Chandrayaan-3 Landing: कभी कहा जाता था चंदा मामा बहुत दूर के हैं, अब एक दिन वो भी आएगा जब बच्चे कहा करेंगे चंदा मामा बस एक टूर के हैं, पीएम मोदी ने कहा, देखें वीडियो
By सतीश कुमार सिंह | Updated: August 23, 2023 18:33 IST2023-08-23T18:30:39+5:302023-08-23T18:33:18+5:30
Chandrayaan-3 Landing: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बुधवार को अंतरिक्ष क्षेत्र में एक नया इतिहास रचते हुए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर ‘विक्रम’ और रोवर ‘प्रज्ञान’ से लैस एलएम की साफ्ट लैंडिग कराने में सफलता हासिल की।

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Chandrayaan-3 Landing: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चंद्रयान मिशन की सफलता के बाद कहा कि यह ऐतिहासिक क्षण है और विकसित भारत का बिगुल बज चुका है। कभी कहा जाता था चंदा मामा बहुत दूर के हैं, अब एक दिन वो भी आएगा जब बच्चे कहा करेंगे चंदा मामा बस एक टूर के हैं।
इसरो के तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग पर पीएम मोदी ने कहा कि हम नये भारत की नई उड़ान के साक्षी हैं, नया इतिहास लिखा जा चुका है। मैं भले ही दक्षिण अफ्रीका में हूं, लेकिन मेरा दिल हर समय चंद्रयान मिशन के साथ रहा।
#WATCH | "Kabhi kaha jata tha chanda mama bahut door ke hain, ab ek din wo bhi ayega jab bacche kaha karenge chanda mama bass ek tour ke hain," says PM Modi on the soft landing of ISRO's third lunar mission Chandrayaan-3 on the moon pic.twitter.com/qxpfyzHsQl
— ANI (@ANI) August 23, 2023
चंद्रयान-3 मिशन की सफलता पर पीएम मोदी ने कहा कि भारत का सफल चंद्रमा मिशन अकेले भारत का नहीं है...यह सफलता पूरी मानवता की है। इससे पहले कोई भी देश वहां (चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव) तक नहीं पहुंचा है। हमारे वैज्ञानिकों की मेहनत से हम वहां तक पहुंचे हैं।
#WATCH | "India's successful Moon mission is not just India's alone...This success belongs to all of humanity," says PM Modi on Chandrayaan-3 mission success
— ANI (@ANI) August 23, 2023
India is the first country to land on lunar south pole with Chandrayaan-3 mission pic.twitter.com/eVh0N7fIpv
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बुधवार को अंतरिक्ष क्षेत्र में एक नया इतिहास रचते हुए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर ‘विक्रम’ और रोवर ‘प्रज्ञान’ से लैस एलएम की साफ्ट लैंडिग कराने में सफलता हासिल की। भारतीय समयानुसार शाम करीब छह बजकर चार मिनट पर इसने चांद की सतह को छुआ।
इसके साथ ही भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर साफ्ट लैंडिंग कराने वाला दुनिया का पहला देश तथा चांद की सतह पर साफ्ट लैंडिंग करने वाले चार देशों में शामिल हो गया है। इसरो के महत्वाकांक्षी तीसरे चंद्रमा मिशन ‘‘चंद्रयान-3’’ के लैंडर मॉड्यूल (एलएम) ने बुधवार शाम चंद्रमा की सतह को चूम कर अंतरिक्ष विज्ञान में सफलता की एक नयी इबारत रची।
वैज्ञानिकों के अनुसार इस अभियान के अंतिम चरण में सारी प्रक्रियाएं पूर्व निर्धारित योजनाओं के अनुरूप ठीक से चली। यह एक ऐसी सफलता है जिसे न केवल इसरो के शीर्ष वैज्ञानिक बल्कि भारत का हर आम और खास आदमी टीवी की स्क्रीन पर टकटकी बांधे देख रहा था। लैंडर ‘विक्रम’ और रोवर ‘प्रज्ञान’ से लैस एलएम ने बुधवार शाम 6.04 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की।
यह एक ऐसी उपलब्धि है, जो अब तक किसी भी देश को हासिल नहीं हुई है। इसरो के अधिकारियों के मुताबिक, लैंडिंग के लिए लगभग 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर लैंडर 'पॉवर ब्रेकिंग फेज' में कदम रखता है और गति को धीरे-धीरे कम करके, चंद्रमा की सतह तक पहुंचने के लिए अपने चार थ्रस्टर इंजन की ‘रेट्रो फायरिंग’ करके उनका इस्तेमाल करना शुरू कर देता है।
उन्होंने बताया कि ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव के कारण लैंडर 'क्रैश' न हो जाए। अधिकारियों के अनुसार, 6.8 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंचने पर केवल दो इंजन का इस्तेमाल हुआ और बाकी दो इंजन बंद कर दिए गए, जिसका उद्देश्य सतह के और करीब आने के दौरान लैंडर को 'रिवर्स थ्रस्ट' (सामान्य दिशा की विपरीत दिशा में धक्का देना, ताकि लैंडिंग के बाद लैंडर की गति को धीमा किया जा सके) देना था।
अधिकारियों ने बताया कि लगभग 150 से 100 मीटर की ऊंचाई पर पहुंचने पर लैंडर ने अपने सेंसर और कैमरों का इस्तेमाल कर सतह की जांच की कि कोई बाधा तो नहीं है और फिर सॉफ्ट-लैंडिंग करने के लिए नीचे उतरना शुरू कर दिया।
इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने हाल में कहा था कि लैंडर की गति को 30 किलोमीटर की ऊंचाई से अंतिम लैंडिंग तक कम करने की प्रक्रिया और अंतरिक्ष यान को क्षैतिज से ऊर्ध्वाधर दिशा में पुन: निर्देशित करने की क्षमता लैंडिंग का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होगी।
अधिकारियों के मुताबिक, सॉफ्ट-लैंडिंग के बाद रोवर अपने एक साइड पैनल का उपयोग करके लैंडर के अंदर से चंद्रमा की सतह पर उतरा, जो रैंप के रूप में इस्तेमाल हुआ। इसरो के अनुसार, चंद्रमा की सतह और आसपास के वातावरण का अध्ययन करने के लिए लैंडर और रोवर के पास एक चंद्र दिवस (पृथ्वी के लगभग 14 दिन के बराबर) का समय होगा। हालांकि, वैज्ञानिकों ने दोनों के एक और चंद्र दिवस तक सक्रिय रहने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया है।