केंद्र ने कोविड-19 टीकाकरण के वास्ते न्यायाधीशों, वकीलों की अलग श्रेणी बनाने को लेकर अनिच्छा जताई

By भाषा | Updated: March 15, 2021 20:24 IST2021-03-15T20:24:36+5:302021-03-15T20:24:36+5:30

Center expresses reluctance to create separate category of judges, lawyers for vaccination of Kovid-19 | केंद्र ने कोविड-19 टीकाकरण के वास्ते न्यायाधीशों, वकीलों की अलग श्रेणी बनाने को लेकर अनिच्छा जताई

केंद्र ने कोविड-19 टीकाकरण के वास्ते न्यायाधीशों, वकीलों की अलग श्रेणी बनाने को लेकर अनिच्छा जताई

नयी दिल्ली, 15 मार्च केंद्र ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि प्राथमिकता के आधार पर कोविड-19 रोधी टीका लगाने के वास्ते 45 साल से कम उम्र के न्यायाधीशों, वकीलों तथा न्यायिक कर्मियों के लिए अलग श्रेणी बनाना वांछनीय नहीं है।

इसने कहा कि पहले से ही श्रमशक्ति और अवसंरचना क्षमता से परे तैयार किए जा रहे टीके का वैश्विक महामारी के मद्देनजर निर्यात भी किया जा रहा है।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यिन की पीठ ने कहा कि वह संबंधित याचिका पर 18 मार्च को सुनवाई करेगी।

याचिका में आग्रह किया गया है कि कोविड-19 टीकाकरण के लिए न्यायाधीशों, वकीलों और न्यायिक कर्मियों को प्राथमिकता श्रेणी में शामिल किया जाना चाहिए।

केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुनवाई के दौरान कहा कि सरकार की ओर से जवाब दाखिल किया जा चुका है।

सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और भारत बायोटेक की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि विभिन्न उच्च न्यायालय इस बारे में विवरण मांग रहे हैं कि कितने टीकों का उत्पादन किया जा रहा है और सभी लोगों को टीका कब लगाया जाएगा।

रोहतगी ने कहा कि यह अत्यंत महत्वपूर्ण मामला है और उन्होंने उच्च न्यायालयों के समक्ष दायर सभी मामलों को उच्चतम न्यायालय में स्थानांतरित करने का आग्रह करते हुए याचिका दायर की है।

पीठ ने इसपर कहा कि वह स्थानांतरण याचिका पर जनहित याचिका के साथ ही 18 मार्च को सुनवाई करेगी।

जनहित याचिका में कोविड-19 टीकाकरण के लिए न्यायाधीशों, वकीलों और न्यायिक कर्मियों को प्राथमिकता देने का आग्रह किया गया है।

केंद्र ने अपने शपथपत्र में कहा कि 45 साल से कम उम्र के वकीलों तथा अन्य के लिए अलग श्रेणी बनाना वांछनीय नहीं है और इस तरह का वर्गीकरण दूसरे कार्यों तथा व्यवसाय से जुड़े लोगों एवं समान भौगोलिक स्थितियों और परिस्थितियों में काम करनेवाले लोगों के साथ भेदभाव होगा।

इसने कहा कि पहले से ही श्रमशक्ति और अवसंरचना क्षमता से परे तैयार किए जा रहे टीके का वैश्विक महामारी के मद्देनजर निर्यात भी किया जा रहा है।

केंद्र ने कहा कि टीकाकरण संबंधी निर्णय पूरी तरह कार्यपालिका का निर्णय है जो देश के व्यापक हित को देखते हुए लिया गया है तथा यह न्यायिक समीक्षा का विषय नहीं है।

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