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हर समस्या के प्रति आंखें मूंद लेने की केंद्र की नीति देश के लिए घातक होगी: सिसोदिया

By भाषा | Updated: October 10, 2021 18:54 IST

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नयी दिल्ली, 10 अक्टूबर दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने रविवार को आरोप लगाया कि केंद्र यह स्वीकार करने को तैयार नहीं है कि कोयला संकट है और हर समस्या के प्रति आंखें मूंद लेने की उसकी नीति देश के लिए घातक साबित हो सकती है।

उनका बयान कोयला मंत्रालय के यह कहने के बाद आया है कि विद्युत उत्पादन संयंत्रों की मांग को पूरा करने के लिए देश में पर्याप्त मात्रा में कोयला उपलब्ध है। साथ ही, मंत्रालय ने बिजली आपूर्ति में व्यवधान आने की आशंका को पूरी तरह से गुमराह करने वाला करार देते हुए खारिज कर दिया।

सिसोदिया ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘केंद्रीय मंत्री आर के सिंह ने आज कहा कि कोयला संकट नहीं है और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) को एक पत्र नहीं लिखना चाहिए था। यह दुखद है कि केंद्रीय कैबिनेट मंत्री ने इस तरह का गैर जिम्मेदाराना रुख अपनाया है।’’

आम आदमी पार्टी के नेता ने कहा कि यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि केंद्र सरकार संकट से ‘‘दूर भागने’’ के लिए बहाने बना रही है।

सिसोदिया ने आरोप लगाया कि जब राज्यों और चिकित्सकों ने कहा था कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी है, तब केंद्र ने स्वीकार नहीं किया था कि ऐसा कोई संकट है।

उप मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘उसने उस वक्त भी यही चीज किया था, जब देश ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहा था। उसने यह स्वीकार नहीं किया था कि ऐसा कोई संकट है। इसके बजाय वे राज्यों को गलत साबित करने की कोशिश करते हैं।’’

सिसोदिया ने कहा कि हर समस्या के प्रति आंखें मूंद लेने की केंद्र की आदत देश के लिए घातक साबित हो सकती है।

उन्होंने कहा, ‘‘कोयला संकट बिजली संकट पैदा कर सकता है, जो देश की प्रणाली को पूरी तरह से ठप कर सकता है। यह उद्योगों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकता है। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं हाथ जोड़ कर केंद्र सरकार से अनुरोध करता हूं कि कृपया संकट को स्वीकार कीजिए। केंद्र को सहयोग का व्यवहार प्रदर्शित करना चाहिए और कोयला संकट का हल करना चाहिए।’’

हाल के दिनों में कुछ अन्य राज्यों ने भी कोयला आपूर्ति का मुद्दा केंद्र के समक्ष उठाया है।

हालांकि, कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने रविवार को ट्वीट किया, ‘‘देश में कोयला उत्पादन एवं आपूर्ति की स्थिति की समीक्षा की है। हर किसी को आश्वस्त करता हूं कि बिजली आपूर्ति में व्यवधान आने का कोई खतरा नहीं है। कोल इंडिया के पास 4.3 करोड़ टन कोयले का पर्याप्त भंडार है, जो 24 दिनों के लिए कोयले की मांग के बराबर है। ’’

कोयला मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि विद्युत संयंत्रों के पास कोयले का भंडार करीब 72 लाख टन है, जो चार दिनों की जरूरत के लिए पर्याप्त है और कोल इंडिया लिमिटेड के पास 400 लाख टन से अधिक भंडर है, जो विद्युत संयंत्रों को आपूर्ति की जा रही है।

बयान में कहा गया है, ‘‘ कोयला मंत्रालय आश्वस्त करता है कि विद्युत संयंत्रों की मांग पूरी करने के लिए देश में प्रचुर कोयला उपलब्ध है। बिजली आपूर्ति में व्यवधान आने की कोई आशंका गुमराह करने वाली है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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