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केंद्र ने बंगाल से तीन आईपीएस अफसरों को तत्काल कार्यमुक्त करने को कहा, ममता ने असंवैधानिक बताया

By भाषा | Updated: December 17, 2020 19:35 IST

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नयी दिल्ली/कोलकाता, 17 दिसंबर केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल सरकार को बृहस्पतिवार को नया पत्र जारी कर कहा कि वह केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के तीन अधिकारियों को तत्काल कार्यमुक्त करे। नाराज मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस कदम को ‘‘असंवैधानिक तथा अस्वीकार्य’’ करार दिया।

बनर्जी ने यह भी कहा कि वह राज्य की प्रणाली पर अप्रत्यक्ष नियंत्रण की अनुमति नहीं देंगी।

पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा संबंधित आईपीएस अधिकारियों को कार्यमुक्त न करने की बात कहे जाने के पांच दिन बाद केंद्र ने आज नया पत्र जारी किया और राज्य सरकार से इन अधिकारियों को तत्काल कार्यमुक्त करने को कहा जिससे कि वे अपनी नई जिम्मेदारियां संभाल सकें।

अधिकारियों ने बताया कि पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को भेजे गए पत्र में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है कि आईपीएस काडर नियमों के मुताबिक, विवाद की स्थिति में राज्य को केंद्र का कहना मानना होगा।

गृह मंत्रालय ने कहा है कि तीन आईपीएस अधिकारियों को पहले ही नई जिम्मेदारियां दी जा चुकी हैं और उन्हें फौरन कार्यमुक्त किया जाना चाहिए।

तीन अधिकारी--भोलानाथ पांडे (पुलिस अधीक्षक, डायमंड हार्बर), प्रवीण त्रिपाठी (डीआईजी प्रेसिडेंसी रेंज) और राजीव मिश्रा (एडीजी दक्षिण बंगाल)-- भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की राज्य की नौ और 10 दिसंबर को हुई पश्चिम बंगाल यात्रा के दौरान उनकी सुरक्षा के लिए जिम्मेदार थे।

डायमंड हार्बर में नड्डा के काफिले पर पिछले हफ्ते हमले के संदर्भ में ड्यूटी में कथित लापरवाही को लेकर केंद्र ने तीन आईपीएस अधिकारियों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर आने का निर्देश दिया था।

नाराज बनर्जी ने कहा, ‘‘‘‘ यह कदम, खासकर चुनाव से पहले संघीय ढांचे के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। यह पूरी तरह असंवैधानिक और पूरी तरह अस्वीकार्य है।’’

मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘राज्य (पश्चिम बंगाल सरकार) की आपत्ति के बावजूद भारत (केंद्र) सरकार का पश्चिम बंगाल में सेवारत तीन आईपीएस अधिकारियों को केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर भेजे जाने संबंधी आदेश आईपीएस काडर कानून 1954 के आपातकालीन प्रावधानों और शक्ति का दुरुपयोग है।’’

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘हम केंद्र को राज्य प्रणाली पर अप्रत्यक्ष नियंत्रण की अनुमति नहीं देंगे। पश्चिम बंगाल विस्तारवादी और अलोकतांत्रिक ताकतों के आगे नहीं झुकेगा।’’

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि पांडे को पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो में पुलिस अधीक्षक बनाया गया है जबकि त्रिपाठी को सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) में उपमहानिरीक्षक के तौर पर नियुक्ति दी गई है। वहीं, मिश्रा को भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) में महानिरीक्षक के रूप में नियुक्त किया गया है।

पत्र की प्रति पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक को भी भेजी गई है।

पश्चिम बंगाल सरकार ने 12 दिसंबर को केंद्र सरकार को सूचित किया था कि वह तीन आईपीएस अधिकारियों को कार्यमुक्त नहीं कर पाएगी।

अखिल भारतीय सेवा के किसी भी अधिकारी को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर बुलाने से पहले राज्य सरकार की सहमति लेनी पड़ती है।

लेकिन इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भारतीय पुलिस सेवा (काडर) नियम 1954 के एक प्रावधान के तहत एकतरफा फैसला किया है।

नड्डा के काफिले पर हमले के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति पर स्पष्टीकरण के लिए 14 दिसंबर को पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को तलब किया था। हालांकि, राज्य सरकार ने इन दोनों अधिकारियों को भेजने से इनकार कर दिया था।

डायमंड हार्बर में नड्डा के काफिले पर हमले को लेकर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ की रिपोर्ट के बाद इन दोनों शीर्ष अधिकारियों को दिल्ली आकर स्पष्टीकरण देने को कहा गया था।

डायमंड हार्बर तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख एवं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी का निर्वाचन क्षेत्र है।

धनखड़ ने कोलकाता में पत्रकार वार्ता में आरोप लगाया था कि पश्चिम बंगाल में कानून तोड़ने वालों को पुलिस और प्रशासन का संरक्षण प्राप्त है तथा विपक्ष द्वारा विरोध किए जाने पर उसे दबा दिया जाता है।

पश्चिम बंगाल सरकार ने नड्डा की यात्रा के दौरान ‘‘गंभीर सुरक्षा चूक’’ पर केंद्र द्वारा मांगी गई रिपोर्ट नहीं भेजी है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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