पूर्वी लद्दाख में LAC पर जारी विवाद के बीच चीनी-भारतीय सेना उत्तराखंड व अरुणाचल बॉर्डर पर आमने-सामने
By अनुराग आनंद | Updated: December 7, 2020 15:23 IST2020-12-07T15:02:52+5:302020-12-07T15:23:45+5:30
21 सितंबर को गश्ती के दौरान लगभग 100 पीपुल्स लिबरेशन आर्मी और भारत की तरफ से भी सैकड़ों जवान ज़ेखिनला दर्रा और इफी झील के पास आमने-सामने आ गए थे।

सांकेतिक तस्वीर (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में मई 2020 से ही भारतीय और चीनी सैनिक आमने-सामने है। लेकिन, मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो चीनी सैनिक ने इसके साथ ही अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड सहित अन्य क्षेत्रों में भी अपनी सक्रियता बढ़ा दी है।
टाइम्स नाऊ रिपोर्ट के मुताबिक, अरुणाचल प्रदेश में आने वाले बॉर्डर इलाके में एक बार फिर से चीनी व भारतीय सेना के आमने-सामने आने की खबर है। दरअसल, 21 सितंबर को गश्ती के दौरान लगभग 100 पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के जवानों और भारत की तरफ से सैकड़ों जवान ज़ेखिनला दर्रा और इफी झील के पास आमने-सामने आ गए थे। जबकि, यह एक विवादित क्षेत्र है, जिसे भारत अच्छी तरह एलएसी के इस तरफ का हिस्सा मानता है।
खबर है कि संवेदनशील लिपुलेख क्षेत्र में भी भारत-नेपाल-चीन त्रिकोणीय जंक्शन के पास वाले क्षेत्र में पिछले कुछ समय से चीनी सेना लगातार गश्त कर रही है। उत्तराखंड में पड़ने वाले इस क्षेत्र में चीनी सेना की गश्त बढ़ने से लोग खासे परेशान हैं।
चीनी सेना ने सिर्फ मध्य अक्टूबर में करीब आधे दर्जन बार कभी पैदल तो कभी वाहनों से इस विवादित क्षेत्र में प्रवेश किया। चीनी सेना ने कभी 3-4 की संख्या में तो कभी एक दर्जन से अधिक की संख्या में भारतीय क्षेत्र में प्रवेश किया। केवल दो दिनों 23 व 24 अक्टूबर को करीब 4 बार चीनी सेना ने इस विवादित क्षेत्र में प्रवेश किया तो लोगों का ध्यान इस तरफ गया।
इस क्षेत्र के आसपास अपने हिस्से में चीनी सेना बुनियादी ढांचा के विकास में लगातार लगा हुआ है। पूर्वी सिक्किम में तमजा के सामने एक सड़क, यकला के पास एक नियंत्रण टॉवर और उत्तरी सिक्किम के सामने नई संचार अवसंरचना तैयार होने की खबर सामने आ रही है। बॉर्डर के आसपास के क्षेत्रों में मुख्यतौर पर सिचुआन-तिब्बत रेलवे लाइन जो चेंगदू से प्रारंभ होता है। इसके साथ ही ल्हासा-लिन्जी रेलवे लाइन और हडिगरा दर्रे के पास की सड़कें मुख्य है।


