़प के नायक रहे कर्नल बी संतोष बाबू मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित

By भाषा | Updated: November 23, 2021 15:18 IST2021-11-23T15:18:31+5:302021-11-23T15:18:31+5:30

Col B Santosh Babu, the hero of the Galwan Valley skirmish, was posthumously awarded the Maha Vir Chakra | गलवान घाटी झड़प के नायक रहे कर्नल बी संतोष बाबू मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित

गलवान घाटी झड़प के नायक रहे कर्नल बी संतोष बाबू मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित

नयी दिल्ली, 23 नवंबर पिछले साल जून में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीन के हमले के खिलाफ भारतीय सैनिकों का नेतृत्व करने वाले 16वीं बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग अधिकारी कर्नल बिकुमल्ला संतोष बाबू को मरणोपरांत महावीर चक्र से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को सम्मानित किया।

यहां आयोजित एक समारोह में बाबू की पत्नी बी संतोषी और मां मंजुला ने पुरस्कार ग्रहण किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और शीर्ष सैन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।

परमवीर चक्र के बाद महावीर चक्र युद्धकाल का दूसरा सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है।

चार अन्य सैनिकों, नायब सूबेदार नुदुरम सोरेन, हवलदार (गुन्नूर) के पलानी, नायक दीपक सिंह और सिपाही गुरतेज सिंह को मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया। उन्होंने पिछले साल 15 जून को गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में चीनी सैनिकों से लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी।

3 मीडियम रेजिमेंट के हवलदार तेजिंदर सिंह गलवान घाटी में हुई झड़प में भारतीय थल सेना की टीम का हिस्सा थे। उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया गया है।

वीर चक्र युद्धकाल के लिए देश का तीसरा सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है।

नायब सोरेन की पत्नी लक्ष्मी मणि सोरेन, हवलदार पलानी की पत्नी वनथी देवी और नायक सिंह की पत्नी रेखा सिंह ने राष्ट्रपति से पुरस्कार ग्रहण किया।

सिपाही गुरतेज सिंह की मां प्रकाश कौर और पिता विरसा सिंह ने राष्ट्रपति से वीर चक्र ग्रहण किया।

पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हुई झड़प में 20 भारतीय सैन्यकर्मी शहीद हो गये थे। यह घटना दशकों में दोनों देशों के बीच हुए सबसे गंभीर सैन्य टकराव बन गई।

फरवरी में, चीन ने आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया कि भारतीय थल सेना के साथ झड़प में पांच चीनी सैन्य अधिकारी और सैनिक मारे गए थे। हालांकि यह व्यापक रूप से माना जाता है कि चीन की ओर से मरने वालों की संख्या इससे अधिक थी।

राष्ट्रपति भवन ने ट्विटर पर कहा,“ कर्नल बाबू ने दुश्मन का सामना करने के दौरान अनुकरणीय नेतृत्व, दक्ष पेशेवरता और विशिष्ट बहादुरी का परिचय दिया और देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया।”

कर्नल बाबू ने गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद प्रतिकूल परिस्थितियां होते हुए भी पूरी शिद्दत से भारतीय सैनिकों का नेतृत्व किया।

उन्होंने ‘ऑपरेशन स्नॉ लेपर्ड’ के दौरान अपनी अंतिम सांस तक दुश्मन के हमले का मुकाबला किया और मैदान में डटे रहने के लिए अपने सैनिकों को प्रेरित और प्रोत्साहित किया।

भारतीय थल सेना ने पूर्वी लद्दाख में पोस्ट 120 पर 'गैलेंट्स ऑफ गलवान' के लिए एक स्मारक बनाया है।

आधिकारिक विवरण के मुताबिक, 16वीं बिहार रेजीमेंट में शामिल नायब सूबेदार सोरेन ने अपनी टुकड़ी की अगुवाई करते हुए भारतीय सेना को पीछे धकेलने की दुश्मन की कोशिश का प्रतिकार किया और निगरानी चौकी की स्थापना की।

उन्होंने अपनी टुकड़ी को संगठित किया, दुश्मन का जोरदार मुकाबला किया और भारतीय सैनिकों को पीछे धकेलने के उनकी कोशिश को नाकाम किया।

सोरेन ने घायल होने के बावजूद अंतिम सांस तक दृढ़ भावना के साथ लड़ते हुए, जबर्दस्त साहस का प्रदर्शन किया।

हवलदार पलानी बहादुरी से डटे रहे और दुश्मन के उनपर धारदार हथियार से हमला करने के बावजूद उन्होंने अपने साथियों का बचाव करने की कोशिश की।

उनकी वीरता ने अन्य साथी सैनिकों को डटकर लड़ने और दुश्मन के आक्रमण का मुकाबला करने के लिए प्रेरित किया। आधिकारिक विवरण के मुताबिक, गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद वह मैदान में मजबूती से डटे रहे और मातृभूमि के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिये।

नायक दीपक सिंह का ताल्लुक भी 16वीं बिहार रेजिमेंट से था और वह एक नर्सिंग सहायक के रूप में कर्तव्यों का पालन कर रहे थे। उन्होंने 30 से अधिक भारतीय सैनिकों का उपचार किया और उनकी जान बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

पंजाब रेजिमेंट की तीसरी बटालियन के सिपाही गुरतेज सिंह ने निगरानी चौकी की स्थापना करते हुए दुश्मन सैनिकों का मुकाबला किया।

झड़प के आधिकारिक विवरण के मुताबिक, गुरतेज सिंह ने साहस और युद्ध के विशिष्ट कौशल का प्रदर्शन करते हुए दुश्मन सैनिकों का मुकाबला किया और गंभीर रूप से घायल होने के बाद भी लड़ते रहे।

राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में सशस्त्र बलों के कई अन्य कर्मियों को भी सम्मानित किया गया।

राष्ट्रीय राइफल्स की 21वीं बटालियन के मेजर अनूज सूद को मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया।

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