तिरूवनंतपुरम, 23 अक्टूबर केरल सरकार ने शनिवार को परिवार अदालत को अनुपमा एस चंद्रन की मांग से अवगत कराने का फैसला किया। अनुपमा माकपा की स्थानीय समिति के सदस्य की बेटी है, जिसके बच्चे को उसके माता-पिता ने पिछले साल उसकी जानकारी के बिना गोद लेने के लिए दिया था ।
प्रदेश सरकार की महिला एवं बाल विकास मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा कि सरकारी वकील को नवीनतम स्थिति के बारे में वंचियूर परिवार अदालत को सूचित करने का काम सौंपा गया है, जो गोद लेने के मामलों को देखते हैं ।
जॉर्ज ने यह भी कहा कि महिला एवं बाल विकास विभाग को मां की मांग और घटना से जुड़े अन्य सभी मामलों पर गौर करने के लिये कहा गया है ।
उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा, ‘‘गोद लेने के मामले में वंचियूर की अदालत को अंतिम फैसला देना अभी बाकी है। प्रदेश की एडॉप्शन एजेंसी ने एक याचिका दायर कर अनुपमा की मांग के बारे में अदालत को सूचित किया था ।
मंत्री ने कहा कि सरकार का रुख है कि बच्चा मां के पास ही रहे और गोद लेने के अंतिम आदेश से पहले प्रदेश सरकार ने मामले में हस्तक्षेप करने का फैसला किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘बच्चा वर्तमान में पालक की देखभाल में है। अंतिम आदेश आना बाकी है। यह एक जटिल प्रक्रिया है। लेकिन हमारी नीति यह है कि बच्चे को मां के पास होना चाहिए ।’’
अनुपमा ने शनिवार की सुबह राज्य सचिवालय के समक्ष भूख हड़ताल की और मांग की कि उनका बच्चा उन्हें लौटा दिया जाए।
अपनी मांग के बारे में अदालत को सूचित करने के सरकार के फैसले के बारे में खबर सुनकर अनुपमा ने कहा कि उन्हें अब उम्मीद है कि उन्हें उनका बच्चा वापस मिल जाएगा।
सरकार के इस मसले पर अदालत में जाने के फैसले के बारे में पूछे जाने पर अनुपमा ने कहा, ‘‘यह सुन कर बेहद खुश हूं । अब मुझे उम्मीद है कि मुझे मेरा बच्चा वापस मिल जायेगा । इस विरोध के बाद हम अदालत जाने की योजना बना रहे थे । लेकिन अब चूंकि, यह फैसला आया है, मैं खुश हूं और मुझे उम्मीद है कि मुझे मेरा बच्चा वापस मिल जायेगा ।’’
अनुपमा ने अपने माता-पिता पर एक साल पहले उसके नवजात बच्चे के जन्म के तुरंत बाद जबरदस्ती उससे दूर ले जाने जाने का आरोप लगाया था । अनुपमा ने आरोप लगाया था कि उसने अप्रैल से कई बार पुलिस में इसकी शिकायत की थी, लेकिन वे परिवार के सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज नहीं कर रहे थे ।
हालांकि, पेरूक्कडा पुलिस ने यहां कहा कि इस सप्ताह के शुरू में उसके (अनुपमा) माता पिता, उसकी बहन, उसके पति और पिता के दो मित्रों समेत छह लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था । पुलिस ने कहा कि इसमें देरी इसलिये हुयी कि वे मामले में कानूनी सलाह ले रहे थे ।
इस बारे में प्रतिक्रिया देते हुये प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता वी डी सतीसन ने दावा किया कि माकपा कानून अपने हाथ में ले रही है।
सतीसन ने कहा, ‘‘इस देश में कानून है। माकपा इसकी अनदेखी कर रही है और नतीजा यह है कि पार्टी के एक नेता की बेटी अब राज्य सचिवालय के सामने अपने ही बच्चे की मांग करते हुये प्रदर्शन कर रही है।’’
माकपा नेता वृंदा करात ने कहा कि अनुपमा के साथ जो हुआ है वह बेहद अन्यायपूर्ण और अनुचित है।
करात ने कहा, ‘‘बच्चे को मां से दूर ले जाना एक आपराधिक कृत्य है। मुझे लगता है कि जांच चल रही है। हम सभी को अनुपमा के साथ खड़ा होना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि उसे उसका बच्चा वापस मिल जाए।’’
इससे पहले आज दिन में विभिन्न युवा संगठनों ने इस संबंध में विरोध मार्च निकाला।
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