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सीबीआई ने टाइटलर, वर्मा के खिलाफ मामले में गवाह के तौर पर विेदशी नागरिक से पूछताछ की इजाजत मांगी

By भाषा | Updated: January 5, 2021 18:18 IST

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नयी दिल्ली, पांच जनवरी सीबीआई ने दिल्ली उच्च न्यायालय से यह अनुरोध किया है कि 2009 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नाम कथित तौर पर एक फर्जी पत्र लिखे जाने को लेकर कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर और हथियार डीलर अभिषेक वर्मा से जुड़े एक मामले में गवाह के तौर पर एक विदेशी नागरिक से पूछताछ करने की उसे इजाजत दी जाए।

सीबीआई ने 23 अक्टूबर 2020 के निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसके तहत सी एडमंड एलेन से पूछताछ करने की उसकी याचिका खारिज कर दी गई थी।

याचिका का वर्मा के वकील ने इस आधार पर विरोध किया था कि सीबीआई ने पहले भी इस गवाह को तलब कराने की कोशिश की थी और उसे चार मौकों पर तलब किया गया था लेकिन वह निचली अदालत के समक्ष उपस्थित नहीं हुआ, जिसके बाद अभियोजन का साक्ष्य बंद हो गया था।

वर्मा का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने न्यायमूर्ति योगेश खन्ना से कहा कि उच्चतम न्यायालय ने मामले में सुनवाई पूरी करने के लिए एक साल का समय निर्धारित किया था और वह समय सीमा समाप्त हो गई है तथा गवाह से पूछताछ की इजाजत देने से सुनवाई नये सिरे से शुरू हो जाएगी।

अधिवक्ता ने कहा कि निचली अदालत मामले को अंतिम दलीलों के लिए पहले ही निर्धारित कर चुकी थी और एलेन से पूछताछ करने की इजाजत देने पर आरोपी के अतिरिक्त बयान दर्ज करने होंगे तथा उन्हें और भी गवाहों को तलब करने का मौका देना पड़ेगा।

इस पर, सीबीआई के वकील अनिल ग्रोवर ने इस बारे में निर्देश पाने के लिए उच्च न्यायालय से समय मांगा कि क्या उन्हें सुनवाई की समय सीमा विस्तारित कराने के लिए अर्जी देने की जरूरत पड़ेगी।

जांच एजेंसी ने कहा कि एलेन को पूछताछ के लिए पहले नहीं बुलाया जा सका क्योंकि उसने भारत आने के लिए विभिन्न शर्तें रखी थी, जिनमें बिजनेस क्लास हवाई टिकट भी शामिल था। लेकिन अब वह वीडियो कांफ्रेंस के जरिए गवाह के तौर पर बयान देने के लिए तैयार हो गया है।

दरअसल, सीबीआई उन कुछ ईमेल आईडी को साबित करने के लिए एलेन से पूछताछ करना चाहती है, जिसका आरोपी ने कथित फर्जी पत्र भेजने के लिए कथित तौर पर इस्तेमाल किया था।

निचली अदालत ने आरोप तय करने के बाद नौ दिसंबर 2015 को टाइटलर और वर्मा पर मुकदमे की कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया था। ये आरोप भादंसं की धारा 420 (धोखाधड़ी), 471 (फर्जीवाड़ा करते हुए किसी फर्जी दस्तावेज या इलेक्ट्रानिक रिकार्ड को वास्तविक के तौर पर इस्तेमाल करना) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के अलावा धन शोधन रोकथाम अधिनियम के तहत भी तय किये गये थे।

सीबीआई द्वारा ये आरोपपत्र तत्कालीन गृह राज्य मंत्री अजय माकन की शिकायत पर दाखिल किये गये थे, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि 2009 में उनके लेटरहेड पर मनमोहन सिंह को संबोधित एक फर्जी पत्र लिखा गया और उसमें बिजनेस वीजा नियमों को शिथिल करने की मांग की गई थी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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