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वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के अब तक उठाए कदमों की जानकारी दे केंद्र: न्यायालय

By भाषा | Updated: December 14, 2020 13:50 IST

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नयी दिल्ली, 14 दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्र सरकार से कहा कि वह उसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) और निकटवर्ती इलाकों में प्रदूषण से निपटने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के अब तक उठाए कदमों की जानकारी मुहैया कराए।

केंद्र की ओर से पेश हुईं अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ को बताया कि सरकार इस मामले पर शीर्ष अदालत में दाखिल करने के लिए समग्र हलफनामा तैयार कर रही है।

पीठ में न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति रामसुब्रमण्यम भी शामिल हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘आप अपना हलफनामा दाखिल करें।’’

न्यायालय ने कहा कि हलफनामा में इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि आयोग ने अब तक क्या कदम उठाए हैं।

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण संबंधी मामलों की सुनवाई कर रहे न्यायालय से वीडियो-कांफ्रेंस के जरिए हुई सुनवाई के दौरान कहा गया कि आयोग ने अभी तक कुछ नहीं किया है।

दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में पराली जलाए जाने के कारण प्रदूषण बढ़ने का मामला उठाने वाले याचिकाकर्ता आदित्य दुबे की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा, ‘‘समिति में 14 सदस्य हैं, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया है।’’

इस पर भाटी ने कहा, ‘‘हमारा शपथपत्र तैयार है। हमें दो दिन का समय दीजिए।’’

मामले में पेश हुए एक वकील ने दावा किया कि पराली जलाए जाने की घटनाओं में पांच प्रतिशत इजाफा हुआ है।

भार्टी ने कहा, ‘‘हम समग्र रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं।’’

पीठ ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए 17 दिसंबर की तारीख तय की।

न्यायालय ने छह नवंबर को केन्द्र को यह सुनिश्चित करने के लिये कहा था कि दिल्ली-एनसीआर में कोहरा नहीं हो। इससे पहले, न्यायालय को सूचित किया गया था कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग छह नवंबर से ही काम शुरू कर देगा।

केन्द्र ने दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव एम एम कुट्टी को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इससे सटे इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया है।

केंद्र ने 29 अक्टूबर को न्यायालय को सूचित किया था कि प्रदूषण पर काबू पाने के लिये सरकार एक अध्यादेश लायी है और उसे लागू कर दिया गया है।

पीठ ने इस पर कहा था कि दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की वजह से हो रहे वायु प्रदूषण के मामले में कोई निर्देश देने से पहले वह अध्यादेश देखना चाहेगी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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