नयी दिल्ली, 14 दिसंबर प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) न्यायमूर्ति एन वी रमण ने कानूनी क्षेत्र के सभी स्तरों पर महिलाओं के “अत्यंत कम” प्रतिनिधित्व पर मंगलवार को अफसोस जताया और वादा किया कि वह अपने कॉलेजियम सहयोगियों के साथ पीठ में 50 प्रतिशत से अधिक महिलाओं के प्रतिनिधित्व की मांग को उठाएंगे।
न्यायमूर्ति रमण ने सीजेआई होने के दबाव का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘बहन हिमा कोहली ने चिंता के साथ मुझसे पूछा कि क्या मैं तनाव में हूं। हां, मैं तनाव में हूं। प्रधान न्यायाधीश बनना तनावपूर्ण है। मैं इससे बच नहीं सकता। मुझे इससे निपटना होगा।’’
सीजेआई ने न्यायमूर्ति हिमा कोहली के पदोन्नत होकर उच्चतम न्यायालय में पहुंचने पर उनके सम्मान में आयोजित समारोह में कहा कि जब उन्होंने कार्ल मार्क्स के संशोधित उद्धरण का उपयोग करके महिलाओं को अपने लिए अधिक प्रतिनिधित्व की मांग करने के लिए कहा था, तब उन पर ‘‘क्रांति भड़काने’’ का आरोप लगाया गया था।
उन्होंने यहां महिला वकीलों की सभा को आश्वासन दिया कि पीठ में महिलाओं के 50 प्रतिशत से अधिक प्रतिनिधित्व की मांग पर ध्यान दिया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘ मैं कॉलेजियम में अपने भाइयों के समक्ष आपकी मांग को उठाने का वादा करता हूं।
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