नयी दिल्ली, एक जून मानव प्रेरित जलवायु परिवर्तन, पिछले तीन दशकों में गर्मी की वजह होने वाली सभी मौतों में एक तिहाई से अधिक मामलों के लिए जिम्मेदार है। एक अध्ययन में इस बारे में बताया गया है।
यह शोध सोमवार को ‘नेचर क्लाइमेट चेंज’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। इसमें 43 देशों में 732 स्थानों से आंकड़े लिये गये हैं जो पहली बार गर्मी की वजह से मृत्यु के बढ़ते खतरे में मानवजनित जलवायु परिवर्तन के वास्तविक योगदान को दिखाता है।
ब्रिटेन में लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन (एलएसएचटीएम) और स्विट्जरलैंड में यूनिवर्सिटी ऑफ बर्न के शोधकर्ताओं ने पाया कि हाल के गर्मी के मौसमों में गर्मी की वजह से होने वाली सभी मौतों के 37 प्रतिशत मामले में गर्म होती धरती का जलवायु परिवर्तन जिम्मेदार है।
मानव प्रेरित जलवायु परिवर्तन से होने वाली मौत का प्रतिशत सबसे अधिक मध्य एवं दक्षिण अमेरिका के देशों जैसे कि इक्वाडोर और कोलंबिया में 76 प्रतिशत तक और दक्षिण-पूर्व एशिया में 48 प्रतिशत और 61 प्रतिशत के बीच है।
ये निष्कर्ष इस बात के सबूत हैं कि भविष्य में गर्मी की वजह से होने वाले प्रतिकूल परिणाम से आबादी को बचाने के लिए जलवायु परिवर्तन की रोकथाम को लेकर सख्त नीति अपनाने की जरूरत है।
अध्ययन की प्रथम लेखक यूनिवर्सिटी ऑफ बर्न से एना एम विसेडो-कैबेरा ने कहा, ‘‘हमें आशंका है की अगर हमने जलवायु परिवर्तन के बारे में कुछ नहीं किया तो इससे मौत के प्रतिशत में और इजाफा होगा।’’
कैबेरा ने कहा, ‘‘अब तक औसत वैश्विक तापमान में एक डिग्री सेल्सियस का इजाफा हुआ है और यह सिर्फ एक अंश मात्र है, लेकिन अगर इसमें ऐसे ही इजाफा होता रहा तो इसके क्या परिणाम हो सकते हैं, हमें इस बात को समझना होगा।’’
अध्ययन में मौसम की पिछली स्थितियों का अध्ययन किया गया है।
एलएसएचटीएम में प्रोफेसर और अध्ययन के वरिष्ठ लेखक एंटोनियो गैसपारिनी ने कहा, ‘‘यह जलवायु परिवर्तन के कारण स्वास्थ्य खतरों को लेकर अब तक का सबसे बड़ा अध्ययन है।
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