शहरों का विकास नदी केंद्रित हो, मास्टर प्लान में रिवरफ्रंट को शामिल किया जाए : एनएमसीजी रिपोर्ट

By भाषा | Updated: September 23, 2021 16:44 IST2021-09-23T16:44:52+5:302021-09-23T16:44:52+5:30

Cities should be river-centric, riverfront should be included in the master plan: NMCG report | शहरों का विकास नदी केंद्रित हो, मास्टर प्लान में रिवरफ्रंट को शामिल किया जाए : एनएमसीजी रिपोर्ट

शहरों का विकास नदी केंद्रित हो, मास्टर प्लान में रिवरफ्रंट को शामिल किया जाए : एनएमसीजी रिपोर्ट

नयी दिल्ली, 23 सितंबर राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने देश में शहरों के पास नदियों के किनारों (रिवरफ्रंट) के विकास का खाका तैयार किया है जिसमें नदी किनारों को पारिस्थितिकी, जलवायु परिवर्तन से जुड़ी विषम घटनाओं के अनुरूप व्यवस्था बनाने, स्थानीय समुदाय एवं स्थानीय शहरी निकायों के प्रबंधन, शहरों के साथ नदियों के विशिष्ट संबंध, प्रदूषणकारी तत्वों पर ध्यान देने, जलग्रहण क्षेत्र के संरक्षण एवं पर्यटन के विकास आदि को लेकर मार्गदर्शन दिया गया है।

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा ने ‘भाषा’ से कहा, ‘‘ शहरों के पास नदियों के किनारों के विकास से जुड़े दिशानिर्देश नदियों के संरक्षण को ध्यान में रखकर तैयार किये गए हैं। नदियों पर शहरी प्रणाली का काफी प्रभाव पड़ता है और प्रदूषण में इनकी भूमिका देखी गई है। ’’

उन्होंने कहा कि शहरों के विकास की योजना नदी केंद्रित होनी चाहिए और मास्टर प्लान में रिवरफ्रंट को शामिल किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि नदियों के किनारे का विकास करते समय जल सेवाओं, जल ग्रहण क्षेत्र के संरक्षण, लोगों के सम्पर्क, पारिस्थितकी, वनस्पतियों, जैव विविधताओं आदि का ध्यान रखा जाना चाहिए ।

एनएमसीजी द्वारा तैयार ‘‘ पर्यावरण संवेदी, जलवायु अनुकूल एवं सामाजिक रूप से समावेशी शहरी रिवरफ्रंट की योजना एवं विकास ’’ दस्तावेज में कहा गया है कि भारतीय उपमहाद्वीप में शहरी केंद्र का नदी घाटियों के साथ जुड़ाव का पुराना इतिहास रहा है । यह सिंधु घाटी सभ्याता से शुरू होकर मौर्य, चोल, मुगलकाल के दौरान देखने को मिला जहां सभी प्रमुख शहरों का विकास नदियों के किनारे देखा गया ।

इसमें कहा गया है कि परिवर्ती काल में शहरी रिवर फ्रंट से जुड़ी परियोजनाओं पर ध्यान देने पर पता चलता है कि इनमें सामाजिक, जल, पर्यावरण एवं पारिस्थितकी संबंधी कारकों पर कम जोर दिया गया । इसका पर्यावरण प्रभाव तो पड़ा ही, साथ ही शहरी बाढ़ के कारण जानमाल के नुकसान की घटनाएं भी सामने आई ।

रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वस्थ शहरी नदियां समुदायों को आर्थिक रूप में मजबूत बनाती हैं जो मात्स्यिकी, मनोरंजन, जल आधारित पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के साथ नागरिकों को आजीविका का विकल्प देते हैं ।

इस दस्तावेज में अहमदाबाद में साबरमती रिवर फ्रंट के विकास का उल्लेख किया गया है जो 10 किलोमीटर दायरे में फैला है।

इसमें कहा गया है कि कई अन्य रिवर फ्रंट का विकास किया जा रहा है जिसमें महाराष्ट्र में गोदावरी रिवर फ्रंट का विकास, बिहार में पटना रिवर फ्रंट का विकास, राजस्थान में द्रव्यवति रिवर फ्रंट, लखनऊ में गोमती रिवर फ्रंट के विकास पर कार्य शामिल है।

इसमें कहा गया है कि नदियों के किनारे (रिवर फ्रंट) का विकास करते हुए पारिस्थितिकी, जलवायु परिवर्तन से जुड़ी विषम घटनाओं के अनुरूप व्यवस्था बनाने पर खास ध्यान दिया जाना चाहिए । नदियों की विशिष्टताओं को ध्यान में रखते हुए इसके आसपास के समुदायों के साथ सम्पर्क को मजबूत बनाना चाहिए ।

एनएमसीजी के मार्गदर्शन नोट में कहा गया है कि नदियों से जुड़ने वाली जल धाराओं को शामिल करते हुए योजना तैयार करनी चाहिए तथा जल संसाधनों के प्रबंधन पर ध्यान देना चाहिए । इसमें कहा गया कि शहरों के साथ नदियों के विशिष्ट संबंध पर ध्यान देना चाहिए ।

इसमें कहा गया कि वर्षा जल का नदी में उचित प्रवाह सुनिश्चित करना चाहिए तथा इस बात पर खास ध्यान दिया जाना चाहिए कि नदियों के किनारों पर ऊंची इमारतों का निर्माण न हो।

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Web Title: Cities should be river-centric, riverfront should be included in the master plan: NMCG report

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