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चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट से कहाः विदेश में मेरा कोई अकाउंट या संपत्ति नहीं, ईडी से कहिए सबूत पेश करे

By भाषा | Updated: August 28, 2019 08:08 IST

वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिंदबरम ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि विदेश में उनका कोई खाता या संपत्ति नहीं है।

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ठळक मुद्देकांग्रेसी नेता के परिवार ने आरोप लगाया कि सरकार का मकसद उन्हें ‘‘खलनायक की तरह पेश करना और अपमानित’’ करना है।चिंदबरम ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि विदेश में उनका कोई खाता या संपत्ति नहीं है।

आईएनएक्स मीडिया मामले में सीबीआई हिरासत में चल रहे पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय के समक्ष दावा किया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) उनकी गिरफ्तारी सिर्फ उन्हें ‘‘अपमानित’’ करने के लिये करना चाहती है और पूछा कि उन्हें पूर्व प्रभाव से एक अपराध के लिये ‘‘सरगना’’ के तौर पर कैसे पेश किया जा सकता है। न्यायालय ने आईएनएक्स मीडिया धन शोधन मामले में पूर्व केन्द्रीय मंत्री और कांग्रेस के नेता पी चिदंबरम को गिरफ्तारी से मिले अंतरिम संरक्षण की अवधि कल तक के लिये बढ़ा दी, वहीं वरिष्ठ कांग्रेसी नेता के परिवार ने आरोप लगाया कि सरकार का मकसद उन्हें ‘‘खलनायक की तरह पेश करना और अपमानित’’ करना है।

चिदंबरम के बेटे कार्ति के ट्विटर हैंडल पर अपलोड किये गए परिवार के एक बयान में कहा गया, ‘‘हम सरकार को चुनौती देते हैं कि अपने आरोपों के संबंध में वह दुनिया में कहीं भी एक अघोषित बैंक खाते, एक अघोषित संपत्ति या एक मुखौटा कंपनी के समर्थन में साक्ष्य पेश करे।’’ कार्ति भी आईएनएक्स मीडिया मामले में एक आरोपी हैं और फिलहाल जमानत पर हैं। धन शोधन रोकथाम कानून में 2009 में संशोधन किया गया जबकि इस मामले में आरोप 2007-08 के हैं। ऐसे में कानून को उनके खिलाफ पूर्व प्रभाव से लागू करने की बात करते हुए चिदंबरम ने धनशोधन में उनसे हुई पूछताछ का लिखित विवरण भी ईडी से मांगे जाने का अनुरोध किया।

सीबीआई ने 15 मई 2017 को एक एफआईआर दर्ज करते हुए आरोप लगाया था कि 2007 में वित्त मंत्री चिदंबरम के कार्यकाल में आईएनएक्स मीडिया समूह को विदेश से 305 करोड़ का निवेश प्राप्त करने के लिये विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड की मंजूरी देने में अनियमिततायें की गयीं। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने भी धन शोधन का मामला दर्ज किया था। चिदंबरम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने एक आवेदन दायर कर प्रवर्तन निदेशालय द्वारा पिछले साल 19 दिसंबर, एक जनवरी और 21 जनवरी, 2019 को पूर्व केन्द्रीय मंत्री से पूछताछ के दौरान पूछे गये सवाल और उनके जवाबों का लिखित ब्योरा उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है। सिब्बल का कहना था कि इस लिखित ब्यौरे से पता चल जायेगा कि क्या चिदंबरम पूछताछ के दौरान जवाब देने से बच रहे थे, जैसा कि प्रवर्तन निदेशालय का आरोप है।

सिब्बल ने न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ को बताया, ‘‘उनकी (ईडी) की दलील है कि उनके पास सभी साक्ष्य और दस्तावेज हैं। हमारा कहना है कि उन्होंने कभी उसे (दस्तावेजों को) पूछताछ के दौरान उनके सामने नहीं रखा।’’ सिब्बल ने कहा, ‘‘वे अचानक ही दस्तावेज पेश कर रहे हैं और कहते हैं कि यह केस डायरी का हिस्सा है।’’

पीठ चिदंबरम को हिरासत में भेजने को चुनौती देने वाली याचिका सहित दो याचिकाओं पर प्रवर्तन निदेशालय की दलील बुधवार को सुनेगी। प्रवर्तन निदेशालय की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह इस मामले में बुधवार को बहस के दौरान चिदंबरम के नये आवेदन का जवाब दाखिल करेंगे। चिदंबरम की तरफ से ही पेश हुए एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी ने कहा कि पूछताछ के दौरान उन्होंने सवाल से बचने की कोशिश नहीं की और जांच में पूरा सहयोग दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘आप (ईडी) मुझे गिरफ्तार करना चाहते हैं, लेकिन किस लिये? जवाब है- मुझे अपमानित करने के लिये, मुझे अपमानित करने के लिये और मुझे अपमानित करने के लिये, मिनट दर मिनट और घंटा दर घंटा।’’ उन्होंने दलील दी कि ईडी ने मामला 2017 में दर्ज किया है जबकि अपराध कथित तौर पर 2007-08 के दौरान हुए। सिंघवी ने कहा कि जिन दंडात्मक प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है वे पीएमएलए के तहत 2009 के संशोधन के बाद ही अपराध हुए और ईडी इसे पूर्व तिथि से नहीं कर सकती। सिंघवी ने कहा, ‘‘आप एक व्यक्ति को सरगना बता रहे हैं जबकि ये कथित अपराध उस समय अस्तित्व में ही नहीं थे। ’’

इसके साथ ही उन्होंने संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों का हवाला दिया और कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 में प्रदत्त व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार को निलंबित नहीं किया जा सकता है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि मामले के साक्ष्य देखकर प्रथम दृष्टया यह लगता है कि याचिकाकर्ता इस मामले में ‘‘सरगना और मुख्य षड्यंत्रकारी’’ हैं। पूर्व वित्त मंत्री ने न्यायालय में ईडी के उन आरोपों को खारिज कर दिया कि उनके पास 12 देशों में मूल्यवान संपत्तियां और बैंक खाते हैं और कहा कि उनके द्वारा हर संपत्ति की जानकारी दी गई है।

चिदंबरम ने न्यायालय में दाखिल एक प्रत्युत्तर हलफनामे में कहा कि न्यायालय को प्रवर्तन निदेशालय के मामले के जांच अधिकारी से रिकॉर्ड तलब करना चाहिए जिससे वह संतुष्ट हो सके कि क्या यह जांच स्वतंत्र और निष्पक्ष है या फिर “राजनीतिक प्रतिष्ठान द्वारा इसकी निगरानी की जा रही है।” उन्होंने हलफनामे में कहा, “...याचिकाकर्ता के स्वामित्व वाली प्रत्येक संपत्ति का खुलासा वैधानिक फाइलिंग में किया गया है और घोषित संपत्ति के अलावा उनके पास कोई अन्य संपत्ति नहीं है।”

चिदंबरम ने निचली अदालत के 22 अगस्त के उस आदेश को भी चुनौती दी है जिसमें उन्हें 26 अगस्त तक सीबीआई हिरासत में भेजने की बात थी। सिब्बल ने पीठ से कहा कि चिदंबरम को हिरासत में लेने के लिये प्रवर्तन निदेशालय अपनी मर्जी से और पीठ पीछे कोई दस्तावेज दाखिल नहीं कर सकता है। सिब्बल ने कहा, ‘‘वे अचानक ही दस्तावेज पेश कर रहे हैं और कहते हैं कि यह केस डायरी का हिस्सा है।’’ वहीं चिदंबरम के परिवार ने एक बयान में मांग की कि केंद्र कई देशों में संपत्ति होने और कई मुखौटा कंपनियां होने के उसके आरोपों के समर्थन में साक्ष्य दे। परिवार ने एक बयान में कहा कि कहा कि वे इस बात से तनाव में हैं कि मीडिया पिछले कुछ दिनों में चिदंबरम के खिलाफ बेतुके, अपुष्ट और बिना तथ्यों के आरोपों पर खबरें दे रहा है।

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