नयी दिल्ली, 20 दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने एक आदिवासी महिला को जमानत दी है जिस पर आरोप है कि उसने लालच देकर अपनी एक रिश्तेदार को वेश्यावृत्ति में धकेला। न्यायालय ने इस बात का संज्ञान लिया कि आरोपी महिला पिछले 18 महीने से जेल में थी और उसने वहां बच्चे को जन्म दिया।
भारत के प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकान्त और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने इसे “जमानत देने के लिए एक उचित मामला” करार दिया और दिल्ली पुलिस की याचिका को खारिज कर दिया। पुलिस की दलील थी कि आरोपी को जमानत पर बाहर जाने की अनुमति नहीं देना चाहिए क्योंकि उसने अपनी रिश्तेदार को वेश्यावृत्ति करने पर मजबूर किया।
पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद और वकील टी के नायक की दलीलों का संज्ञान लिया कि आरोपी महिला स्वयं भुक्तभोगी है और वह 18 महीने की सजा भुगत चुकी है और उसने एक नवंबर 2020 को बच्चे को जन्म दिया था। वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि 21 वर्षीय आरोपी को भी वेश्यावृत्ति के कारोबार में धकेला गया था और वह मुख्य आरोपी की जकड़ में रह रही थी जहां उसे लगातार जान का खतरा था।
पीठ ने आदेश में कहा, “दोनों पक्षों के वकीलों की दलील सुनने और इस तथ्य का संज्ञान लेने के बाद कि, याचिकाकर्ता 18 महीने तक कैद में थी और उसने जेल में ही बच्चे को जन्म दिया, हम इस स्थिति को जमानत देने के लिए उचित मानते हैं।
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