Chandrayaan-3 Launch: पूरे देश की नजरें चंद्रयान-3 पर, अगस्त के आखिर में चंद्रमा पर उतरेगा, जानें खासियत और क्यों है अहम
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 14, 2023 12:20 IST2023-07-14T12:18:31+5:302023-07-14T12:20:37+5:30
Chandrayaan-3 Launch: इसरो का चांद पर यान को ‘‘सॉफ्ट लैंडिंग’’ कराने यानी सुरक्षित तरीके से यान उतारने का यह मिशन अगर सफल हो जाता है तो भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो जाएगा, जो ऐसा कर पाने में सक्षम हुए हैं।

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Chandrayaan-3 Launch: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) चार साल बाद एक बार फिर से शुक्रवार को पृथ्वी के इकलौते उपग्रह चांद पर चंद्रयान पहुंचाने के अपने तीसरे अभियान के लिए तैयार है और पूरे देश की नजरें उस पर टिकी हैं।
इसरो का चांद पर यान को ‘‘सॉफ्ट लैंडिंग’’ कराने यानी सुरक्षित तरीके से यान उतारने का यह मिशन अगर सफल हो जाता है तो भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो जाएगा, जो ऐसा कर पाने में सक्षम हुए हैं। देश के महत्वाकांक्षी चंद्र मिशन के तहत चंद्रयान-3 को 'फैट बॉय' एलवीएम-एम4 रॉकेट ले जाएगा।
LVM3 M4/Chandrayaan-3 Mission:
— ISRO (@isro) July 12, 2023
Mission Readiness Review is completed.
The board has authorised the launch.
The countdown begins tomorrow.
The launch can be viewed LIVE onhttps://t.co/5wOj8aimkHhttps://t.co/zugXQAY0c0https://t.co/u5b07tA9e5
DD National
from 14:00 Hrs. IST…
आज दोपहर दो बजकर 35 मिनट पर श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से इसे प्रक्षेपित किया जाएगा। सबकुछ ठीक रहा तो यह अगस्त के आखिर में चंद्रमा पर उतरेगा। चंद्रयान-2, 2019 में चांद की सतह पर सुरक्षित तरीके से उतरने में विफल रहा था जिससे इसरो का दल काफी निराश हो गया था।
तब भावुक हुए तत्कालीन इसरो प्रमुख के. सिवान को गले लगा कर ढांढस बंधाते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तस्वीरें आज भी लोगों को याद हैं। वैज्ञानिक यहां सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में घंटों कड़ी मेहनत करने के बाद चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग तकनीक में महारथ हासिल करने का लाक्ष्य साधे हुए हैं।
LVM3 M4/Chandrayaan-3 Mission:
— ISRO (@isro) July 13, 2023
The countdown leading to the launch tomorrow at 14:35:17 Hrs. IST has commenced.
Curtain raiser: https://t.co/xn4nRucAMn
अगर भारत ऐसा कर पाने में सफल हो जाता है वह अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ के बाद इस सूची में चौथा देश बन जाएगा। अंतरिक्ष संस्थान ने कहा कि चंद्रयान-3, तीसरा चंद्र अन्वेषण मिशन है, जो एलवीएम3 प्रक्षेपक के चौथे परिचालन मिशन (एम4) में रवानगी के लिए पूरी तरह से तैयार है।
इसरो अपने चंद्र मॉड्यूल से चांद की सतह पर सॉफ्ट-लैंडिंग कर उसकी जमीन पर चहलकदमी का प्रदर्शन कर नई ऊंचाइयों को छूने जा रहा है। संस्थाान के अनुसार, यह मिशन भावी अन्तरग्रहीय मिशनों के लिए भी सहायक साबित हो सकता है।
LVM3 M4/Chandrayaan-3 Mission:
— ISRO (@isro) July 14, 2023
The countdown is progressing at SDSC-SHAR, Sriharikota.
Propellant filling in the L110 stage is completed.
Propellant filling in the C25 stage is commencing.
चंद्रयान-3 मिशन में एक स्वदेशी प्रणोदन मॉड्यूल, लैंडर मॉड्यूल और एक रोवर शामिल हैं, जिसका उद्देशय अन्तरग्रहीय मिशनों के लिए जरूरी नई प्रौद्योगिकियों का विकास एवं उनका प्रदर्शन करना है। मिशन के तहत 43.5 मीटर लंबा रॉकेट दूसरे लॉन्च पैड से प्रक्षेपित किया जाना है।
सबसे लंबे और भारी एलवीएम3 रॉकेट (पूर्व में जीएसएलवी एमके3 कहलाने वाले) की भारी भरकम सामान ले जाने की क्षमता की वजह से इसरो के वैज्ञानिक उसे प्यार से 'फैट बॉय' भी कहते हैं। इस ‘फैट बॉय’ ने लगातार छह सफल अभियानों को पूरा किया है। एलवीएम3 रॉकेट तीन मॉड्यूल का समन्वय है, जिसमें प्रणोदन, लैंडर और रोवर शामिल हैं।
रोवर लैंडर के भीतर रखा है। शुक्रवार का यह मिशन एलवीएम3 की चौथी परिचालन उड़ान है, जिसका मकसद ‘चंद्रयान-3’ को भू-समकालिक कक्षा में प्रक्षेपित करना है। इसरो ने कहा कि एलवीएम3 वाहन ने अपनी दक्षता को साबित किया है और कई जटिल अभियानों को पूरा किया है, जिसमें बहु-उपग्रहों का प्रक्षेपण, अन्तरग्रहीय मिशनों सहित दूसरे अभियान शामिल हैं।
Chandrayaan-3 mission:
— ISRO (@isro) July 11, 2023
The ‘Launch Rehearsal’ simulating the entire launch preparation and process lasting 24 hours has been concluded.
Mission brochure: https://t.co/cCnH05sPcWpic.twitter.com/oqV1TYux8V
इसके अलावा यह सबसे लंबा और भारी प्रक्षेपक वाहन है, जो भारतीय और अंतरराष्ट्रीय उपभोक्ता उपग्रहों को लाने-ले जाने का काम करता है। जुलाई महीने में प्रक्षेपण करने का कारण ठीक चंद्रयान-2 मिशन (22 जुलाई, 2019) जैसा ही है क्योंकि साल के इस समय में पृथ्वी और उसका उपग्रह चंद्रमा एक-दूसरे के बेहद करीब होते हैं।
शुक्रवार का मिशन भी चंद्रयान-2 की तर्ज पर होगा, जहां वैज्ञानिक कई क्षमताओं का प्रदर्शन करेंगे। इनमें चंद्रमा की कक्षा पर पहुंचना, लैंडर का उपयोग कर चंद्रमा की सतह पर यान को सुरक्षित उतारना और लैंडर में से रोवर का बाहर निकलकर चंद्रमा की सतह के बारे में अध्ययन करना शामिल है।
चंद्रयान-2 मिशन में लैंडर सुरक्षित रूप से सतह पर नहीं उतर सका था और दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसकी वजह से इसरो का प्रयास असफल हो गया था। वैज्ञानिकों ने अगस्त महीने में लैंडर को सफलतापूर्वक उतारने के प्रयास में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है।
श्रीहरिकोटा में मंगलवार को प्रक्षेपण रिहर्सल संपन्न हुआ, जिसमें प्रक्षेपण की तैयारी और प्रक्रिया आदि शामिल थी और यह पूर्वाभ्यास 24 घंटे से अधिक समय तक चला। इसके अगले दिन, वैज्ञानिकों ने मिशन तैयारी से संबंधित समीक्षा पूरी की।