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न्यायाधिकरणों में नियुक्तियों के दौरान ‘‘पसंदीदा लोगों का चयन’’ किए जाने का स्पष्ट संकेत मिलता है: उच्चतम न्यायालय

By भाषा | Updated: September 15, 2021 14:44 IST

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नयी दिल्ली, 15 सितंबर उच्चतम न्यायालय ने देश भर के न्यायाधिकरणों में रिक्त पद नहीं भरे जाने पर बुधवार को नाराजगी व्यक्त की और कहा कि जिस तरह से नियुक्तियां की गई हैं, वे ‘‘अपनी पसंद के लोगों का चयन’’ किए जाने का स्पष्ट संकेत देती हैं।

न्यायालय ने केंद्र को दो सप्ताह के भीतर उन न्यायाधिकरणों में नियुक्तियां करने का निर्देश दिया है, जहां पीठासीन अधिकारियों के साथ- साथ न्यायिक एवं तकनीकी सदस्यों की भारी कमी है। न्यायालय ने केंद्र से यह भी कहा कि यदि अनुशंसित सूची में शामिल व्यक्तियों को नियुक्त नहीं किया जाता है, तो वह इसका कारण बताए।

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ ने कहा कि न्यायाधिकरणों में रिक्तियों के कारण स्थिति ‘‘दयनीय’’ है और वादियों को अधर में नहीं छोड़ा जा सकता।

पीठ ने अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल से कहा, ‘‘जारी किए गए नियुक्ति पत्र इस ओर स्पष्ट इशारा करते हैं कि उन्होंने चयन सूची से अपनी पसंद से तीन लोगों और प्रतीक्षा सूची से अन्य लोगों को चुना तथा चयन सूची में अन्य नामों को नजरअंदाज किया। सेवा कानून में आप चयन सूची को नजरअंदाज करके प्रतीक्षा सूची से नियुक्ति नहीं कर सकते। यह किस प्रकार का चयन एवं नियुक्ति है?’’

वेणुगोपाल ने पीठ को आश्वासन दिया कि केंद्र खोज और चयन समिति द्वारा अनुशंसित व्यक्तियों की सूची से दो सप्ताह में न्यायाधिकरणों में नियुक्तियां करेगा।

वरिष्ठ वकील अरविंद दातार ने कहा कि आयकर अपीलीय अधिकरण (आईटीएटी) के लिए खोज एवं चयन समिति ने 41 लोगों की सिफारिश की, लेकिन केवल 13 लोगों को चुना गया और यह चयन किस आधार किया गया, यह ‘‘हम नहीं जानते’’।

पीठ ने कहा, ‘‘यह कोई नई बात नहीं है। हर बार की यही कहानी है।’’

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों ने कोविड-19 के दौरान नामों का चयन करने के लिए व्यापक प्रक्रिया का पालन किया और सभी प्रयास व्यर्थ जा रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने देशभर की यात्रा की। हमने इसमें बहुत समय दिया। कोविड-19 के दौरान आपकी सरकार ने हमसे जल्द से जल्द साक्षात्कार लेने का अनुरोध किया। हमने समय व्यर्थ नहीं किया।’’

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि ताजा नियुक्ति के तहत सदस्यों का कार्यकाल केवल एक साल होगा और उन्होंने कहा, ‘‘एक साल के लिए कौन सा न्यायाधीश यह काम करेगा?’’

चयन समिति द्वारा अनुशंसित नामों को अस्वीकार किए जाने के मामले पर वेणुगोपाल ने कहा कि सरकार के पास सिफारिशों को स्वीकार नहीं करने का अधिकार है।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हम एक लोकतांत्रिक देश हैं, जहां कानून के शासन का पालन किया जाता है और हम संविधान के तहत काम कर रहे हैं। आप यह नहीं कह सकते कि मैं स्वीकार नहीं करता।’’

पीठ ने कहा, ‘‘यदि सरकार को ही अंतिम फैसला करना है, तो प्रक्रिया की शुचिता क्या है? चयन समित नामों को चुनने की लिए एक विस्तृत प्रक्रिया का पालन करती है।’’

विभिन्न प्रमुख न्यायाधिकरणों और अपीली न्यायाधिकरणों में लगभग 250 पद रिक्त हैं। शीर्ष अदालत न्यायाधिकरणों में रिक्तियों संबंधी याचिकाओं और अर्ध न्यायिक निकायों को नियंत्रित करने वाले नए कानून संबंधी मामले से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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