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केंद्र ने मप्र को कोरोना पर काबू के लिए 5-सूत्री रणनीति लागू करने को कहा

By भाषा | Updated: April 15, 2021 19:22 IST

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नयी दिल्ली, 15 अप्रैल मध्य प्रदेश में कोरोना वायरस के मामलों में तेजी से वृद्धि होने के बीच केंद्र ने राज्य को ‘‘जांच, निगरानी, इलाज, कोविड संबंधी उचित व्यवहार का पालन और टीकाकरण" की पांच सूत्री रणनीति को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए कहा है। इसके साथ ही केंद्र ने राज्य को आईसीयू बिस्तरों की संख्या तथा ऑक्सीजन की व्यवस्था को बढ़ाने के लिए कहा है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्य को बड़े समूहों में लोगों की गैर-जरूरी आवाजाही और सामाजिक कार्यक्रमों पर रोक लगाने को भी कहा है क्योंकि ऐसे आयोजनों से बड़ी संख्या में लोग वायरस से संक्रमित हो सकते हैं।

मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि एन95 मास्क, पीपीई किट, एचसीक्यू दवाई की उपलब्धता, वेंटिलेटर आवंटन, ऑक्सीजन की आवश्यकता के साथ वितरण आदि से संबंधित मुद्दों पर एक उच्चस्तरीय बैठक में विस्तार से चर्चा की गई।

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण के साथ केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने मध्य प्रदेश में कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा के लिए बैठक की अध्यक्षता की।

मध्य प्रदेश में पिछले दो हफ्तों में साप्ताहिक नए मामलों में लगभग 79 प्रतिशत की वृद्धि हुयी है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि मध्य प्रदेश में आरटी-पीसीआर परीक्षण में वृद्धि की गयी है जबकि एंटीजन जांच में कम की की गयी है।

भल्ला ने राज्य में कोरोना से मुकाबले के लिए प्रमुख बाधाओं का जिक किया। इनमें अस्पतालों में बिस्तर खासकर ऑक्सीजन युक्त बिस्तरों की कमी, अस्पताल में अन्य बुनियादी ढांचे की कमी शामिल हैं।

भल्ला ने अधिकारियों से राज्य में मौजूदा स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए रेलवे, श्रम (ईएसआई), सेल, कोल इंडिया आदि जैसे केंद्र सरकार के संगठनों के अस्पतालों का भी उपयोग करने की संभावना का पता लगाने का आग्रह किया।

राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों को दिशानिर्देशों के अनुसार अस्पतालों में ऑक्सीजन के तर्कसंगत उपयोग पर जोर देने को कहा गया है।

राज्य को कोरोना वायरस के प्रसार पर काबू के लिए जांच के अलावा निगरानी, संपर्कों का पता लगाने, निषिद्ध क्षेत्र बनाने की रणनीति पर काम करने को कहा गया है।

केंद्र ने राज्य से कहा कि प्रत्येक संक्रमित व्यक्ति के लिए कम से कम 25 से 30 नज़दीकी संपर्कों का पता लगाया जाए और उन्हें 72 घंटों तक अलग रखा जाए। बाद में उनकी जांच करायी जाए।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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