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शीर्ष अदालत को केंद्र, सेना ने बताया-487 महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन दिया गया

By भाषा | Updated: December 6, 2021 22:38 IST

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नयी दिल्ली, छह दिसंबर केंद्र और सेना ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि उसके पिछले साल के फैसले के बाद 615 महिला शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारियों (डब्लूएसएससीओ) में से 487 को स्थायी कमीशन प्रदान किया गया है।

शीर्ष अदालत ने इस मुद्दे को हल करने के लिए निष्पक्ष और वस्तुनिष्ठ तरीके से कार्य करने के लिए थल सेना प्रमुख सहित सभी संबंधित अधिकारियों की सराहना की और निर्देश दिया कि कार्यवाही के लंबित रहने के दौरान सेवा से मुक्त की गईं 12 डब्लूएसएससीओ को सेवा जारी रखने के समतुल्य माना जाएगा और स्थायी कमीशन प्रदान किया जाए। उच्चतम न्यायालय की पीठ ने आदेश में सराहना की टिप्पणी भी दर्ज की है।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने सेना के अधिकारियों के उनके ईमानदार प्रयासों और निष्पक्ष तथा उद्देश्यपूर्ण तरीके से कार्य करने के लिए प्रशंसा की और कहा कि सशस्त्र बलों में एक नए युग की शुरुआत हो रही है।

पीठ ने कहा, ‘‘सेना के अधिकारी इन कार्यवाही में बहुत ही निष्पक्ष रहे हैं। मानसिकता में पूरा बदलाव आया है। हमने महिला अधिकारियों के बारे में नौसेना प्रमुख के हालिया बयान को देखा है कि उन्हें प्रशिक्षित किया जा रहा है और युद्धपोतों पर तैनात किया जा रहा है। सशस्त्र बलों में एक नए युग की शुरुआत हो रही है।’’

सुनवाई के दौरान केंद्र और सेना के अधिकारियों की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन और वरिष्ठ अधिवक्ता आर बालसुब्रमण्यम ने कहा कि एक गंभीर इच्छा है कि उन डब्लूएसएससीओ से संबंधित पूरे विवाद को अंततः हल किया जा सकता है, जिन्हें स्थायी कमीशन नहीं दिया गया था।

जैन ने अदालत को बताया कि 17 फरवरी 2020 के फैसले के बाद स्थायी कमीशन प्रदान किए जाने के संबंध में विचार करने के लिए 615 डब्लूएसएससीओ पात्र थीं, जिनमें से 86 अधिकारियों ने इसमें आने का विकल्प नहीं चुना। इस तहत 529 के नाम पर विचार किया गया। जैन ने कहा, ‘‘529 डब्लूएसएससीओ में से 487 को स्थायी कमीशन प्रदान किया गया है।’’ उन्होंने कहा कि शेष 42 अधिकारियों में से 21 को चिकित्सकीय रूप से अनुपयुक्त पाया गया और उन्हें मुक्त कर दिया गया।

शीर्ष अदालत ने 22 नवंबर को सेना से डब्लूएसएससीओ के मामले पर फिर से विचार करने को कहा था, जिन्हें स्थायी कमीशन से वंचित कर दिया गया था, क्योंकि वे 1999 से 2005 तक सेना में यूनिट असेसमेंट कार्ड (यूएसी) प्रणाली के आधार पर मूल्यांकन के बाद 60 प्रतिशत अंक प्राप्त करने में विफल रही थीं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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