इसरो के संस्थापक विक्रम साराभाई के बेटे और बेटी ने क्या कहा, यहां जानिए

By सतीश कुमार सिंह | Updated: August 23, 2023 17:35 IST2023-08-23T17:12:02+5:302023-08-23T17:35:14+5:30

Chandrayaan-3: अहमदाबाद स्थित पर्यावरण शिक्षा केंद्र के निदेशक कार्तिकेय ने कहा कि मेरा मतलब है, एक ऐसी प्रक्रिया के बारे में सोचना जिसका मतलब है कि आप पहले पृथ्वी का चक्कर लगाएं और फिर एक गोफन की तरह, आप वहां जाएं और फिर चंद्रमा का चक्कर लगाएं और फिर वापस आएं।

Chandrayaan-3 Wonderful thing for humanity says ISRO founder Vikram Sarabhai’s son Kartikeya Sarabhai daughter Mallika Sarabhai | इसरो के संस्थापक विक्रम साराभाई के बेटे और बेटी ने क्या कहा, यहां जानिए

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Highlights चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से पर अब तक कोई नहीं उतर सका है।लैंडर ‘विक्रम’ रोवर ‘प्रज्ञान’ के साथ बुधवार शाम को चंद्रमा की सतह पर उतरने की तैयारी में है।भारत इस उपलब्धि को हासिल करने वाला चौथा और चंद्रमा के अब तक अज्ञात दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश होगा।

अहमदाबादः भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के संस्थापक विक्रम साराभाई के बेटे कार्तिकेय साराभाई ने बुधवार को कहा कि चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 की लैंडिंग मानवता के लिए बहुत अच्छी होगी, क्योंकि चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से पर अब तक कोई नहीं उतर सका है।

कार्तिकेय साराभाई ने एएनआई से कहा कि अगर आप इसके बारे में सोचते हैं तो यह एक शानदार बात है। अहमदाबाद स्थित पर्यावरण शिक्षा केंद्र के निदेशक कार्तिकेय ने कहा कि मेरा मतलब है, एक ऐसी प्रक्रिया के बारे में सोचना जिसका मतलब है कि आप पहले पृथ्वी का चक्कर लगाएं और फिर एक गोफन की तरह, आप वहां जाएं और फिर चंद्रमा का चक्कर लगाएं और फिर वापस आएं।

पुत्री मल्लिका साराभाई ने बुधवार को कहा कि चंद्रयान-3 परियोजना ‘नये भारत’ को प्रतिबिंबित करती है और प्रत्येक नागरिक को इस पर गर्व है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने विक्रम साराभाई को श्रद्धांजलि स्वरूप चंद्रयान-3 के लैंडर का नाम ‘विक्रम’ रखा है। लैंडर ‘विक्रम’ रोवर ‘प्रज्ञान’ के साथ बुधवार शाम को चंद्रमा की सतह पर उतरने की तैयारी में है।

भारत इस उपलब्धि को हासिल करने वाला चौथा और चंद्रमा के अब तक अज्ञात दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश होगा। पर्यावरण विज्ञानी कार्तिकेय ने कहा, ‘‘यह हम सभी के लिए, न केवल भारतीयों बल्कि दुनियाभर के लिए महान दिन है क्योंकि कोई अभी तक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर नहीं पहुंच सका है। लोगों ने पहले भी कोशिश की है, लेकिन विफल रहे।

वहां अलग स्वरूप में पानी होने की संभावना है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारे लिए गौरवपूर्ण अनुभव है क्योंकि लैंडर का नाम विक्रम साराभाई के नाम पर है। लेकिन यह हम सभी के लिए गर्व की बात है, न केवल उनके परिवार के लिए। इस लैंडर के विभिन्न घटक विभिन्न लोगों ने बनाये हैं। इसलिए इसमें वास्तव में भारत का बड़ा हिस्सा समाहित है। पूरे देश के वैज्ञानिक शामिल हैं। यह नये भारत को प्रतिबिंबित करता है।’’

कार्तिकेय ने कहा कि उनके पिता दूसरों का अनुसरण करने के बजाय उनसे सीखने में भरोसा करते थे। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-2 विफल नहीं हुआ था क्योंकि यह अब भी चंद्रयान-3 की मदद कर रहा है। विक्रम साराभाई की पुत्री मल्लिका साराभाई ने कहा कि भारत का चंद्र अभियान पूरी मानवता के लिए आगे का एक कदम है।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं प्रयास और विज्ञान में विश्वास करती हूं। मेरा मानना है कि इसरो के वैज्ञानिकों ने कठोर परिश्रम किया है और इससे मेरे पिता का एक सपना पूरा होगा। उन्होंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के उपयोग का सपना अन्य देशों से होड़ के लिए या खुद को महान साबित करने के लिए नहीं देखा था। बल्कि उनका उद्देश्य यह देखना था कि मानवता और पृथ्वी सभी के लिए कैसे बेहतर, सुरक्षित और अधिक सम्मानजनक हो सकते हैं।’’ 

Web Title: Chandrayaan-3 Wonderful thing for humanity says ISRO founder Vikram Sarabhai’s son Kartikeya Sarabhai daughter Mallika Sarabhai

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