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केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- कोरोना से हुई हर मौत पर 4 लाख का मुआवजा नहीं दे सकते, ये वित्तीय सामर्थ्य से बाहर

By दीप्ती कुमारी | Updated: June 20, 2021 11:25 IST

सुप्रीम कोर्ट में दायर किए हलफनामे में केंद्र सरकार ने मुआवजे और मृत्यु प्रमाण पत्र पर अपनी नीति सुनिश्चित करने के निर्देश पर कहा कि हम कोविड से हुई हर मौत पर 4 लाख रुपये का मुआवजा नहीं दे सकते हैं ।

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ठळक मुद्देकेंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को दिया जवाब , कहा- कोरोना पीड़ितों को 4 लाख मुआवजा देना संभव नहीं केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा कि इस बीमारी से अबतक 3.85 लाख लोगों की जान जा चुकी है सरकार ने कहा कि भारी स्वास्थ्य खर्च और कम राजस्व के कारण पहले ही राज्य वित्तीय दबाव में हैं

दिल्ली: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि कोरोना से हुई हर मौत पर पीड़ित परिवार वालों को 4 लाख रुपये का मुआवजा नहीं दिया जा सकता है। केंद्र ने कहा कि नियमों के अनुसार ये केवल प्राकृतिक आपदाओं के मामले में लागू होता है। 

साथ ही केंद्र ने कहा कि राज्य हर पीड़ित के लिए 4 लाख रुपये के मुआवजे का भार वहन नहीं कर सकते। ऐसा करना राज्यों के लिए सामर्थ्य से बाहर की बात होगी। केंद्र ने शनिवार देर रात दायर किए 183 पन्नों के हलफनामे में कहा कि कोविड बीमारी के लिए मुआवजा राशि देना और अन्य के लिए इसे नहीं देना 'अनुचित' होगा।

केंद्र ने हलफनामे में कहा है कि इस घातक बीमारी से 3.85 लाख से अधिक लोगों मौतें हुई है। इस और बढ़ने की भी संभावना है और राज्य गंभीर वित्तीय दबाव से जूझ रहे हैं। सभी को मुआवजा भुगतान नहीं किया जा सकता।  दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में हाल में पीड़ितों के लिए 4 लाख मुआवजे की मांग के संबंध में याचिका आई थी। इसके बाद कोर्ट ने मुआवजे और मृत्यु प्रमाण पत्र को लेकर केंद्र से उसकी नीति के बारे में जानकारी देने को कहा था।

सरकार ने कहा कि आपदा प्रबंधन कानून कहता है कि मुआवजा केवल भूकंप या बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं पर लागू होता है । महामारी के बड़े पैमाने पर होने के कारण इसे कोविड पर लागू करना उचित नहीं होगा।

'लाखों कोरोना पीड़ितों के लिए मुआवजे संभव नहीं'

केंद्र ने अपने हलफनामे में यह भी कहा कि बढ़े हुए स्वास्थ्य खर्च और कम राजस्व के कारण राज्य लाखों कोरोना पीड़ितों के लिए मुआवजे का भुगतान नहीं कर सकते।

केंद्र ने हलफनामे में कहा है पहले ही मौजूद कम संसाधनों का मुआवजे के तौर पर उपयोग से महामारी के खिलाफ जंग प्रभावित होगी। ये स्वास्थ्य सुविधाओं पर होने वाले खर्च को भी प्रभावित कर सकता है। ऐसे में अच्छा करने की बजाय और नुकसान उठाना पड़ सकता है।

सरकार ने शीर्ष अदालत को कार्यकारी नीतियों से दूर रहने के अपने पहले के फैसले की भी याद दिलाई और कहा कि न्यायपालिका केंद्र की ओर से निर्णय नहीं ले सकती है ।

हलफनामे में यह भी कहा गया कि कोरोना से मरने वाले लोगों के मृत्यु प्रमाण पत्र में कोविड मौत का जिक्र होगा । सरकार ने कहा कि जो डॉक्टर कोविड मौतों को प्रमाणित करने में विफल रहते हैं, उन्हें दंडित भी किया जाएगा । सुप्रीम कोर्ट सोमवार को मामले की सुनवाई करेगा ।

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