Chandrayaan 3 Launch: अंतरिक्ष में एक और कदम, भारत की नई उड़ान, चंद्रयान का तमिलनाडु से अनोखा नाता, जानें क्या है खास और क्यों चर्चा में
By सतीश कुमार सिंह | Updated: July 14, 2023 14:49 IST2023-07-14T14:38:57+5:302023-07-14T14:49:45+5:30
Chandrayaan 3 Launch: भारत ऐसी उपलब्धि हासिल कर चुके अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ जैसे देशों की सूची में शामिल हो जाएगा।

Chandrayaan 3 Launch: अंतरिक्ष में एक और कदम, भारत की नई उड़ान, चंद्रयान का तमिलनाडु से अनोखा नाता, जानें क्या है खास और क्यों चर्चा में
Chandrayaan 3 Launch: पूरी दुनिया को भारत के चंद्र मिशन चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण का बेसब्री से इंतजार खत्म हो गया। भारत का तीसरा चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-3’ आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रमा की सुदूर यात्रा पर रवाना हो गया। सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में एतिहासिक दिन तीसरे चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-3’ के प्रक्षेपण का साक्षी बने।
तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक से 10,000 से अधिक लोग सुबह से ही यहां पहुंचे। इन्हें सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) के मुख्य प्रवेश द्वार के निकट इसरो द्वारा निर्धारित एक गलियारे से प्रक्षेपण देखने की अनुमति दी। सड़क पर हर 100 मीटर पर एक पुलिस कर्मी तैनात किया गया था और सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे।
LVM3 M4/Chandrayaan-3 Mission:
— ISRO (@isro) July 12, 2023
Mission Readiness Review is completed.
The board has authorised the launch.
The countdown begins tomorrow.
The launch can be viewed LIVE onhttps://t.co/5wOj8aimkHhttps://t.co/zugXQAY0c0https://t.co/u5b07tA9e5
DD National
from 14:00 Hrs. IST…
यह ‘चंद्र मिशन’ वर्ष 2019 के ‘चंद्रयान-2’ का अनुवर्ती मिशन है। भारत के इस तीसरे चंद्र मिशन में भी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का है। ‘चंद्रयान-2’ मिशन के दौरान अंतिम क्षणों में लैंडर ‘विक्रम’ पथ विचलन के चलते ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में सफल नहीं हुआ था।
LVM3 M4/Chandrayaan-3 Mission:
— ISRO (@isro) July 12, 2023
Mission Readiness Review is completed.
The board has authorised the launch.
The countdown begins tomorrow.
The launch can be viewed LIVE onhttps://t.co/5wOj8aimkHhttps://t.co/zugXQAY0c0https://t.co/u5b07tA9e5
DD National
from 14:00 Hrs. IST…
इसरो ने शुक्रवार को मिशन संबंधी अद्यतन जानकारी देते हुए कहा, ‘‘ एलवीएम3एम4-चंद्रयान-3 मिशन: श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में उलटी गिनती जारी है।’’ अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, ‘चंद्रयान-3’ कार्यक्रम के तहत इसरो अपने चंद्र मॉड्यूल की मदद से चंद्र सतह पर ‘सॉफ्ट-लैंडिंग’ और चंद्र भूभाग पर रोवर की चहलकदमी का प्रदर्शन करके नई सीमाएं पार करने जा रहा है।
एलवीएम3एम4 रॉकेट शुक्रवार को इसरो के महत्वाकांक्षी ‘चंद्रयान-3’ को पृथ्वी के इकलौते उपग्रह चंद्रमा की यात्रा पर ले जाएगा। इस रॉकेट को पूर्व में जीएसएलवीएमके3 कहा जाता था। भारी उपकरण ले जाने की इसकी क्षमता के कारण अंतरिक्ष वैज्ञानिक इसे 'फैट बॉय' भी कहते हैं।
चंद्रयान का तमिलनाडु से अनोखा नाता
वर्ष 2008 में पहले चंद्र मिशन के साथ शुरू हुई चंद्रयान श्रृंखला के बारे में एक अनोखी समानता उसका तमिलनाडु से संबंध है। तमिलनाडु में जन्मे मयिलसामी अन्नादुरई और एम. वनिता के चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 का नेतृत्व करने के बाद, अब विल्लुपुरम के मूल निवासी पी. वीरमुथुवेल तीसरे मिशन की निगरानी कर रहे हैं, जिसे शुक्रवार को यहां एलवीएम3-एम4 के जरिये चंद्रमा की ओर रवाना किया जाएगा।
एस. सोमनाथ की अध्यक्षता में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का मकसद उन विशिष्ट देशों की सूची में शामिल होना है, जिन्होंने चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ में महारत हासिल कर ली है। शुक्रवार को रवाना होने वाला ‘चंद्र मिशन’ वर्ष 2019 के ‘चंद्रयान-2’ का अनुवर्ती मिशन है।
भारत के इस तीसरे चंद्र मिशन में भी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कराना है। वीरमुथुवेल (46) वर्तमान में सोमनाथ के नेतृत्व में चंद्रयान-3 मिशन के परियोजना निदेशक हैं। तमिलनाडु के विल्लुपुरम जिले के एक परिवार से नाता रखने वाले वाले, वीरमुथुवेल प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (मद्रास) के पूर्व छात्र हैं और उन्होंने पीएचडी भी कर रखी है।
चंद्र मिशन के परियोजना निदेशक के रूप में वीरमुथुवेल ने वनिता का स्थान लिया है, जो तत्कालीन इसरो प्रमुख के. सिवन के नेतृत्व में चलाए गए चंद्रयान -2 मिशन की परियोजना निदेशक थीं। वनिता इसरो के इतिहास में इस पद काबिज हुई पहली महिला थीं।
पहले चंद्रयान मिशन का नेतृत्व करने के बाद मयिलसामी अन्नादुरई को ‘मून मैन ऑफ इंडिया’ की पदवी दी गई। वह भी तमिलनाडु से नाता रखते थे। दिलचस्प तथ्य यह है कि पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, जिन्होंने भारत के रॉकेट कार्यक्रम का नेतृत्व किया, वह भी तमिलनाडु के रामेश्वरम से थे।