सीआईसी ने लोकपाल नियुक्ति के लिए चयन समिति की बैठकों के विवरण के खुलासा से किया इनकार
By भाषा | Updated: February 9, 2021 20:55 IST2021-02-09T20:55:10+5:302021-02-09T20:55:10+5:30

सीआईसी ने लोकपाल नियुक्ति के लिए चयन समिति की बैठकों के विवरण के खुलासा से किया इनकार
नयी दिल्ली, नौ फरवरी केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने भ्रष्टाचार रोधी संस्था लोकपाल के अध्यक्ष और सदस्यों को चुनने के लिए हुई चयन समिति की बैठकों के विवरण का खुलासा करने से इनकार कर दिया है।
देश के लोकपाल और अन्य सदस्यों के चयन से संबंधित रिकॉर्ड मुहैया कराने का अनुरोध वाले आवेदन के दाखिल होने के दो साल बाद सीआईसी ने लोकपाल की नियुक्ति नहीं होने पर अवमानना याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय के दो फैसले का हवाला देते हुए इसे खारिज कर दिया।
सूचना आयुक्त सरोज पुन्हानी ने कहा, ‘‘मौजूदा मामले में आयोग की राय है कि सीपीआईओ (केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी) ने चयन समिति और इसकी बैठकों के संबंध में सभी विवरण के संबंध में याचिकाकर्ता को सूचित कर पारदर्शिता को बहाल रखा। इसलिए, पारदर्शिता की कमी का सवाल नहीं उठता है। उच्चतम न्यायालय के आदेश का संज्ञान देते हुए भी आयोग को सीपीआईओ के फैसले में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नजर नहीं आता।’’
भ्रष्टाचार रोधी और पारदर्शिता के लिए काम करने वाली कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज ने कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के समक्ष नवंबर 2018 में सूचना का अधिकार कानून के तहत याचिका दाखिल कर लोकपाल के अध्यक्ष और सदस्यों की चयन प्रक्रिया से संबंधित रिकॉर्ड मुहैया कराने की मांग की थी।
कितनी बार बैठकें हुई, बैठक की तारीखों, बैठकों के विवरण और उपस्थित होने वालों के बारे में जानकारी मांगी गयी थी।
मंत्रालय ने चयन समिति की बैठकों के विवरण देने से इनकार करते हुए कहा, ‘‘जहां तक बैठकों के विवरण की बात है, जिसमें तीन से पांच उच्च स्तरीय विशिष्टगण थे, ऐसे दस्तावेजों पर कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग का अधिकार नहीं है और यह गोपनीय दस्तावेज है। इसलिए उक्त दस्तावेजों की प्रतियां साझा नहीं की जा सकती।’’
भारद्वाज ने कहा, ‘‘बैठकों की तारीखों के संबंध में अन्य विवरण, बैठक में हिस्सा लेने वालों की जानकारी रखी गयी है और पीआईओ ने बैठकों में लिए गए फैसले का सार मुहैया कराया है।’’
उन्होंने आरटीआई मामलों में फैसला करने वाली सर्वोच्च संस्था सीआईसी के समक्ष मार्च 2019 में आदेश को चुनौती दी जिसपर इस साल फरवरी में सुनवाई हुई।
भारद्वाज ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने कई आदेशों में अधिकारियों के नाम की सूची तय करने और चयन की प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है।
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