कर्नाटक के लोगों को अधर में नहीं छोड़ सकते : उच्चतम न्यायालय

By भाषा | Updated: May 7, 2021 15:07 IST2021-05-07T15:07:55+5:302021-05-07T15:07:55+5:30

Can't leave the people of Karnataka in balance: Supreme court | कर्नाटक के लोगों को अधर में नहीं छोड़ सकते : उच्चतम न्यायालय

कर्नाटक के लोगों को अधर में नहीं छोड़ सकते : उच्चतम न्यायालय

नयी दिल्ली, सात मई उच्चतम न्यायालय ने केंद्र को कोविड-19 मरीजों के इलाज के वास्ते राज्य के लिए ऑक्सीजन का आवंटन 965 मीट्रिक टन से बढ़ाकर 1200 मीट्रिक टन करने का निर्देश देने के कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश में शुक्रवार को हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। न्यायालय ने कहा कि कर्नाटक के लोगों को लड़खड़ाते हुए नहीं छोड़ा जा सकता है।

न्यायमूर्तिडी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा कि पांच मई का उच्च न्यायालय का आदेश जांचा-परखा और शक्ति का विवेकपूर्ण प्रयोग करते हुए दिया गया है।

शीर्ष अदालत ने केंद्र की उस दलील को स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि अगर प्रत्येक उच्च न्यायालय ऑक्सीजन आवंटन करने के लिए आदेश पारित करने लगा तो इससे देश के आपूर्ति नेटवर्क के लिए परेशानी खड़ी हो जाएगी।

पीठ ने केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता को कहा कि उसने घटनाक्रम का अध्ययन किया है और वह कह सकती है कि यह “कोविड-19 के मामलों की संख्या को संज्ञान में लेने के बाद पूरी तरह से परखा हुआ, विचार किया हुआ और शक्ति का विवेकपूर्ण प्रयाग करते हुए लिया गया फैसला है। हम इसमें हस्तक्षेप नहीं करेंगे।”

इसमें कहा गया कि आदेश केंद्र को राज्य सरकार के प्रतिवेदन पर विचार करने से और तरल चिकित्सीय ऑक्सीजन (एलएमओ) की आपूर्ति के समाधान की प्रणाली पर परस्पर काम करने से रोकता नहीं है।

मेहता ने कहा कि हर राज्य को ऑक्सीजन चाहिए लेकिन उनकी चिंता यह है कि अगर प्रत्येक उच्च न्यायालय उक्त मात्रा में एलएमओ आवंटन का निर्देश देने लगें तो यह बड़ी समस्या हो जाएगी।

पीठ ने कहा कि वह व्यापक मुद्दे पर गौर कर रही है और “हम कर्नाटक के नागरिकों को लड़खड़ाते हुए नहीं छोड़ सकते हैं।’’

इसने कहा कि उच्च न्यायालय ने तथ्यों एवं परिस्थितियों पर विचार किए बिना आदेश पारित नहीं किया है और यह राज्य सरकार द्वारा कोविड-19 मामलों को देखते हुए न्यूनतम 1165 मीट्रिक टन एलएमओ के अनुमान पर आधारित है।

पीठ ने कहा, “उच्च न्यायालय ने अस्थायी आदेश पारित करने के लिए पर्याप्त कारण बताएं हैं यह ध्यान रखते हुए कि राज्य सरकार द्वारा न्यूनतम 1165 मीट्रिक टन एलएमओ की मांग का अनुमान रखा गया था। उच्च न्यायालय का निर्देश केवल कुछ समय के लिए है और यह केंद्र एवं राज्य के बीच परस्पर समाधान प्रणाली से रोकता नहीं है।”

इसने यह भी कहा कि उच्च न्यायालय ने ऑक्सीजन की कमी के चलते चामराजनगर एवं कलबुर्गी तथा अन्य स्थानों पर हुई लोगों की मौत पर भी विचार किया है और कहा, “न्यायाधीश भी इंसान होते हैं और वे भी लोगों की पीड़ा को देख रहे हैं। उच्च न्यायालय अपनी आंखें बंद नहीं रखते हैं।”

केंद्र ने बृहस्पतिवार को अपील दायर कर कहा था कि उच्च न्यायालय ने बेंगलुरु शहर में ऑक्सीजन की कथित कमी के आधार पर आदेश पारित किया है और इससे एलएमओ के आपूर्ति नेटवर्क व्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ेगा और यह व्यवस्था पूरी तरह ढह जाएगी।

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