सीएम योगी ने विधानसभा में पेश किया UPCOCA बिल, विपक्ष ने बताया काला कानून

By IANS | Updated: December 20, 2017 16:10 IST2017-12-20T16:06:48+5:302017-12-20T16:10:22+5:30

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपीकोका विधेयक बुधवार को सदन विधानसभा में पेश किया।

cm yogi Adityanath introduces UPCOCA bill in uttar pradesh assembly | सीएम योगी ने विधानसभा में पेश किया UPCOCA बिल, विपक्ष ने बताया काला कानून

योगी आदित्यनाथ

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (यूपीकोका) विधेयक बुधवार को सदन विधानसभा में पेश किया। विपक्ष ने एक सुर से इस विधेयक को काला कानून करार दिया। आदित्यनाथ ने यूपीकोका विधेयक अचानक सदन में पेश कर दिया। हालांकि सदन की कार्यसूची में पहले यह शामिल नहीं था, लेकिन सत्ता पक्ष की ओर से पेश किए गए इस विधेयक से विपक्ष चकरा गया। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार यूपीकोका के प्रस्ताव को सदन में पेश कर रही है। इस विधेयक के कानून बन जाने के बाद संगठित अपराध को रोकने में मदद मिलेगी। 

यूपीकोका विधेयक पेश किए जाने के बाद नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने कहा कि सरकार पहले ही अघोषित आपातकाल यूपी में लगा चुकी है। यूपीकोका दरसअल यूपी में राजनीतिक विरोधियों को परेशान करने के लिए लाया जा रहा है। यह एक काला कानून है। सरकार ने अघोषित आपातकाल तो पहले ही लगा दिया था, अब इस विधेयक के आने से लिखित आपातकाल भी लग जाएगा।

उन्होंने कहा कि इस काले कानून से सरकार एक तरफ जहां राजनीतिक विरोधियों को परेशान करेगी, वहीं दूसरी ओर मीडिया की आजादी पर भी प्रतिबंध लगाने का काम करेगी। मीडिया को इससे सतर्क रहने की जरूरत है। यूपी में सरकार बनने के बाद से ही सरकार लगातार किसानों की हितैषी बनने का प्रयास कर रही है, लेकिन सच्चाई यह है कि ऐसी किसान विरोधी सरकार आज तक नहीं देखी गई। यूपीकोका के विरोध में पार्टी सड़क पर उतरकर इसका विरोध करेगी। 

उन्होंने कहा कि सदन में इस बात को उठाया गया कि क्या सरकार जिन किसानों का आलू बर्बाद हो रहा है उन्हें मुआवजा देने का काम करेगी। इस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कोई जवाब नहीं दिया। गन्ना किसानों का भुगतान कब तक होगा इसका भी जवाब सरकार के पास नहीं था इसीलिए विपक्ष ने किसानों के मुद्दे को लेकर थोड़ी देर के लिए सदन से बहिर्गमन भी किया।

रामगोबिंद के बाद मऊ सदर सीट से विधायक मुख्तार अंसारी भी मीडिया के सामने आए। उन्होंने भी यूपीकोका को काला कानून करार दिया। उन्होंने कहा कि यूपी सरकार यूपीकोका विधेयक राजनीतिक विरोधियों को परेशान करने और जेल में डालने के लिए ला रही है। इस मुद्दे को लेकर सड़क पर उतरा जाएगा। 

उल्लेखनीय है कि इस अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत होने वाले अभियोग मंडलायुक्त और परिक्षेत्रीय पुलिस महानिरीक्षक की दो सदस्यीय समिति के अनुमोदन के बाद ही पंजीकृत होंगे। अब तक पुलिस पहले अपराधी को पकड़कर अदालत में पेश करती थी, फिर सबूत जुटाती थी। लेकिन यूपीकोका के तहत पुलिस पहले अपराधियों के खिलाफ सबूत जुटाएगी और फिर उसी के आधार पर उनकी गिरफ्तारी होगी। यानी अब अपराधी को अदालत में अपनी बेगुनाही साबित करनी होगी। 

इसके अलावा सरकार के खिलाफ होने वाले हिंसक प्रदर्शनों को भी इसमें शामिल किया गया है। इस विधेयक में गवाहों की सुरक्षा का खासा ख्याल रखा गया है। यूपीकोका के तहत आरोपी यह नहीं जान सकेगा कि किसने उसके खिलाफ गवाही दी है। हालांकि सत्र की शुरुआत से पहले ही बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने इस विधेयक का विरोध किया था। बसपा ने कहा था कि यह विधेयक महाराष्ट्र के मकोका कानून की तर्ज पर बनाया गया है।

बसपा के अनुसार, यूपीकोका को गरीब, दलित और पिछड़ी जाति के लोगों के उत्पीड़न के लिए इस्तेमाल किया जाएगा और इसीलिए वह इसका विरोध कर रही है। 

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