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विवादित कृषि कानूनों पर विपक्ष के हंगामे के कारण संसद में कामकाज बाधित

By भाषा | Updated: February 2, 2021 20:23 IST

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नयी दिल्ली, दो फरवरी विवादों में घिरे तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग और दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन के मुद्दे पर कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों के भारी हंगामे के कारण मंगलवार को संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित रही।

राज्यसभा में विपक्ष के हंगामे के कारण बैठक तीन बार के स्थगन के बाद अंतत: पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई। वहीं लोकसभा की बैठक दो बार के स्थगन के बाद दिन भर के लिये स्थगित कर दी गई।

लोकसभा में हंगामे के बीच कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार किसानों से जुड़े मुद्दों पर संसद के अंदर और बाहर चर्चा करने को तैयार है।

उच्च सदन में विपक्षी सदस्यों ने दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन के मुद्दे पर सदन में तुरंत चर्चा कराने की मांग करते हुए हंगामा किया ।

सभापति एम वेंकैया नायडू ने सदस्यों से कहा कि वे एक दिन बाद, बुधवार को राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर होने वाली चर्चा में अपनी बात रख सकते हैं।

इससे पहले शून्यकाल शुरू होने पर सभापति ने कहा कि इस मुद्दे पर चर्चा के लिए उन्हें नियम 267 के तहत कई सदस्यों के नोटिस मिले हैं। इस नियम के तहत सदन का सामान्य कामकाज स्थगित कर जरूरी मुद्दे पर चर्चा की जाती है।

सभापति ने कहा कि किसानों के मुद्दे पर सदस्य अपनी बात कल राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान रख सकते हैं। उन्होंने सदस्यों से संक्षिप्त में अपनी बात कहने को कहा। इस दौरान अनेक सदस्यों ने चर्चा कराने की मांग की।

सभापति ने शून्यकाल में व्यवस्था देते हुए कहा कि इस मुद्दे को कल राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान उठाया जा सकता है। कुछ विपक्षी दलों के सदस्य नाराजगी जाहिर करते हुए सदन से वाकआउट कर गए।

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सदस्यों ने स्वयं ही प्रश्नकाल की मांग की थी। उन्होंने कहा ‘‘अब प्रश्नकाल चल रहा है लेकिन वे इसमें हिस्सा नहीं ले रहे हैं। कल राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्याद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सदस्यों को अपनी बात रखने का पूरा मौका मिलेगा। ’’

सभापति एम वेंकैया नायडू ने सदस्यों से कहा कि वे राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा करें।

अपनी बात का असर न होते देख उन्होंने नौ बज कर करीब 50 मिनट पर बैठक साढ़े दस बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

एक बार के स्थगन के बाद बैठक शुरू होने पर भी सदन में विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी रहा। इसके बाद नायडू ने बैठक 11:30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

दो बार के स्थगन के बाद उच्च सदन की बैठक पुन: शुरू होने पर भी सदन में हंगामा जारी रहा और विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्य आसन के समीप आ कर नारेबाजी करने लगे।

उपसभापति हरिवंश ने हंगामा कर रहे सदस्यों से कोविड-19 संबधी दिशानिर्देशों का पालन करने की अपील की। लेकिन सदस्यों का हंगामा जारी रहा और उपसभापति ने बैठक शुरू होने के कुछ क्षणों के अंदर ही कार्यवाही दोपहर 12:30 बजे तक स्थगित कर दी।

तीन बार के स्थगन के बाद उच्च सदन की बैठक फिर शुरू होने पर भी स्थिति ज्यों की त्यों बनी रही और उपसभापति ने सदन की कार्यवाही दिनभर के लिये स्थगित कर दी ।

वहीं, लोकसभा में विवादों में घिरे तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी पार्टियों के सदस्यों के भारी हंगामे के कारण दो बार के स्थगन के बाद बैठक दिन भर के लिये स्थगित कर दी गई।

विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण सदन में प्रश्नकाल और शून्यकाल नहीं चल सका।

सदन में हंगामे के बीच कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार किसानों से जुड़े मुद्दों पर संसद के अंदर और बाहर चर्चा करने को तैयार है।

लोकसभा की बैठक दो बार के स्थगन के बाद शाम सात बजे पुन: शुरू हुई तो पहले की तरह ही विपक्षी सदस्यों का शोर-शराबा जारी रहा।

इस बीच पश्चिम बंगाल से भाजपा की सदस्य लॉकेट चटर्जी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव को चर्चा के लिए रखा।

चटर्जी सदन में अपनी बात रख रही थीं लेकिन विपक्षी सदस्यों का शोर-शराबा जारी रहा। सदन में हंगामे के बीच लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्षी सदस्यों से कई बार अपने स्थान पर जाने का आग्रह किया।

इस बीच, संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव रखा जा रहा है। जब कभी यह प्रस्ताव रखा जाता है तो शोर-शराबा नहीं होता है। यह व्यवधान कभी नहीं हुआ।

उन्होंने नारेबाजी कर रहे विपक्षी दलों के सदस्यों से आग्रह करते हुए कहा, ‘‘मैं अपील करता हूं कि आप सीटों पर जाएं और चर्चा में भाग लें। जब धन्यवाद प्रस्ताव पेश किया जा रहा है तो यह ठीक नहीं है।’’

सदन में हंगामा जारी रहने पर लोकसभा अध्यक्ष ने कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी।

निचले सदन में कार्यवाही शुरू होने के बाद से ही विपक्षी सदस्य कृषि कानून को वापस लेने की मांग को लेकर काफी मुखर थे । कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक के सदस्य अध्यक्ष के आसन के निकट आकर नारेबाजी करने रहे थे । वे तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे थे। विपक्षी सदस्य ‘कानून वापस लो’ के नारे लगा रहे थे। कई सदस्यों के हाथों में तख्तियां भी थीं जिन पर कृषि कानूनों को वापस लेने की मांगें लिखी थीं।

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, ‘‘सभी सदस्यों को पर्याप्त समय दूंगा। जो विषय आप उठा रहे हैं, उस पर बोलने का मौका दूंगा। पिछली बार आपने कहा था कि प्रश्नकाल नहीं हुआ है और लोकतंत्र की हत्या हो रही है। इस बार प्रश्नकाल हो रहा है। प्रश्नकाल के बाद मैं चर्चा कराने के लिए तैयार हूं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह सदन संवाद, वाद-विवाद और चर्चा के लिए है। नारेबाजी और तख्तियों के लिए यह सदन नहीं है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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