पटनाः जाति जनगणना के सवाल पर बिहार की सियासत एक बार फिर से गर्माने लगी है. दरअसल, गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा है कि देश में केवल एससी/एसटी की ही जनगणना होगी, अन्य जातियों की नहीं. इस मुद्दे को लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव काफी आक्रोशित हो गए हैं.
तेजस्वी ने ने कड़े स्वर में कहा कि भाजपा पिछडी जाति का विरोध करती है. उन्हें आगे देखना नहीं चाहती. तेजस्वी ने ट्वीट कर कहा है कि, “बिहार के दोनों सदनों में भाजपा जातीय जनगणना का समर्थन करती है, लेकिन संसद में बिहार के ही कठपुतली मात्र पिछड़े वर्ग के राज्यमंत्री से जातीय जनगणना नहीं कराने का ऐलान कराती है.
केंद्र सरकार अतिपिछ्डा(ओबीसी) की जनगणना क्यों नहीं कराना चाहती? भाजपा को पिछडे़/अतिपिछडे़ वर्गों से इतनी नफरत क्यों है?” उन्होंने यह भी लिखा कि, “कुत्ता-बिल्ली, हाथी-घोडा, शेर-सियार, साइकिल-स्कूटर सबकी गिनती होती है. कौन किस धर्म का है, उस धर्म की संख्या कितनी है.
इसकी गिनती होती है, लेकिन उस धर्म में निहित वंचित, उपेक्षित और पिछडे़ समूहों की संख्या गिनने में क्या परेशानी है? उनकी जनगणना के लिए फ़ॉर्म में महज एक कॉलम जोडना है.” अन्य ट्वीट में लिखा है कि, “जातीय जनगणना के लिए हमारे दल ने लंबी लड़ाई लड़ी है और लड़ते रहेंगे.
यह देश के बहुसंख्यक यानि लगभग 65 फीसदी से अधिक वंचित, उपेक्षित, उपहासित, प्रताड़ित वर्गों के वर्तमान और भविष्य से जुडा मुद्दा है. भाजपा सरकार पिछडे़ वर्गों के हिंदुओं को क्यों नहीं गिनना चाहती? क्या वो हिंदू नहीं है?” क्या उन पिछडे़ वर्गों के 70-80 करोड़ लोग हिंदू नहीं है?
उन्होंने कहा कि वो कौन लोग है जो नहीं चाहते कि देश के संसाधनों में से सबको बराबर का हिस्सा मिले?” तेजस्वी ने कहा कि जब तक पिछडे़ वर्गों की वास्तविक संख्या ज्ञात नहीं होगी तो उनके कल्यानार्थ योजनाएं कैसे बनेगी? उनकी शैक्षणिक, सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक बेहतरी कैसे होगी?
उनकी संख्या के अनुपात में बजट कैसे आवंटित होगा? यहां बता दें कि जातीय जनगणना के पक्ष में बिहार के सभी पार्टी के नेता हैं. चाहें वह राजद प्रमुख लालू यादव हों, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हों, या तेजस्वी यादव, तीनों ही समान रूप से जातीय जनगणना के पक्षधर हैं और लंबे समय से इसकी मांग करते रहे हैं. हालांकि अब जब केंद्र सराकर द्वारा इस मामले पर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दिया है. ऐसे में देखना यह है कि बिहार के अन्य माननीय इसपर क्या रुख अख्तियार करते हैं?