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केन्द्र ने न्यायालय से कहा: किसानों के आन्दोलन में ‘खालिस्तानी’ घुस आये हैं

By भाषा | Updated: January 12, 2021 20:02 IST

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नयी दिल्ली, 12 जनवरी उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को केन्द्र से कहा कि नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आन्दोलन में ‘खालिस्तानी’ संगठन सहित कुछ प्रतिबंधित संगठनों के प्रवेश के दावों के बारे में वह हलफनामा दाखिल करे।

केन्द्र की ओर से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि इस विरोध प्रदर्शन में ‘खालिस्तानी’ घुस गये हैं और वह गुप्तचर ब्यूरो से प्राप्त आवश्यक जानकारी के साथ हलफनामा दाखिल करेंगे।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ के समक्ष कृषि कानूनों और किसान आन्दोलन पर सुनवाई के दौरान यह मुद्दा सामने आया। इस पर पीठ ने वेणुगोपाल से कहा कि वह बुधवार तक इस बारे में हलफनामा दाखिल करें।

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘यह सराहनीय है कि किसानों का आन्दोलन अभी तक शांतिपूर्ण और बगैर किसी अप्रिय घटना के चल रहा है। लेकिन सुनवाई के दौरान बताया गया कि कुछ व्यक्ति, जो किसान नहीं हैं, भी किसानों के प्रति एकजुटता दिखाने के लिये इसमें शामिल हो गये हैं।’’

पीठ ने कहा कि कुछ व्यक्तियों द्वारा इसमें गड़बड़ी पैदा करने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है।

पीठ ने आगे कहा, ‘‘हकीकत यह है, इंडियन किसान यूनियन ने हस्तक्षेप के लिये एक आवेदन में कहा गया है कि प्रतिबंधित भारत विरोधी अलगाववादी आन्दोलन ‘सिख फॉर जस्टिस’ नाम का एक संगठन आन्दोलन को आर्थिक मदद कर रहा है। अटार्नी जनरल ने इस कथन का समर्थन किया है।’’

इन कानूनों का समर्थन करने वाले हस्तक्षेपकर्ता इंडियन किसान यूनियन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पी एस नरसिम्हा ने आरोप लगाया कि कुछ प्रतिबंधित संगठन किसानों के आन्दोलन को हवा दे रहे हैं।

उन्होंने कहा कि इस तरह के विरोध प्रदर्शन ‘खतरनाक’ हो सके हैं। उन्होंने कहा कि इन आन्दोलनों में ‘सिख फॉर जस्टिस’ जैसे समूह संलिप्त हैं।

पीठ ने वेणुगोपाल से कहा कि किसी ने यहां रिकार्ड पर आरोप लगाया है कि कुछ प्रतिबंधित संगठन इस आन्दोलन की मदद कर रहे हैं।

पीठ ने अटार्नी जनरल से जानना चाहा, ‘‘क्या आप इसकी पुष्टि या खंडन करेंगे?।

इस पर अटार्नी जनरल ने कहा, ‘‘हमने कहा है कि ‘खालिस्तानी’ किसानों के आन्दोलन में घुस आये हैं। हम गुप्तचर ब्यूरो से मिली जानकारी के साथ इस बारे में कल तक हलफनामा दाखिल कर सकते हैं।’’

शीर्ष अदालत ने विवादास्पद तीनों नये कृषि कानूनों के अमल पर मंगलवार को अगले आदेश तक के लिये रोक लगाने के साथ ही सरकार और किसानों के बीच व्याप्त गतिरोध दूर करने के लिे चार सदस्यीय समिति गठित की है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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