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केंद्र, दो राज्यों ने केन-बेतवा नदी-जोड़ो परियोजना के क्रियान्वयन के वास्ते समझौते पर हस्ताक्षर किये

By भाषा | Updated: March 22, 2021 20:26 IST

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नयी दिल्ली, 22 मार्च जल शक्ति मंत्रालय और मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश की सरकारों ने केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना (केबीएलपी) के क्रियान्वयन के लिए सोमवार को एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जो राष्ट्रीय नदी-जोड़ो परियोजना (एनआरएलपी) के तहत पहली बड़ी परियोजना है।

जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस परियोजना के कार्यान्वयन के लिये समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये।

इस परियोजना के तहत केन नदी से बेतवा नदी में पानी भेजा जाएगा। इसके लिए दौधन बांध का निर्माण किया जाएगा। दोनों नदियों को जोड़ने वाली नहर, लोअर ओर परियोजना, कोठा बैराज और बीना परिसर बहुद्देशीय परियोजना से इसमें मदद मिलेगी।

इस मौके पर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि वर्षा जल से संरक्षण के साथ ही देश में नदी जल के प्रबंधन पर भी दशकों से चर्चा होती रही है, लेकिन अब देश को पानी के संकट से बचाने के लिए इस दिशा में तेजी से कार्य करना आवश्यक है।

उन्होंने केन-बेतवा संपर्क परियोजना को इसी दूर-दृष्टि का हिस्सा बताया। उन्होंने इस परियोजना को पूरा करने की दिशा में काम करने के लिए उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सरकारों की प्रशंसा की।

मोदी ने कहा कि यह परियोजना बुंदेलखंड के भविष्य को नई दिशा देगी।

केबीएलपी से 10.62 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सालभर सिंचाई हो सकेगी, 62 लाख लोगों को पेयजल आपूर्ति संभव होगी और 103 मेगावॉट बिजली पैदा की जा सकेगी।

प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी वक्तव्य में बताया गया कि इस परियोजना से पानी की कमी से जूझ रहे बुंदेलखंड क्षेत्र, खासकर मध्य प्रदेश के पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी तथा रायसेन और उत्तर प्रदेश के बांदा, महोबा, झांसी और ललितपुर को बहुत लाभ मिलेगा।

यह परियोजना अन्य नदी-जोड़ो परियोजनाओं का मार्ग भी प्रशस्त करेगी, जिनसे यह सुनिश्चित हो सकेगा कि पानी की कमी देश के विकास में अवरोधक नहीं बने।

यह परियोजना की मदद से वर्ष में 10.62 लाख हेक्टेयर क्षेत्र (मध्य प्रदेश में 8.11 लाख हेक्टेयर और उत्तर प्रदेश में 2.51 लाख हेक्टेयर क्षेत्र) में सिंचाई हो सकेगी। इससे करीब 62 लाख लोगों (मध्य प्रदेश में 41 लाख और उत्तर प्रदेश में 21 लाख) को पेयजल की आपूर्ति होगी।

इस परियोजना के तहत 9,000 हेक्टेयर क्षेत्र में पानी रोका जाएगा, जिनमें से 5,803 हेक्टेयर क्षेत्र पन्ना बाघ अभयारण्य के तहत आता है।

एनआरएलपी को औपचारिक रूप से राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (एनपीपी) के नाम से जाना जाता है। इसके तहत अतिरिक्त जल वाले जलाशयों से जल की कमी वालों जलाशयों में पानी भेजे जाने की योजना बनाई गई है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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