सीबीआई और ईडी निदेशकों के सेवा विस्तार से जुड़े अध्यादेश को अदालत में मिलेगी चुनौती, विपक्ष ने सरकार को घेरा
By शीलेष शर्मा | Updated: November 15, 2021 19:37 IST2021-11-15T19:33:26+5:302021-11-15T19:37:42+5:30
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशकों का कार्यकाल मौजूदा दो वर्ष की जगह अधिकतम पांच साल तक हो सकता है।

पांच साल तो बहाना है, साहब को बहुत छिपाना है, अपने दोस्तों को बचाना है और विपक्ष को झुकाना है।
नई दिल्लीः केंद्र सरकार के उस अध्यादेश को लेकर राजनीतिक हंगामा खड़ा हो गया है, जिसमें मोदी सरकार सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक का कार्यकाल 2 वर्ष से बढ़ा कर 5 साल तक करने का प्रावधान किया है। इस अध्यादेश से साफ है कि कार्यकाल कितना बढ़ेगा यह फैसला सरकार के अधीन होगा।
कांग्रेस ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशकों का कार्यकाल बढ़ाने संबंधी अध्यादेशों को लेकर सोमवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि ये कदम उसने सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग करने तथा अपने हितों की रक्षा करने के मकसद से उठाया है।
पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने यह दावा भी किया कि 29 नवंबर से आरंभ होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र से 15 दिन पहले अध्यादेशों को लाना संसद का अनादर करना है। मोदी सरकार इन संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग करने के लिए संसद की उपेक्षा कर अध्यादेश लाई है।
इसका मूल मकसद दोनों महत्वपूर्ण एजेंसियों को कार्यकाल विस्तार का लालच दे कर उनका अपने हितों और विपक्ष को दबाने का काम किया जा सके। सिंघवी ने सवाल उठाया कि सेवा विस्तार देना था तो सरकार ने सीधे 5 साल की अवधि बढ़ाने का फैसला क्यों नहीं किया।
सिंघवी ने कहा, ‘‘भाजपा सरकार जानबूझकर संस्थाओं की साख गिरा रही है और खुद के लिए सुरक्षा पैदा कर रही है। कार्यकाल बढ़ाने का मतलब है कि मोदी सरकार अध्यादेशों के जरिये यह अधिकार प्राप्त कर रही है कि वह पदासीन व्यक्ति का कार्यकाल पांच वर्ष तक एक-एक साल के लिए बढ़ा सके। इसका मकसद संस्थाओं पर नियंत्रण करना है।’’
उच्चपदस्थ सूत्रों से प्राप्त संकेतों के अनुसार इस अध्यादेश के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाने की तैयारी हो रही है और जल्दी ही जनहित याचिका के माध्यम से अध्यादेश को चुनौती दी जायेगी। वाम नेता सीताराम येचुरी ने टिप्पणी की कि मोदी सरकार संवैधानिक संस्थाओं की स्वायत्ता खत्म करने पर तुली है।
उन्होंने दावा किया, ‘‘सरकार ने इस कदम से उच्चतम न्यायालय के एक हालिया निर्णय का अनादर किया है। यह सब एजेंसियों के दुरुपयोग के लिए किया गया है। आपने अगले कुछ वर्षों के लिए अपना इरादा बता दिया है।’’ सिंघवी ने कहा, ‘‘संसद के शीतकालीन सत्र से 15 दिन पहले ये अध्यादेश क्यों जारी किए गए? इसमें जनहित क्या है? इसमें सरकार का हित और भाजपा का हित है।
पांच साल तो बहाना है, साहब को बहुत छिपाना है, अपने दोस्तों को बचाना है और विपक्ष को झुकाना है।’’ उन्होंने यह भी कहा, ‘‘अगर आपका (सरकार) इरादा सही है तो फिर आप कह सकते थे कि पांच साल का एक तय कार्यकाल होगा। लेकिन आपका इरादा कुछ और है। आप सिर्फ कार्यकाल एक-एक साल बढ़ाने की व्यवस्था करके पदासीन व्यक्तियों पर दबाव बनाए रखना चाहते हैं।’’
तृणमूल ने ईडी, सीबीआई प्रमुखों पर अध्यादेशों के खिलाफ राज्यसभा में सांविधिक संकल्प का नोटिस दिया
तृणमूल कांगेस ने राज्यसभा में सोमवार को सांविधिक संकल्पों का एक नोटिस देकर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) प्रमुखों का कार्यकाल बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा जारी किये गये अध्यादेशों पर आपत्ति जताई। रविवार को, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कानून एवं न्याय मंत्रालय द्वारा लाये गये दो अध्यादेशों पर हस्ताक्षर किया।
अध्यादेश में दिल्ली पुलिस विशेष प्रतिष्ठान अधिनियम में संशोधन किया गया है, जो सीबीआई और केंद्रीय सतर्कता आयोग के लिए मूल कानून है, जिसके तहत ईडी निदेशक की नियुक्ति होती है। तृणमूल कांग्रेस ने कार्यकाल में विस्तार करने के लिए अध्यादेश का मार्ग अपनाने पर आपत्ति जताते हुए सरकार की जल्दबाजी पर सवाल उठाया है क्योंकि संसद का शीतकालीन सत्र कुछ ही दिनों बाद शुरू होने वाला है।
पार्टी ने इडी और सीबीआई प्रमुखों के कार्यकाल में विस्तार करने के लिए सरकार द्वारा अध्यादेशों के जरिए संशोधित किये गये दोनों कानूनों पर सोमवार को दो अलग-अलग सांविधिक संकल्पों का नोटिस दिय। तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने ट्वीट किया, ‘‘दो अध्यादेश ईडी प्रमुख और सीबीआई निदेशक के कार्यकाल को दो साल से बढ़ा कर पांच साल करते हैं, जबकि संसद का शीतकाल सत्र अब से दो हफ्ते में शुरू होने वाला है। आश्वस्त रहें कि विपक्षी दल भारत को निवार्चित तनाशाही में तब्दील होने देने से बचाने के लिए सब कुछ करेगी।’’
सूत्रों ने संकेत दिया कि इस तरह के संकल्प का नोटिस आने वाले दिनों में अन्य विपक्षी दल भी देंगे। केंद्र ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) निदेशकों के कार्यकाल को विस्तार देने और सेवाकालीन लाभ के संबंध में सोमवार को मूल नियमावली (एफआर) में संशोधन किया। केंद्र द्वारा यह कदम उन अध्यादेशों को लागू करने के एक दिन बाद आया है, जिसने इसे मौजूदा दो वर्षों के मुकाबले सीबीआई और ईडी प्रमुखों के कार्यकाल को पांच साल तक बढ़ाने का अधिकार दिया है।
एफआर के तहत कैबिनेट सचिव, बजट से संबंधित काम से जुड़े लोगों, प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों, आईबी और रॉ प्रमुखों के अलावा सीबीआई निदेशक सहित कुछ अन्य को छोड़कर 60 साल की सेवानिवृत्ति की आयु से परे किसी भी सरकारी कर्मचारी की सेवा में विस्तार पर रोक होती है। कार्यकाल विस्तार भी सशर्त होता है। कार्मिक मंत्रालय की अधिसूचना के मुताबिक, संशोधित नियम अब केंद्र सरकार को रक्षा सचिव, गृह सचिव, खुफिया ब्यूरो (आईबी) के निदेशक, रॉ के सचिव और ईडी व सीबीआई के निदेशकों को मामले-दर-मामले आधार पर जनहित में विस्तार देने की अनुमति देते हैं।
इस शर्त के साथ कि ऐसे सचिवों या निदेशकों की कुल अवधि, ''दो वर्ष या संबंधित अधिनियम या उसके तहत बनाए गए नियमों में प्रदान की गई अवधि से अधिक नहीं हो।'' सोमवार की अधिसूचना में विदेश सचिव को एफआर के दायरे से बाहर किया गया और ईडी प्रमुख को शामिल किया गया, जिसमें मौजूदा कार्यकाल के सेवाकालीन लाभ को विस्तारित कार्यकाल में जारी रखने की अनुमति दी गई है।