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नागरिकता संशोधन कानून: कांग्रेस ने असम के राज्यपाल से की गुजारिश, कहा- राज्य सरकार को प्रदर्शनों की न्यायिक जांच कराने की अनुमति दें

By भाषा | Updated: December 16, 2019 04:56 IST

पार्टी ने गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीश से यह जांच कराने की मांग की। वहीं, अधिकारियों ने बताया कि विवादित कानून के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान पुलिस की गोलीबारी में चार लोगों की मौत हो चुकी है।

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कांग्रेस ने असम के राज्यपाल जगदीश मुखी से राज्य सरकार को नागरिकता (संशोधन) कानून के खिलाफ प्रदर्शनों की न्यायिक जांच कराने का निर्देश देने का रविवार को अनुरोध किया। राज्य में हुए प्रदर्शनों में चार लोग मारे जा चुके हैं।

पार्टी ने गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीश से यह जांच कराने की मांग की। वहीं, अधिकारियों ने बताया कि विवादित कानून के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान पुलिस की गोलीबारी में चार लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि प्रदर्शनकारियों ने पांच लोगों के मारे जाने का दावा किया है।

विधानसभा में विपक्ष के नेता देबब्रत सैकिया ने राज्यपाल को लिखे एक पत्र में कहा, ‘‘इसकी जांच होनी चाहिए कि क्या प्रदर्शनकारियों के खिलाफ अत्यधिक बल प्रयोग करने की आवश्यकता थी और क्या प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज तथा गोलीबारी करते हुए पुलिस महानिरीक्षक सम्मेलन, 1964 द्वारा अपनाए आदर्श नियमों का पालन किया गया।’’

सैकिया ने कहा, ‘‘जांच में यह पता लगाया जाना चाहिए कि जिन स्थानों पर गोलीबारी हुई, वहां कोई मजिस्ट्रेट मौजूद था या नहीं और क्या गोलीबारी शुरू होने से पहले भीड़ को नियंत्रित करने का कोई अन्य तरीका अपनाया गया।’’

पत्र में कहा गया है कि यह पता लगाना भी महत्वपूर्ण है कि क्या राज्य सरकार या सत्तारूढ़ पार्टी के कुछ सदस्यों ने ‘‘जानबूझकर’’ लोगों को बड़े पैमाने पर सड़कों पर उतरने और प्रदर्शन करने के लिए उकसाया। इसमें कहा गया है कि इसकी जांच होनी चाहिए कि क्या केंद्र सरकार और असम में सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्यों के इस दावे के समर्थन में कोई सबूत है कि भाजपा को बदनाम करने के लिए कांग्रेस ने प्रदर्शन को हिंसक बनाया।

सैकिया ने कहा कि इन प्रदर्शनों और गतिरोध का एक महत्वपूर्ण पहलू केएमएसएस प्रमुख अखिल गोगोई, उल्फा वार्ता समर्थक नेता जितेन दत्ता और विपक्षी दलों के कुछ सदस्यों को गिरफ्तार करने की राज्य सरकार की कार्रवाई है। विपक्षी दलों के गिरफ्तार सदस्यों में माजुली से कांग्रेस के तीन कार्यकर्ता शामिल हैं। इन्हें महज इसलिए गिरफ्तार किया गया कि वे शांतिपूर्ण प्रदर्शन के अपने संवैधानिक अधिकार का इस्तेमाल कर रहे थे।

उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारे लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं है कि जन आक्रोश के प्रथम संकेत के तौर पर सरकार के आलोचकों को जेल में डाल दिया जाए। मैं आपसे राज्य सरकार को यह सलाह देने का अनुरोध करता हूं कि हिरासत में लिए गए सभी लोगों को फौरन और बेशर्त रिहा कर दिया जाए।’’

उन्होंने आरोप लगाया कि सर्बानंद सोनोवाल के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने असम के लोगों के बहुमत का भरोसा खो दिया है। अब मुख्यमंत्री ऐसा बर्ताव कर रहे हैं, जैसे असम में राष्ट्रपति शासन लगा हुआ हो।

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