कोरोना की दूसरी लहर के बीच सीबीएसई और आईएसई की 12वीं की बोर्ड परीक्षा को लेकर अभी सस्पेंस बरकरार है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर सोमवार को सुनवाई हुई। इस दौरान केंद्र सरकार ने कोर्ट से दो दिन का और समय मांगा।
दरअसल, केंद्र ने कोर्ट से कहा कि उसे 12वीं की परीक्षा कराने या रद्द करने का फैसला लेने के लिए दो दिन का समय और चाहिए। केंद्र ने कहा कि वह गुरुवार को कोर्ट को अपना फैसला बता सकता है। इसके बाद कोर्ट ने गुरुवार तक के लिए सुनवाई को स्थगित कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने दूसरी बार इस मामले की सुनवाई टाली है। इससे पहले कोर्ट ने 28 मई को सुनवाई की तारीख 31 मई तक के लिए स्थगित की थी। बता दें कि याचिकाकर्ता ने 12वीं परीक्षाओं को स्थगित करने की मांग की है।
12th Exam: एडवोकेट ममता शर्मा की ओर से दायर की गई याचिका
12वीं बोर्ड की परीक्षा को रद्द करने संबंधी याचिका एडवोकेट ममता शर्मा की ओर से डाली गई है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर जस्टिस एएम खनविलकर और दिनेश महेश्वरी की स्पेशल बेंच सुनवाई कर रही है।
कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई के दौरान केंद्र से कहा, 'आप जो भी फैसला लेना चाहते हैं, उसके लिए आजाद हैं। हालांकि, याचिकाकर्ता की ओर से उम्मीद जताई गई है कि जो पॉलिसी आपने पिछली बार लागू की थी उसे इस बार भी दोहराया जा सकता है। अगर सरकार पिछले बार की नीतियों से अलग जाना चाहती है तो उसे स्पष्ट कारण बताने चाहिए।'
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है परीक्षा आयोजित कराने से बच्चें संक्रमण का शिकार हो सकते हैं। इससे लाखों बच्चों की जिंदगी खतरे में पड़ जाएगी।
गौरतलब है कि बोर्ड परीक्षा अमूमन फरवरी-मार्च में कराये जाते हैं। हालांकि, कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए इस बार सीबीएसई ने 10वीं की परीक्षा रद्द कर दी थी। इसकी घोषणा 14 अप्रैल को की गई थी। साथ ही कहा गया था कि 12वीं की परीक्षा बाद में कराई जाएगी।
इसके बाद 24 मई को केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने तमाम राज्यों के शिक्षा मंत्री के साथ बैठक की थी। इसमें 12वीं की परीक्षा आयोजिक कराने को लेकर चर्चा भी हुई थी।